Pakistan-Bangladesh Defence Agreement: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, जिसे एक वक्त भारत ने पाकिस्तान से युद्ध लड़कर आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, वो अब आंतरिक टकराव और कट्टरपंथ के विस्तार के चलते उथल-पुथल स्थिति में नजर आ रहा है।
चूँकि बांग्लादेश ने पाकिस्तानी से लड़कर अपनी आजादी हासिल की थी इसलिए मुक्ति संग्राम का नेतृत्व करने वाली अवामी लीग का रुख पाकिस्तान के प्रति सकारात्मक नहीं माना जाता। भारत ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम सैन्य और आर्थिक मदद की थी इसलिए अवामी लीग का का रुख भारत के प्रति सकारात्मक माना जाता है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय से ही वहाँ एक पाकिस्तान समर्थक गुट मौजूद रहा है।
जमाते इस्लामी बांग्लादेश पर देश के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना का साथ देने का आरोप लगता है। जमाते इस्लामी के कई नेताओं को बांग्लादेशी जनता की हत्या, बलात्कार इत्यादि के आरोप में सजा भी हुई है। शेख हसीना के तख्तापलट के लिए हुए उग्र आन्दोलन में भी जमाते इस्लामी समेत कई भारत-विरोधी माने जाने वाली शक्तियाँ अग्रणी थीं। वहीं ‘इंकलाब मंच’ नामक नए उग्रपंथी संगठन भी भारत-विरोधी विचारों को बढ़ावा देने में आगे रहे।
बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी और लगातार तीन बार चुनाव जीतकर सत्ता में आई शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से ही पाकिस्तान एजेंसियाँ और बांग्लादेश के अन्दर मौजूदा पाकिस्तान-समर्थक गुट एक्टिव हो गये। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के एक सूत्र ने सीएनएन-न्यूज 18 को बताया कि इस प्रस्तावित समझौते के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश ने संयुक्त तंत्र बनाया है, जो समझौते के लिए बातचीत कर रहा है। समझौते का आखिरी मसौदा तैयार करना भी इसी जॉइंट टीम का काम होगा। दावा ये भी किया गया है कि बांग्लादेशी सैन्य नेतृत्व भी पाकिस्तान के साथ संभावित समझौते में काफी दिलचस्पी दिखा रहा है।
सऊदी अरब के साथ भी किया था समझौता
पाकिस्तान ने हाल में ही सऊदी अरब के साथ भी डिफेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें यह शर्त है कि पाकिस्तान पर हमला सऊदी पर हमला माना जाएगा, और यही शर्त सऊदी अरब पर हमला होने पर भी लागू होगी। संभावनाएं हैं कि पाकिस्तान का बांग्लादेश से समझौता भी सऊदी अरब के जैसा ही हो सकता है।
शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट और मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद से लगातार बांग्लादेश और पकिस्तान करीब आ रहे हैं। दोनों देशों के सैन्य स्तर के संपर्क भी बढ़ें हैं। इतना ही नहीं, दोनों की ही सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठकें भी हुईं। इन बैठकों के बाद ट्रेनिंग कैपैसिटी बिल्डिंग और प्रोफेशनल एक्सचेंज से जुड़े कई सैन्य समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
सूत्र ये भी बताते हैं कि दोनों देश ये समझौता बांग्लादेश में आम चुनावों और नई सरकार के गठन के बाद करेंगे,जिससे जो नई सरकार बने, वो भी इस समझौते से सहमति रखती हो। दावा ये भी किया गया है, कि पाकिस्तान ढाका में अपने उच्चायोग में एक अघोषित ISI का दफ्तर भी चला रहा है।
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बांग्लादेश में बढ़ रहा पाकिस्तान का दखल
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि बांग्लादेश में यूनुस सरकार के दौरान पाकिस्तानी एजेंसी ISI और सेना के अधिकारियों ने बांग्लादेश के खूब दौरे किए हैं। दोनों अपने व्यापारिक रिश्तों को भी बेहतर करने की बात करते रहे हैं। बांग्लादेश ने पाकिस्तानियों के लिए अपने वीजा नियमों में बदलाव करके उन्हें राहत दी है, जिसके चलते धीरे-धीरे पाकिस्तान, बांग्लादेश में फिर से अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।
भारत के लिए चुनौतियां क्यों?
बांग्लादेश की सरकार और सेना लगातार ये बात कहती रही है कि वह अपनी जमीन का किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने वाला है, और न ही वह किसी अन्य देश को ऐसा करने देगा। हालांकि, उसकी कथनी और करनी में अंतर साफ नजर आता है, क्योंकि भारत पाकिस्तान के रिश्तों के बारे में सबकुछ जानने के बावजूद यूनुस सरकार लगातार पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाने के संकेत देती रही हैं।
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पाकिस्तान का इतिहास भारत के लिए काफी जाना पहचाना रहा है, क्योंकि उसने पहले भी बांग्लादेश की जमीन का इस्तेमाल पूर्वोत्तर भारत में अशांति फैलाने के लिए किया है, और अगर पाकिस्तान-बांग्लादेश किसी समझौते की ओर बढ़ते हैं, तो पाकिस्तान का दखल बांग्लादेश में बढ़ सकता है और ऐसा होना फिर भारत के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।
पाकिस्तान बढ़ा सकता है भारत-बांग्लादेश के बीच टकराव
खास बात यह भी है कि जब शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद मुहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुखिया बने थे, तो पाकिस्तान उन पहले कुछ देशों में से था, जिसने खुशी के साथ यूनुस का समर्थन किया था। ऐसा वक्त जब कट्टरपंथ के तहत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जुल्म बढ़ रहा है, तो पाकिस्तान का साथ आना पेट्रोल को माचिस लगाने वाली बात भी हो सकती है।
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इसकी वजह यह है कि मुहम्मद यूनुस इस वक्त जो सरकार चला रहे हैं, उसमें कट्टरपंथियों का काफी बोलबाला है। इसके अलावा यूनुस को खालिदा जिया की पार्टी का समर्थक भी माना जा रहा है। बता दें कि खालिदा जिया वहीं जिन पर लगातार शेख हसीना पाकिस्तान से करीबी संबंध होने का आरोप लगाती रही हैं।
भारत के लिए 3.5 मोर्चे पर परेशानी
विपिन रावत ने 2.5 मोर्चे पर भारत के लिए चुनौती की बात कही थी। इसमें एक पाकिस्तान, दूसरा चीन और आधा मोर्चा भारत के अंदर रह रहे स्लीपर सेल्स को परेशानी बताया गया था, लेकिन अब ये 2.5 मोर्चे वाली चुनौती 3.5 होती दिख रही है।
जिस तरह से बांग्लादेश कट्टरपंथ की राह पर आगे बढ़ रहा है, और हिंसा के चलते लोकतांत्रिक सरकार बनने की उम्मीदें दम तोड़ रही हैं, उसके चलते बांग्लादेश के चीन और पाकिस्तान के लिए भारत को परेशान करने का एक टूल बनने का अंदेशा भी है। अगर ऐसा होता है, तो निश्चित तौर पर ये भारत के लिए परेशानी का सबब होगा, जिसमें उसकी कूटनीति की परीक्षा भी होगी।
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