विपक्षी दलों ने सोमवार को निर्वाचन आयोग पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में विफल रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस, तृणमूल, सपा, और आरजेडी समेत आठ विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना जताई। पार्टियों ने यह भी आरोप लगाया कि CEC ज्ञानेश कुमार ‘भाजपा प्रवक्ता’ की तरह काम कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि हमने मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ कानूनी और संवैधानिक, दोनों तरह की कार्रवाई पर चर्चा की है। हम सही समय पर उचित कदम उठाएंगे।
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग पर है। संविधान के अनुच्छेद 324 और मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, कार्यकाल और पद से हटाने से संबंधित प्रावधान हैं। आइए जानते हैं क्या हैं मुख्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारियां, कैसे होती है उनकी नियुक्ति और क्या CEC को उनके पद से हटाना संभव है?
कैसे होती है मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति?
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यीय चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता (LoP) और केंद्रीय मंत्रिमंडल का एक सदस्य शामिल होता है। नियुक्त किए गए लोगों को पहले सरकार में सचिव स्तर के पदों पर कार्य किया हुआ होना चाहिए और 2023 के अधिनियम के अनुसार, जिन्हें चुनाव प्रबंधन और संचालन का ज्ञान और अनुभव हो। CEC की नियुक्ति 6 साल के कार्यकाल या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) के लिए की जाती हैं।
पढ़ें- राहुल गांधी के आरोपों पर सख्त हो गया चुनाव आयोग
क्या CEC को उनके पद से हटाना संभव है?
संविधान के अनुच्छेद 324(5) में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों पर पद से हटाया जा सकता है। यह व्यवस्था 2023 के अधिनियम की धारा 11(2) में भी पाई जा सकती है। अनुच्छेद में आगे कहा गया है कि किसी अन्य चुनाव आयुक्त या क्षेत्रीय आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जाएगा।
संविधान के अनुच्छेद 124(4) के अनुसार, (जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख है) उन्हें केवल सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। कदाचार में कोई भी भ्रष्ट आचरण या पद का दुरुपयोग शामिल हो सकता है। अक्षमता से तात्पर्य उस स्थिति से है जहां अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ है।
क्या है मुख्य चुनाव आयुक्त को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया?
मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए, दोनों सदनों के सदस्यों को स्पष्ट रूप से दुर्व्यवहार या अक्षमता का आरोप लगाते हुए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा। प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद, आरोपों की वैधता की जांच की जाती है। इसमें दुर्व्यवहार या अक्षमता के साक्ष्यों की जांच के लिए एक समिति का गठन शामिल है। इसके बाद, निष्कासन प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से (उपस्थित और मतदान) द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है। सदन में सफलतापूर्वक पारित होने पर राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का आदेश देते हैं। पढ़ें- चुनाव आयोग के जवाब के बाद राहुल गांधी ने फिर लगाए गंभीर आरोप