Comptroller and Auditor General of India (CAG) ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) में कई गंभीर अनियमितताएं पाई हैं। ऑडिट में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां अजीब बैंक अकाउंट नंबर दिखे हैं। वहीं, कई जगहों पर एक ही तस्वीर को बार-बार अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, करीब 34 लाख प्रमाणित उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिन्हें अब तक उनका बकाया भुगतान नहीं मिला है।
CAG की ये सभी फाइंडिंग्स उसकी ऑडिट रिपोर्ट में दर्ज हैं, जिसे गुरुवार को लोकसभा के पटल पर रखा गया। इन निष्कर्षों को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है। इस योजना का उद्देश्य बेरोजगारी से लड़ना और युवाओं को स्किल डेवलपमेंट की ओर आकर्षित करना है।
PMKVY की शुरुआत जुलाई 2015 में हुई थी। यह योजना तीन चरणों में लागू की गई। वर्ष 2015 से 2022 के बीच इसके लिए 14,450 करोड़ रुपये का बजट रखा गया। इस दौरान करीब 1.32 करोड़ उम्मीदवारों को स्किल ट्रेनिंग दी गई और प्रमाण पत्र जारी किए गए। योजना का पहला चरण 2015-16 तक, दूसरा चरण 2016 से 2020 तक और तीसरा चरण 2021 से 2022 तक चला।
जब CAG ने इलेक्ट्रॉनिक पहचान और संपर्क विवरणों की जांच की, तो बैंक अकाउंट से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आईं। आंकड़ों के मुताबिक, 95,90,801 प्रतिभागियों में से 90,66,264 लोगों के रिकॉर्ड में बैंक अकाउंट डिटेल्स या तो शून्य थीं, या Null/N.A. दर्ज था, या फिर कॉलम खाली छोड़ा गया था। यानी 94.53 प्रतिशत मामलों में बैंक खाते की सही जानकारी मौजूद ही नहीं थी। CAG के मुताबिक, यह स्थिति योजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कुछ मामलों में बैंक अकाउंट नंबर बेहद संदिग्ध थे। उदाहरण के तौर पर, कई खातों में 111111111111 या 123456 जैसे नंबर दर्ज पाए गए।
योजना की एक अहम विशेषता डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) है, लेकिन CAG की रिपोर्ट बताती है कि यहां भी बड़ी खामियां रहीं। कुल प्रमाणित उम्मीदवारों में से केवल 24.53 लाख को ही DBT प्रक्रिया से जोड़ा जा सका और इनमें से भी सिर्फ 17.69 लाख उम्मीदवारों को ही वास्तव में पैसा मिला। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कुल 95.91 लाख उम्मीदवारों में से 61.14 लाख को DBT के जरिए भुगतान किया गया। CAG का कहना है कि अधूरी जानकारी के कारण 34 लाख से अधिक प्रमाणित उम्मीदवारों को अब तक भुगतान नहीं हो पाया है।
CAG ने लाभार्थियों को लेकर एक ऑनलाइन ईमेल सर्वे भी किया। इसमें पाया गया कि भेजे गए ईमेल में से 36.51 प्रतिशत ईमेल डिलीवर ही नहीं हुए। जिन मामलों में ईमेल पहुंचे, उनमें से भी केवल 3.95 प्रतिशत उम्मीदवारों ने जवाब दिया। हैरानी की बात यह रही कि मिले 171 जवाबों में से 131 जवाब एक ही ईमेल आईडी या फिर ट्रेनिंग पार्टनर्स और ट्रेनिंग सेंटर्स की आईडी से आए थे। इससे यह संकेत मिलता है कि वास्तविक लाभार्थियों की भागीदारी बेहद सीमित रही।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रशिक्षण से जुड़े फोटो सबूतों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में कई लाभार्थियों के लिए एक ही फोटो को बार-बार इस्तेमाल किया गया।
इन निष्कर्षों पर The Indian Express की ओर से सवाल पूछे जाने पर मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में योजना को काफी मजबूत किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं। बयान में यह भी कहा गया कि टेक्नोलॉजी के जरिए निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाई जा रही है। अब फेस ऑथेंटिकेशन, जियो-टैग्ड अटेंडेंस, लाइव अटेंडेंस डैशबोर्ड जैसे फीचर्स भी जोड़े गए हैं। इसके अलावा सेंट्रल कम्युनिकेशन लेयर (CCL) के माध्यम से उम्मीदवारों से फीडबैक लेने की व्यवस्था लागू की गई है।
