ओडिशा रेल हादसा में अब तक 288 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। कुछ दिन पहले ही रेलवे बोर्ड ने रेल दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी। बोर्ड ने लोकोमोटिव पायलटों यानी रेल चालकों (ट्रेन ड्राइवर्स) के काम के घंटे को कम करने और रिक्तियों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया था।

गत 31 मई को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एस. विजय कुमार की रिपोर्ट में बताया गया था कि कर्मचारियों की भारी कमी के कारण रेल चालकों को अपने शिफ्ट से अधिक समय तक काम करना पड़ रहा है। रिपोर्ट में इसे दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण बताया गया था।

2022-23 में जानमाल की गंभीर हानि न होने वाली 163 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। इनमें से 35 सिग्नल पास एट डेंजर (SPAD) से जुड़ी थीं। SPAD घटनाएं, उन्हें कहते हैं जब कोई ट्रेन बिना अनुमति के खतरे के सिग्नल (स्टॉप) को पार कर जाती है। ओडिशा के बालासोर जिले के पास शुक्रवार की शाम करीब सात बजे हुए भीषण ट्रेन हादसे का कारण सिग्नल सिस्टम फेल होना बताया गया है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘कुछ तकनीकी’ खराबी को एक्सीडेंट का कारण बताया है।

बैठक में रेलवे के अधिकारियों ने क्या कहा था?

जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों सहित शीर्ष रेलवे प्रबंधन के सदस्यों की एक उच्च स्तरीय बैठक में सेफ्टी सिनेरियो की समीक्षा करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ ने कहा कि जानमाल के नुकसान वाले ट्रेन दुर्घटनाओं में वृद्धि “गंभीर चिंता” का विषय है। अधिकारी ने कहा कि नियमों के अनुसार किसी भी परिस्थिति में चालक दल के काम का समय 12 घंटे से अधिक नहीं हो सकता।

कितनी है ओवर टाइम करने वाले लोको पायलट्स की संख्या?

रेलवे बोर्ड ने महाप्रबंधकों को ईस्ट कोस्ट रेलवे और साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे में चालक दल के काम के घंटों का गंभीर विश्लेषण करने और तत्काल कार्रवाई कर स्थिति में सुधार लाने का निर्देश दिया। एसपीएडी के खतरों के प्रति लोको पायलटों को जागरूक करने के लिए कदम उठाने और मवेशियों के टक्कर से बचने के लिए रेलवे ट्रैक के साथ बाड़ लगाने का भी फैसला किया गया था।

विभिन्न जोन में लोको पायलट को अपने शिफ्ट से अधिक इसलिए काम करना पड़ रहा है क्योंकि रेलवे में लोगों की कमी है। इस साल के  मार्च, अप्रैल और मई के फर्स्ट हाफ में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 12 घंटे से अधिक समय तक ड्यूटी करने वाले लोको पायलट्स की संख्या क्रमश: 35.99%, 34.53% और 33.26% थी।

कितनी सीटें खाली?

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन ने पिछले महीने दक्षिणी रेलवे में वर्कफोर्स की कमी का मुद्दा अपने महाप्रबंधक के सामने उठाया था। एसोसिएशन ने बताया था कि विभिन्न श्रेणियों में लोको पायलट के 392 पद खाली पड़े हैं।

एक दिसंबर 2022 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया था कि रेलवे में 3.12 लाख नॉन गजेटेड पद खाली हैं। भारतीय रेल 18 जोन में बंटा है। सबसे ज्यादा सीटें नॉर्दन जोन में खाली हैं। नॉर्दन जोन में 38,754, वेस्टर्न जोन में 30,476, ईस्टर्न जोन में 30,141 और सेंट्रल जोन में 28,650 सीटें खाली हैं।

पिछले साल नवंबर के अंत में मध्य रेलवे के राष्ट्रीय रेलवे मजदूर संघ (NRMU) ने रिक्तियों पर असंतोष व्यक्त करते हुए मंडल रेल प्रबंधक के कार्यालय के सामने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था।

सेफ्टी कैटेगरी में सबसे अधिक सीटें खाली!

सेंट्रल रेलवे में 28,650 सीटें खाली हैं। इनमें से 50 प्रतिशत यानी 14,203 सीटें सेफ्टी कैटेगरी की रिक्त हैं। इसके अलावा मुख्य रूप से ऑपरेटिंग और मेंटेनेंस स्टाफ जैसे- निरीक्षक, ड्राइवर, ट्रेन परीक्षक, शंटर, आदि के पोस्ट भी खाली हैं।