संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की घटना ने सबको चकित किया है। संसद की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए घटना के अगले दिन से ही कई तरह के बदलाव अमल में लाए गए हैं। अब सांसदों के आने-जाने के लिए दरवाजा अलग होगा, मीडियाकर्म‍ियों के ल‍िए जगह और संसद भवन के बीच की दूरी बढ़ा दी गई है, गलियारे में पत्रकारों समेत कोई भी कुछ मिनट से ज्यादा खड़ा नहीं हो सकेगा, आदि।

क्या-क्या बदल गया?

सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हुई बैठकों में तय किया गया है कि नई इमारत के प्रवेश और निकास द्वारों में से एक अब विशेष रूप से सांसदों के लिए आरक्षित रहेगा। सांसदों के लिए आरक्षित दरवाजा उन्हें बाकी भीड़ से अलग करेगा।

इसके अलावा मीडिया और संसद भवन के बीच दूरी बढ़ा दी गई है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकारों को पुरानी इमारत के करीब धकेल दिया है। सांसदों के प्रवेश द्वार पर सावधानीपूर्वक बैरिकेडिंग कर दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी उनके रास्ते में न आए। जो सांसद पत्रकारों से बात करना चाहेंगे, उन्हें अब कई बैरिकेड्स पार करने होंगे। मीडियाकर्मियों सहित किसी को भी गलियारे में कुछ मिनटों से अधिक खड़े होने की अनुमति नहीं है।

सांसदों को भी धीमी गति से चलने के लिए कहा गया है। साथ ही गेट के अंदर और बाहर तेजी से दौड़ने की अनुमति नहीं दी गई है। घटना के कुछ घंटों बाद बुधवार रात को प्रकाशित एक संसदीय बुलेटिन में, सांसदों से कहा गया कि वे “फ्लैप बैरियर के पास धीरे-धीरे जाएं और तब तक इंतजार करें जब तक कि उनका चेहरा फेशियल रिकॉग्निशन डिवाइस कैप्चर न कर ले।” पूर्व सांसदों को भी संसद में प्रवेश से रोक दिया गया है।

संसद के कर्मचारियों और विजिटर्स के लिए भी बदले नियम

संसद कर्मचारियों के लिए प्रवेश और निकास द्वार भी बदल दिए गए हैं। अक्सर देखा जा रहा था कि कई कर्मचारी नई इमारत में भटक जा रहे थे, भूलभुलैया जैसे गलियारों में रास्ता भूल जा रहे थे और रास्ता पूछते चल रहे थे।

द हिंदू से बातचीत में संसद भवन के एक कर्मचारी ने बताया, “हमें मकर द्वार (लोकसभा और राज्यसभा कक्ष के लिए एक कॉमन गेट) से प्रवेश करने की अनुमति थी और हमने इसके जरिए अपने कार्यालय तक जाने का रास्ता याद कर लिया था। लेकिन अब हमें एक बार फिर अपने दफ्तर का रास्ता याद करना होगा।”

घटना से पहले भी आगंतुक तीन लेयर की सिक्योरिटी चेक से गुजरते थे। लेकिन अब पास की जांच के लिए संसद भवन से कम से कम 200 मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाए गए हैं। वैध पास धारकों की दर्शक दीर्घा तक पहुंचने से पहले दो बार तलाशी ली जाती है।

बता दें क‍ि बुधवार को संसद भवन के अंदर और बाहर, चार नौजवानों ने पीले रंग का धुआं फैलाते हुए नारेबाजी की थी। घटना से संसद में अफरा-तफरी मच गई थी। इसके बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और खामियों को दूर करने के लिए कई राउंड की बैठक हुई, जिसमें कई बदलावों पर निर्णय लिया गया।

घटना के अगले द‍िन, गुरुवार को संसद के बाहर खामोशी छाई रही, ना कोई भीड़ भाड़, ना सेल्फी लेने वाले, ना मीडिया बाइट देते सांसद। स्कूली छात्रों के एक ग्रुप को छोड़कर, विजिटर्स पर पूरी तरह प्रतिबंध रहा। स्कूली छात्रों का जो ग्रुप पहुंचा था, उसने सुरक्षा कर्मचारियों की निगरानी में अपने शिक्षकों के साथ मौन मार्च किया।

घटना के बाद सरकार और विपक्ष में ठन गई है

संसद की सुरक्षा में सेंधमारी के मामले को लेकर अब सरकार और विपक्ष में ठन गई है। गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह से जवाब मांगने और चूक पर चर्चा की मांग करने वाले 14 सांसदों को हंगामा करने के आरोप निलंबित कर दिया गया था। निलंबित सांसदों में नौ कांग्रेस, दो सीपीएम, एक डीएमके, एक सीपीआई और एक टीएमसी (राज्‍यसभा) से हैं। अब विपक्षी सांसद इस निलंबन का विरोध करते हुए संसद भवन में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही चर्चा की मांग भी कर रहे हैं।

सभी आरोपी पुलिस हिरासत में

घटना से संबंधित आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। विजिटर गैलरी से लोकसभा में कूदने वाले सागर और मनोरंजन डी सदन के भीतर पकड़े गए थे। नीलम और अमोल शिंदे को संसद के बाहर प्रदर्शन करते हुए पुलिस ने पकड़ा था। ‘मास्टर माइंड’ कहे जा रहे ललित झा ने खुद आत्मसमर्पण किया है। संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह कलर स्मोक का इस्तेमाल करते हुए प्रदर्शनकारियों ने ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगाए थे।

इस मामले में कुल सात लोग गिरफ्तार किए गए हैं। सभी पर आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया है।