Mughal Empire: मुगल साम्राज्य में सत्ता के लिए परिवारों के बीच संघर्ष आम था। सत्ता बचाए रखने के लिए जहांगीर (Jahangir) ने अपने बेटे को कैद करवा दिया था। शाहजहां (Shah Jahan) ने अपने दो भाइयों खुसरो और शहरयार की हत्या करवा दी थी। गद्दी मिलने के बाद अपने दो भतीजों और चचेरे भाइयों को भी मरवाया दिया था।
औरंगजेब (Aurangzeb) ने सत्ता के संघर्ष में तो अपने पिता शाहजहां तक को नहीं बख्शा था। औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने वृद्ध पिता को आगरा के किले में कैद करवा दिया था। कैद में ही उनकी मौत हो गयी थी। इतना ही नहीं औरंगजेब ने उत्तराधिकार की लड़ाई में अपने बड़े भाई दारा शिकोह (Dara Shikoh) की भी हत्या करवा दी थी।
उत्तराधिकार की लड़ाई में हार गए थे दारा
शाहजहां को उनका बड़ा बेटा दारा शिकोह अधिक प्रिय था। शाहजहां ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उनके उत्तराधिकारी दारा शिकोह होंगे। शाहजहां दारा शिकोह को हमेशा अपनी नजरों के सामने रखना चाहते थे। यही वजह थी कि वह उन्हें सैन्य अभियानों के लिए भी नहीं भेजते थे। सैन्य अभियानों के नेतृत्व की जिम्मेदारी बहुत कम उम्र में ही शाहजहां के छोटे बेटे औरंगजेब ने संभाल ली थी। दारा शिकोह पढ़ने लिखने और अध्यात्म से जुड़ी चीजों में लगे रहते थे। इस वजह से दारा ना तो सियासत में माहिर हो पाए, ना ही युद्ध कला में पारंगत हो पाए।
शाहजहां जब बीमार हुए तो, औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में कैद करवा दिया। हालांकि तब भी शाहजहां दारा शिकोह की मदद करते रहे। बहन जहांआरा भी दारा शिकोह का ही समर्थन करती थी। अंतत: दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच युद्ध हुआ। दारा शिकोह के पास प्रोफेशनल आर्मी तो नहीं थी लेकिन उनके लिए तमाम नाई, कसाई और मजदूर लड़ने को तैयार हो गए। हालांकि औरंगजेब के सामने दारा शिकोह की सेना टिक नहीं पायी। युद्ध में हार होता देख दारा शिकोह मैदान छोड़ भाग गए। पहले वह आगरा गए, वहां से दिल्ली, पंजाब होते हुए अफगानिस्तान भाग गए। वहां भी दारा शिकोह के साथ धोखा हो गया और उन्हें औरंगजेब की सेना ने पकड़ लिया।
दिल्ली में हुई हत्या
औरंगजेब के सैनिक दारा शिकोह को दिल्ली लेकर आए, जहां उन्हें अपमानित करने लिए सड़कों पर घुमाया गया। जलील किया गया। इसके बाद दारा शिकोह को दिल्ली के ही खिजराबाद स्थित जेल की एक अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया गया। इसी कोठरी में औरंगजेब के आदेश पर दारा शिकोह की हत्या कर दी गई। दारा कटा हुआ सिर औरंगजेब के सामने पेश किया गया था। मुगल बादशाह के आदेश पर अलगे रोज दारा शिकोह के बिना सिर वाले धड़ को फिर से दिल्ली में घुमाया गया। जब लोगों के बीच इस दृश्य को देखकर खौफ फैल गया, तब दारा के शरीर को हुमायूं के मकबरे के प्रांगण में कहीं दफ्न कर दिया गया।
सिर को भेजा गया आगरा
औरंगजेब के आदेश पर दारा शिकोह का सिर दिल्ली से करीब 260 किलोमीटर दूर आगरा किले में कैदा शाहजहां को भेजा गया था। औरंगजेब ने दारा शिकोह के सिर को तश्तरी में सजा कर, कपड़े से ढ़क कर, अपने पिता शाहजहां को तोहफा बताकर भेजा था। लेकिन जैसे ही शाहजहां ने तश्तरी से कपड़ा हटाया, उनकी चीख निकल गई। वह बहुत घबरा गए। इसके बाद औरंगजेब के आदेश पर दारा शिकोह के सिर को शाहजहां के बनवाए ताजमहल के प्रांगण में दफ्न करवा दिया था। औरंगजेब चाहते थे कि जब भी शाहजहां अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल को देखें, उन्हें अपने प्रिय बेटे का कटा हुआ सिर भी याद आए।
मोदी सरकार ढूंढ रही है दारा शिकोह की कब्र
दारा शिकोह की हत्या 1659 में हो गयी थी। अब करीब 350 साल बाद मोदी सरकार दारा शिकोह की कब्र तलाश रही है। इसके लिए पुरातत्वविदों की एक कमेटी भी बनाई गई है। हुमायूं मकबरा के प्रांगण में हुमायूं के अलावा भी सैकड़ों कब्रे हैं। ज्यादातर की पहचान की पुष्टि नहीं हुआ है। इतिहासकार दावा करते रहे हैं कि हुमायूं मकबरा के प्रांगण में ही दारा शिकोह को भी दफ्न किया गया है।
दरअसल दारा शिकोह हिन्दू धर्म से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने इस्लाम और कुरान के अलावा दूसरे धर्मों का साहित्य भी खूब पढ़ा था। उन्होंने बनारस के पंडितों के साथ मिलकर उपनिषदों का अनुवाद किया था। कई इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि औरंगजेब की जगह अगर दारा शिकोह बादशाह बने होते तो मौजूदा भारत की तस्वीर अलग होती।