भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे धनकड़ को साल 2019 में पश्चिम बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया था। 18 मई, 1951 को राजस्थान के झुंझुनू में जन्मे धनखड़ 2003 में भाजपा से जुड़े थे, उससे पहले 11 साल तक कांग्रेस में रहे थे।

ताऊ देवीलाल से क्या है नाता? : जगदीप धनखड़ राजस्थान के जाट समुदाय से संबंध रखते हैं। साल 2000 में उन्होंने राज्य के जाटों को आरक्षण दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। धनखड़ अपने समय के अन्य जाट नेताओं की तरह ही पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की करीबी थे। वह आज भी देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। साल 1989 में देवीलाल ने ही धनखड़ को राजनीतिक में बड़ा मौका दिया था।

तब झुंझुनू संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, देवीलाल ने यहीं से धनकड़ को जनता दल की टिकट से मैदान में उतार दिया। पेशे से वकील धनखड़ कानून के साथ साथ राजनीति के भी दांव पेंच सीख रहे थे। उन्होंने पहले ही मौके में खुद को साबित कर दिखाया और झुंझुनू से चुनाव जीत गए। 1989 से 1991 के बीच धनखड़ वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।

भाजपा में कैसे पहुंचे? : जून 1991 में जब पी.वी. नरसिम्हा राव जब प्रधानमंत्री बने तो धनखड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। 1993 में राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ से कांग्रेस के विधायक बनें। लेकिन राजस्थान में जब कांग्रेस अशोक गहलोत को आगे बढ़ाने लगी तो धनकड़ ने अपने लिए कोई और ठिकाना ढूंढना सही समझा। कांग्रेस की टिकट पर अजमेर से लोकसभा चुनाव हारने के बाद धनखड़ ने साल 2003 में भाजपा ज्वाइन कर लिया। फिर भाजपा की टिकट पर किशनगढ़ से विधायक बनें। जगदीप धनखड़ के भाई रणदीप धनखड़ अभी भी कांग्रेस में हैं।

उप राष्ट्रपति के लिए धनखड़ ही क्यों? : शनिवार को जब भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर जगदीप धनखड़ के नाम की घोषणा हुई, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि हर कोई सरप्राइज का ही इंतजार कर रहा था। बेशक, कुछ जानकार मुख्तार अब्बास नकवी के नाम का अनुमान लगा रहे थे, लेकिन मोदी सरकार ने अपनी शैली को दोहराते हुए विशेषज्ञों के अनुमानों और आकलनों को धराशाई कर, एक बार फिर सरप्राइज दे दिया।

धनखड़ जिस जाट समुदाय से आते हैं, वह समुदाय किसान आंदोलन के वक्त से भाजपा से नाराज बताया जा रहा है। हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इस समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। अगले वर्ष राजस्थान में विधानसभा चुनाव है, ऐसे में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के बाद, जगदीप धनखड़ की संसद में मौजूदगी को राजस्थान के लिए गर्व का विषय बताकर, वोट भुनाने की कोशिश हो सकती है।

आरएसएस की मदद का मिला इनाम? : जगदीप धनकड़ ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई फिजिक्स में की। राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी भी किया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रह चुके हैं। धनकड़ को उनकी कानूनी समझ की वजह से भी पश्चिम बंगाल में राज्यपाल बनाकर भेजा गया था। अभी उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने के पीछे की एक वजह आरएसएस से उनकी नजदीकी को भी बताया जा रहा है। यूपीए सरकार में जब आरएसएस के इंद्रेश कुमार पर आतंकी होने का आरोप लगा था, तब जगदीप धनकड़ ने ही कोर्ट में उनका बचाव किया था। तब से ही धनखड़ संघ के करीबी माने जाते हैं।