सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए लाइव स्ट्रीमिंग और सोशल मीडिया के युग की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने याद दिलाया कि अब अदालत में न्यायाधीशों द्वारा कहा गया हर शब्द सार्वजनिक है, जो न्यायाधीशों के सामने नई चुनौती की तरह है।

सीजेआई ने अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग को नियंत्रित करने और निगरानी करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए पटना हाईकोर्ट की एक पुरानी घटना का उदाहरण दिया। यह करीब एक साल पहले का मामला है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “पटना हाईकोर्ट का एक वीडियो क्लिप शेयर हो रहा है, जिसमें जज आईएएस अधिकारी से पूछते हैं कि उन्होंने ढंग का कपड़ा क्यों नहीं पहना है? एक क्‍ल‍िप में गुजरात हाईकोर्ट के जज वकील से पूछ रहे हैं कि आप केस के ल‍िए पूरी तरह तैयार होकर क्‍यों नहीं आई हैं? इस तरह की कई हल्‍की-फुल्‍की चीजें यूट्यूूब पर उपलब्‍ध हैं। इन्हें कंट्रोल किया जाना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर मसला है। कोर्ट रूम में जो भी होता है, वह वाकई बहुत गंभीर होता है। इसलिए सोशल मीडिया के साथ लाइव स्ट्रीमिंग का इंटरफेस हमारे लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है और हमें लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सेन्ट्रलाइज्ड क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। हमें अदालतों के लिए नए हार्डवेयर की जरूरत है।”

पटना हाईकोर्ट में क्या हुआ था?

यह जून 2022 की घटना है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद किशोर और बिहार सरकार में आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव, पटना हाईकोर्ट में पेश हुए थे। जज पीबी बजंथरी ने जब किशोर को बिना ब्लेजर सफेद शर्ट में देखा तो तंजिया लहजे में पूछा सिनेमा हॉल आए हैं क्या?

जज ने आईएएस अधिकार से पूछा कि क्या उन्हें मालूम नहीं है कि अदालत में किस ड्रेसकोड में पेश होना है? आईएएस अधिकारी चुप रहे। इसके बाद जज ने फिर बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा, क्या आपने मसूरी में सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थान में भाग नहीं लिया था? यह सही नहीं है। जज ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बिहार में आईएएस अधिकारियों को क्या हो गया है? वे नहीं जानते हैं कि अदालत में कैसे पेश होना है? क्या आपको नहीं बताया गया है?

जज की फटकार की कड़ी टूटने के बाद आईएएस ने पहले तो बताया कि यह सामान्य और आधिकारिक ड्रेस है। उसके बाद गर्मी के मौसम का हवाला देते हुए कहा ड्रेस को लेकर कोई आधिकारिक निर्देश नहीं है।

जज ने पूछा सामान्य ड्रेस क्या होता, कम से कम कोट तो होना चाहिए और कॉलर खुला नहीं होना चाहिए। जब भी आप कोर्ट में पेशी के लिए आते हैं तो आपको प्रॉपर ड्रेस में होना चाहिए और यह खासकर आईएएस आईपीएस और आईएफएस के लिए है। आपको क्या लगता है कि यह सिनेमा हॉल है?

सुनवाई का वीडियो-

मुझे ओडिशा का दामाद होने पर गर्व- CJI

शनिवार को कटक स्थित ओडिशा ज्यूडिशियल एकेडमी में पेपरलेस कोर्ट और ई-इनिशिएटिव पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि मेरी पत्नी उड़िया हैं और मुझे ओडिशा का दामाद होने पर गर्व है।

गौरतलब है कि जस्टिस चंद्रचूड़ की पत्नी कल्पना दास ओडिशा से हैं। वह 50वें सीजेआई की दूसरी पत्नी हैं। वह पेशे से एक वकील भी हैं और पूर्व में ब्रिटिश काउंसिल के साथ कर चुकी हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ की पहली पत्नी रश्मि की साल 2007 में कैंसर से मौत हो गई थी। इस घटना के कुछ साल बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कल्पना दास से शादी की थी।

जगन्नाथ मंदिर में किया दर्शन

सम्मेलन में पेपरलेस कोर्ट और वर्चुअल कोर्ट से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे कई मुद्दों पर बोलते हुए सीजेआई ने ओडिशा में न्यायिक प्रणाली की बुनियादी सुविधाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ओडिशा कई अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है और इसके प्रयास संतोषजनक हैं। शुक्रवार को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर पहुंचने के बाद सीजेआई जगन्नाथ मंदिर में दर्शन के लिए पुरी भी गए थे।