NCERT (National Council of Educational Research and Training) की किताबों में हुए बदलाव को लेकर विवाद जारी है। सरकार पर शिक्षा के कथित भगवाकरण का आरोप लग रहा है। NCERT का कहना है कि उन्होंने रेशनलाइजेशन किया है। यह उस कवायद का हिस्सा है, जिसके तहत बच्चों पर सिलेबस का बोझ कम किया जा रहा है।

पिछले साल लिस्ट बनी थी कि किताबों से क्या-क्या हटाया जाएगा। लेकिन अब जब किताब छप कर आ गई है तो पता चल रहा है कि कुछ ऐसी चीजें भी हटाई गई हैं, जो लिस्ट में शामिल नहीं थी। 2014 के बाद से NCERT की किताबों का तीन बार रिव्यू हो चुका है।

हालांकि NIOS (National Institute Of Open Schooling) के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर चंद्रभूषण शर्मा (Chandra Bhushan Sharma) का कहना है कि NCERT और सरकार पर लग रहे आरोप निराधार हैं। प्रोफेसर शर्मा ने जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय कुमार झा से बातचीत में कहा, “NCERT का काम ही यही है कि वह किताबों का देखता रहे और उसमें बदलाव करे। कुछे चीजें आउटडेटेड हो जाती हैं। कुछ कॉमन नॉलेज हो जाता हैं। जब ऐसा होता है, तो उन्हें किताबों से बाहर कर दिया जाता है। यह काम NCERT आज नहीं कर रहा। बल्कि अपनी स्थापना के समय से कर रहा है।”

क्या मोदी सरकार में किताबों के बदलाव में आयी है तेजी?

मोदी सरकार में अब तक तीन बार बुक रिव्यू किए जाने के सवाल पर प्रोफेसर शर्मा ने कहा, “ऐसा नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में यह कम हुआ है। सन् 2000 नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क आया था। एक करिकुलम फ्रेमवर्क का लाइफ 10 साल होता है। 2004 में सरकार बदल गई (अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार चली गई), तो 2005 में ही सरकार ने करिकुलम फ्रेमवर्क बदल दिया। यह राजनीति से प्रेरित था।

जब नई सरकार आई 2014 में तो उसे भी 2015 में करिकुलम फ्रेमवर्क बदल देना चाहिए था लेकिन इस सरकार ने सोचा कि पहले हम एक नीति लाएंगे। जो पुरानी नीतियों से अलग और राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुरूप होगा। उसके बाद ही पाठ्यक्रम को बदलेंगे। उसी के आधार पर ये हो रहा है।”

‘चुनाव की वजह से हो रहा है बवाल’

वर्तमान में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) में बतौर प्रोफेसर कार्यरत सीबी शर्मा का मानना है कि NCERT द्वारा किताबों में बदलाव पर इसलिए बवाल मचा क्योंकि अगले साल लोकसभा के चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा लगता है कि अभी जो विवाद खड़ा किया जा रहा है वह 2024 के चुनाव के मद्देनजर है। अगर ये बदलाव 2019 के जून-जुलाई या 2020 में लाया जाता तो शायद कोई चर्चा ही नहीं होती। लेकिन चुनाव है 2024 में इसलिए चर्चा हो रही है।

क्या हुआ है बदलाव?

NCERT की किताबों में हुए बदलावों के बाद अब करोड़ों छात्रों को कक्षा 10वीं, 11वीं और 12वीं के इतिहास की पुस्तकों में मुगल साम्राज्य, दिल्ली दरबार, अकबरनामा, बादशाहनामा और कई राजनीतिक दलों के उदय की कहानियां पढ़ने को नहीं मिलेंगी। NCERT की किताबों से गुजरात दंगों और आपातकाल से जुड़े अध्याय भी हटा दिये गए हैं। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)