उत्तर प्रदेश की सियासत में सवाल पूछा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव क्या बीजेपी से नाराज हैं? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि अपर्णा यादव को योगी आदित्यनाथ सरकार ने कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश महिला आयोग के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी थी। इस आयोग का अध्यक्ष आगरा की बबीता चौहान को बनाया गया है जबकि गोरखपुर की रहने वालीं चारु चौधरी को भी पार्टी ने उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है। 

मीडिया में इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं कि अपर्णा यादव इस जिम्मेदारी से खुश नहीं हैं। उन्होंने अब तक अपना कार्यभार भी नहीं संभाला है। इसके बाद से ही लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में अपर्णा यादव के अगले कदम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

बीजेपी अपर्णा को मनाने की कोशिश कर रही है। अपर्णा मुलायम सिंह यादव के दत्तक पुत्र प्रतीक यादव की पत्नी हैं।

इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव के एक ट्वीट से भी ऐसा संकेत मिलता है कि उन्होंने अपर्णा की नाराजगी का समर्थन किया है।

शिवपाल से लिया आशीर्वाद

अपर्णा यादव ने महिला आयोग के उपाध्यक्ष का पद तो नहीं संभाला बल्कि वह मुलायम सिंह यादव के भाई और सपा के बड़े नेता शिवपाल सिंह यादव से आशीर्वाद लेने जरूर पहुंच गईं। इसके बाद से ही तमाम तरह की राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई।

शिवपाल यादव से मुलाकात के बाद से ही मीडिया के गलियारों में एक नई चर्चा यह शुरू हो गई कि अपर्णा यादव फिर से सपा का रुख कर सकती हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि वह बीजेपी को छोड़कर सपा में जा सकती हैं।

babita Chouhan | Woman Commission
बबिता चौहान को यूपी महिला आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। (Facebook)

सपा छोड़कर बीजेपी में आई थीं अपर्णा यादव

अपर्णा यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था। तब इस बात की जोरदार चर्चा थी कि अपर्णा यादव को भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट की सीट से चुनाव लड़ा सकती है। लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।

अपर्णा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन तब उन्हें बीजेपी की बड़ी नेता रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था। अपर्णा यादव को बीजेपी में पूरे मान-सम्मान और स्वागत समारोह के बीच लाया गया था। उस वक्त उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे स्वतंत्र देव सिंह और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित पार्टी के कई बड़े दिग्गजों ने अपर्णा यादव को बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी।

विधानसभा, विधान परिषद चुनाव में नहीं मिला टिकट

2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही कहा जा रहा था कि बीजेपी अपर्णा यादव को सरकार या संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद जब जून, 2022 में उत्तर प्रदेश में विधान परिषद सदस्यों के लिए चुनाव हुआ था तब भी यह माना जा रहा था कि बीजेपी अपर्णा यादव को विधान परिषद भेज सकती है। लेकिन अपर्णा यादव को मायूसी का सामना करना पड़ा था और पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।

एक लंबे इंतजार के बाद पार्टी ने अपर्णा को जिम्मेदारी तो दी लेकिन अब इस तरह की खबरों के बीच कि अपर्णा यादव इस जिम्मेदारी से खुश नहीं हैं और यह बीजेपी के लिए परेशान करने वाली स्थिति है।

Yogi Adityanath Akhilesh Yadav
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

अपर्णा से मिलने पहुंचे दयाशंकर सिंह

अपर्णा यादव की नाराजगी की चर्चाओं के बाद भाजपा नेतृत्व भी तुरंत हरकत में आया और उसने पार्टी के बड़े नेता और राज्य सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को अपर्णा यादव से मिलने के लिए भेजा। दयाशंकर सिंह ने अपर्णा यादव से मुलाकात के बाद मीडिया चैनलों से बातचीत में कहा कि अपर्णा यादव बीजेपी की विचारधारा से प्रभावित हैं और वह पार्टी के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने दावे के साथ कहा कि अपर्णा यादव पार्टी से नाराज नहीं हैं।

नजदीक हैं उपचुनाव, योगी-अखिलेश में जुबानी जंग

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों के लिए जल्द उपचुनाव होना है। इस उपचुनाव में भी इंडिया गठबंधन और बीजेपी के बीच सियासी लड़ाई होगी।

2024 में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान

राजनीतिक दल 2024 में मिली सीटें2019 में मिली सीटें
बीजेपी 3362
सपा 375
कांग्रेस61
बीएसपी 010
रालोद2
अपना दल (एस)12
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम)1

बताना होगा कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच जबरदस्त जुबानी जंग चल रही है। अखिलेश यादव ने कुछ दिन पहले कहा कि अगर राज्य में सपा सरकार बनी तो राज्य के बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की तरफ होगा तो योगी आदित्यनाथ ने भी जवाब दिया कि दंगाइयों के आगे नतमस्तक होने वाले लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं और बुलडोजर पर हर किसी व्यक्ति का हाथ सेट नहीं हो सकता।

इसके बाद अखिलेश यादव ने भी उन्हें जवाब दिया। यादव ने कहा कि योगी आदित्यनाथ को अलग पार्टी बनाकर बुलडोजर को चुनाव चिन्ह बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए, उनका सारा भ्रम दूर हो जाएगा।

10 सीटों के लिए यूपी में होने जा रहे उपचुनाव को 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी राजनीतिक दबाव में है जबकि सपा और इंडिया गठबंधन के हौसले बुलंद हैं। देखना होगा कि विधानसभा उपचुनाव से पहले बीजेपी अपर्णा यादव को मना पाएगी या नहीं?