नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की चेन्नई बेंच में मंगलवार को जज और एक वकील के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। जब एक वकील ने ट्रिब्यूनल को बताया कि मद्रास हाई कोर्ट ने एनसीएलएटी को एक मामले को प्राथमिकता के आधार पर लिस्ट करने का आदेश दिया है। जिसके बाद NCLAT बेंच का नेतृत्व कर रहे जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने इस तरह का आदेश पारित करने के उच्च न्यायालय के अधिकार पर सवाल उठाया।

दरअसल, वकील चाहते थे कि एनसीएलटी के एक आदेश के खिलाफ उनकी अंतरिम अर्जी पर सुनवाई की जाए इसलिए उन्होंने जस्टिस शर्मा के समक्ष अनुरोध किया कि मामले को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया जाए।

बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, वकील ने एनसीएलएटी आने से पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद उन्होंने सोमवार को जस्टिस शर्मा को बताया कि एनसीएलएटी ने पहले ही इस मामले की सुनवाई सोमवार को करने को कहा था। हालांकि, जस्टिस शर्मा ने कहा कि वह कभी भी मेंशन के दौरान कोई तारीख नहीं बताते हैं। उन्होंने कहा, “मैं केवल यह कहता हूं कि हम इसकी सुनवाई करेंगे और फिर रजिस्ट्री एक तारीख तय करेगी।”

जस्टिस ने हाई कोर्ट के अधिकार पर उठाए सवाल

जिसके बाद वकील ने उल्लेख किया कि हाई कोर्ट ने भी कहा था कि अंतरिम आवेदन पर सोमवार को सुनवाई की जाए, जिसके बाद न्यायमूर्ति शर्मा ने उच्च न्यायालय के अधिकार पर सवाल उठाया।

जज ने कहा, “किसी मामले को कब सूचीबद्ध किया जाए इसके लिए एनसीएलएटी को आदेश देने वाला उच्च न्यायालय कौन होता है? एनसीएलएटी को निर्देश देना हाई कोर्ट का काम कैसे है?”

‘हाई कोर्ट एनसीएलएटी को आदेश जारी नहीं कर सकता’

जस्टिस शर्मा ने कहा कि वह भी ‘न्यायपालिका के उसी साइड’ से आये हैं। उन्होंने कहा कि एनसीएलएटी एक अपीलीय न्यायाधिकरण है जो उच्च न्यायालय से स्वतंत्र है और जहां तक ​​वह समझते हैं हाई कोर्ट किसी मामले को सूचीबद्ध करने के लिए अनुरोध कर सकता है पर एनसीएलएटी को आदेश या निर्देश जारी नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा, “मेरी समझ यह है कि उच्च न्यायालय अधिक से अधिक अनुरोध कर सकता है, आदेश नहीं।”

कौन हैं जस्टिस शरद कुमार शर्मा?

जस्टिस शरद कुमार शर्मा को बेंच में पदोन्नत किया गया और मई 2017 में उन्होंने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। दिसंबर 2023 में उनकी सेवानिवृत्ति से पहले अगस्त 2018 में उन्हें स्थायी कर दिया गया था। 30 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने उन्हें एनसीएलएटी, चेन्नई में न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया।

एनसीएलएटी करेगा बायजू की अपील पर सुनवाई

चेन्नई में एनसीएलएटी 29 जुलाई को दिवाला कार्यवाही के खिलाफ बायजू की अपील पर सुनवाई करेगा। मंगलवार को बायजू की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद नायर ने एनसीएलएटी पीठ के समक्ष कर्मचारियों को वेतन देने की आवश्यकता का हवाला देते हुए मामले की जल्द लिस्टिंग पर जोर दिया।

आईबीसी के तहत एनसीएलटी ने अंतरिम रूप से कंपनी के सभी मामलों का प्रबंधन करने के लिए एक रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल पंकज श्रीवास्तव को नियुक्त किया। एडटेक फर्म ने शुरू में कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन बाद में एनसीएलएटी में अपील करने के लिए अपनी याचिका वापस ले ली। जब इस कदम के बारे में सवाल किया गया तो नायर ने शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया, जिस पर पीठ सहमत हो गई। बायजू के लेनदारों में बीसीसीआई का दावा सबसे बड़ा है लेकिन कई अन्य कंपनियों ने भी एड-टेक फर्म के खिलाफ बड़े दावे किए हैं।