Narendra Modi Waqf Board: महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों के बाद जबरदस्त जोश में आई बीजेपी अब आने वाले दिनों में वक्फ बोर्ड के मामले में तेजी से आगे बढ़ सकती है। इसका सीधा और ठोस संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र की जीत के जश्न में मौजूद पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत के संविधान में वक्फ कानून के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए और सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि इसका उदाहरण वक्फ बोर्ड है।
आने वाले सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है और इसमें वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर जबरदस्त हंगामा होने के आसार हैं क्योंकि सरकार इस सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करेगी।

जेपीसी के पास भेजा गया था विधेयक
याद दिलाना होगा कि पिछले कुछ महीनों में हिंदुस्तान की सियासत में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है। संसद से लेकर सड़क तक यह मुद्दा काफी गर्म रहा है। इस विधेयक को केंद्र सरकार की ओर से अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन तब विपक्षी दलों के द्वारा जोरदार विरोध किए जाने के बाद इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के पास भेज दिया गया था।
वक्फ की संपत्तियों पर कब्जे का आरोप
विपक्षी दलों के साथ ही देश भर में कई मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का खुलकर विरोध किया है। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। न सिर्फ विपक्षी दलों बल्कि एनडीए में शामिल बीजेपी के सहयोगी दलों जैसे टीडीपी और जेडीयू ने भी इस विधेयक को लेकर असहमति दर्ज कराई है और कहा है कि इस मामले में सभी पक्षों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।

बहरहाल, प्रधानमंत्री ने वक्फ कानून को लेकर कहा कि 2014 में दिल्ली की सत्ता से विदा होने से पहले कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार ने दिल्ली और इसके आसपास की कई संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया। प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान में वक्फ कानून के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन कांग्रेस ने अपनी वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्थाओं को पैदा किया और ऐसा इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोट बैंक बढ़ सके। प्रधानमंत्री के बयान पर वहां मौजूद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जोर-जोर से नारे लगाकर और तालियां बजाकर इसका समर्थन किया।
पीएम मोदी ने कांग्रेस के लिए बड़ी राजनीतिक चुनौती पेश कर दी है कि वह वक्फ कानून को लेकर अपनी राय देश के सामने रखे।
टीडीपी और जेडीयू के सामने मुश्किल
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर भी अच्छा-खासा हंगामा हो चुका है। इससे इतर मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं ने भी इस विधेयक को लेकर अपने बयान दिए हैं। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कुछ दिन पहले टीडीपी और जेडीयू को चेतावनी दी थी कि अगर यह वक्फ कानून संसद में पास होता है तो बीजेपी का समर्थन कर रहे यह राजनीतिक दल भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
निश्चित रूप से ऐसे हालात में बीजेपी के लिए इस विधेयक पर आगे बढ़ना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि उसे केंद्र में अपनी सरकार चलाने के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन चाहिए।
विपक्ष और मुस्लिम नेताओं के विरोध के बीच बीजेपी के नेताओं ने कहा है कि वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पास कराया ही जाना चाहिए। पिछले कुछ महीनों से इस मामले में आ रहे तमाम बयानों के बीच जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया है तो यह समझा जाना चाहिए कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार इस मामले में मजबूती से आगे बढ़ेगी और यह तय है कि इसे लेकर संसद से सड़क तक घमासान देखने को मिलेगा।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 303 सीटें हासिल करने के बाद बीजेपी तेजी से अपने एजेंडे पर आगे बढ़ी थी। उसने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के फैसले को मोदी सरकार की उपलब्धि के तौर पर पेश किया। अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वक्फ कानून का मामला छेड़ दिया है तो यह तय है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर कोई बड़ा और कड़ा फैसला ले सकती है।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक में?
वक्फ संशोधन विधेयक में कई बदलावों का प्रस्ताव किया गया है। इसमें राज्य सरकारों को किसी गैर मुस्लिम को मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने और कम से कम दो गैर मुस्लिम सदस्यों को राज्यों के वक्फ बोर्ड में नियुक्त करने की बात कही गई है। इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया है कि जिलाधिकारी के पास यह करने का अधिकार है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है या फिर सरकारी संपत्ति।
