मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक मामले में कुछ राजस्व अधिकारियों को 6 महीने की ट्रेनिंग करने का निर्देश दिया है। यह सभी अधिकारी उच्च न्यायालय के एक आदेश को सही ढंग से नहीं समझ पाये थे।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कानूनी प्रतिनिधियों के नामों के म्यूटेशन के मामले में उच्च न्यायालय के पहले के आदेश को गलत समझने के बाद, नर्मदापुरम के एक तहसीलदार और अतिरिक्त जिला कलेक्टर सहित राजस्व अधिकारियों को 6 महीने की ट्रेनिंग कराने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की सिंगल जज बेंच ने कहा कि कानून के साथ-साथ शीर्ष अदालतों द्वारा दिए गए निर्देशों को समझने में असमर्थ अधिकारी न्यायिक आदेशों के माध्यम से पीड़ितों के अधिकारों का संरक्षण करने में सक्षम नहीं हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा-
“यह निर्देशित किया जाता है कि राज्य सरकार राकेश खजूरिया, तहसीलदार, सिवनी मालवा, जिला नर्मदापुरम और देवेन्द्र कुमार सिंह, अतिरिक्त कलेक्टर, नर्मदापुरम को छह महीने की अवधि के लिए प्रशिक्षण के लिए तुरंत भेजेगी। जबलपुर में बैठी पीठ ने कहा कि कलेक्टर, नर्मदापुरम को एडीएम और तहसीलदार, सिवनी मालवा से सभी न्यायिक व मजिस्ट्रेट से जुड़ी शक्तियां तुरंत वापस लेने का निर्देश दिया जाता है।
एक साल तक कोई भी मजिस्ट्रेट वाला या न्यायिक कार्य नहीं कर पाएंगे अधिकारी
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इन अधिकारियों को एक साल तक किसी भी मजिस्ट्रेट या न्यायिक कार्यों को करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद भी उन्हें एक वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में रहना होगा।
सीनियर ऑफिसर अगले 6 महीनों तक इन अधिकारियों पर रखेगा नजर
अदालत ने राजस्व अधिकारियों के शेष कार्यकाल के लिए कड़ी शर्तें रखीं। हाई कोर्ट ने कहा कि एक सीनियर ऑफिसर अगले 6 महीनों तक इन अधिकारियों की दक्षता की जांच करेगा जब तक कि वह यह सुनिश्चित नहीं कर लेता कि दोषी अधिकारी अब मजिस्ट्रियल और न्यायिक कार्य करने में सक्षम हैं। अगर ऑफिसर को लगता है कि अभी भी अधिकारी अपने दायित्वों का पालन करने में सक्षम नहीं हुए हैं तो उन्हें दोबारा 6 महीने की ट्रेनिंग पर भेजा जाएगा।
अदालत ने राजस्व अदालतों के पिछले आदेश को रद्द करते हुए और अदालत के निर्देशों के अनुरूप पुराने मामले की फ़ाइल को फिर से खोलने का आदेश देते हुए कहा, “तहसीलदार, सिवनी मालवा, जिला नर्मदापुरम इस बात को जानते थे कि विभाजन के संबंध में कुछ सिविल मुकदमा पेंडिंग है। ऐसे में लगता है कि मुकदमेबाजी पक्ष में से एक को लाभ पहुंचाने के इरादे से उन्होंने पटवारी को विभाजन के लिए एक प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया।”
अधिकारी करेंगे 25 हजार रुपये का भुगतान
इसके साथ ही अधिकारियों को अदालत के आदेशों की गलत व्याख्या करने के लिए इस मामले में लागत के रूप में 25000 रुपये का भुगतान करना होगा।
हाई कोर्ट के समक्ष सिवनी मालवा तहसीलदार और नर्मदापुरम अतिरिक्त जिला कलेक्टर दोनों ने किसी को लाभ पहुंचाने के आरोपों से इनकार किया और कहा कि MP 972/2021 में अदालत के आदेश की व्याख्या करने में कोई गलती हुई थी।
राजस्व अधिकारियों ने अपनी शक्तियों के इस्तेमाल में गड़बड़ी की
अदालत ने याचिकाकर्ता को राकेश खजूरिया, तहसीलदार, सिवनी मालवा और एडिशनल कलेक्टर नर्मदापुरम डी.के सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने की भी छूट दी। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि अदालत को लगा कि राजस्व अधिकारियों ने अपनी शक्तियों के इस्तेमाल में गड़बड़ी की थी। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि वे न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा के हकदार नहीं थे।