सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) के खिलाफ याचिका दायर हुई है। इस याचिका में कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करके दोबारा नेशनल ज्यूडिशल अप्वाइंटमेंट्स कमिशन यानी एनजेएसी (NJAC) को बहाल करने की मांग की गई है। एडवोकेट मैथ्यूज नेदुमपारा (Adv Mathews Nedumpara) की याचिका 16 फरवरी को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के सामने मेंशन हुई।
एडवोकेट ने मांगी डेट, CJI बोले- No
एडवोकेट मैथ्यूज नेदुमपारा ने सीजेआई चंद्रचूड़ से निवेदन किया कि उनकी याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई की डेट दे दें। नेदुमपारा ने कहा, ‘प्लीज मी लॉर्ड, 24 फरवरी की डेट दे दीजिए। इसपर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘न…24 फरवरी को नहीं, मैं पहले इसे एग्जामिन करूंगा।’ एडवोकेट मैथ्यूज नेदुमपारा (Adv Mathews Nedumpara) ने दोबारा निवेदन करते हुए ‘कहा प्लीज, मी लॉर्ड…!’ लेकिन सीजेआई नहीं पिघले। उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा, ‘नो..नो, पहले मुझे याचिका देखने दीजिए…’।
आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब एडवोकेट मैथ्यूज नेदुमपारा (Adv Mathews Nedumpara) ने कॉलेजियम के खिलाफ मोर्चा खोला है। उन्होंने पहले भी कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) के खिलाफ याचिका दायर की थी। नवंबर 2022 में भी उनकी याचिका चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के सामने ही मेंशन हुई थी। तब सीजेआई ने आश्वासन दिया था कि कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ याचिका का नए सिरे से परीक्षण करेंगे।
Collegium System पर तकरार की स्थिति
आपको बता दें कि पिछले कुछ वक्त से केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच कॉलेजियम को लेकर एक तरीके से तनातनी जैसी स्थिति बनी है। कुछ वक्त पहले कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार कॉलेजियम में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कराना चाहती है। हालांकि पिछले दिनों कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में इस दावे को खारिज कर दिया था और बताया था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को अपनी चिट्ठी में क्या लिखा था।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से क्या चाहती है?
किरण रिजिजू ने 6 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी थी, इसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित सर्च कम इवैल्यूएशन कमेटी में सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके पीछे मंशा यह थी कि इससे जजों की नियुक्ति में और पारदर्शिता आएगी। हालांकि विपक्ष ने इसको खासा मुद्दा बनाया और इसी मसले पर बीजेपी सरकार को घेरा था।