MBBS के एग्जाम में चार बार फेल हो चुके स्टूडेंट्स एक अनूठी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का पारा चढ़ गया। उन्होंने भड़कते हुए कहा कि हम किस तरह के डॉक्टर बनाने जा रहे हैं। दुनिया के दूसरे किसी भी मुल्क में इसकी अनुमति नहीं मिलने वाली है।

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दरअसल मेडिकल के स्टूडेंट्स की दरखास्त थी कि उन्हें पांचवीं दफा एग्जाम में बैठने की अनुमति दिलाई जाए। वो इससे पहले चार बार फेल हो चुके थे। उनके वकील ने जब सीजेआई से मामले की जल्द सुनवाई की अपील की तो उन्होंने आश्वस्त किया कि वो मामले को लिस्ट कराकर मैरिट के आधार पर सुनेंगे। वकील ने जब तारीख की मांग की तो सीजेआई का पारा चढ़ गया।

छात्रों से बोले सीजेआई- उन्हें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए

सीजेआई बोले कि हम शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रहे हैं। लेकिन क्या ये डॉक्टर बनेंगे। चार बार फेल हो चुके हैं और पांचवीं दफा एग्जाम में बैठने की अनुमति मांगने अदालत चले आए। वो यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने छात्रों से पूछा कि क्या उनका ये ही काम है। इन सब चीजों में पड़ने की बजाए उन्हें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। स्टूडेंट्स के वकील ने जब कोविड 19 का हवाला देकर कहा कि अगर याचिका नहीं सुनी गई तो 1 हजार से ज्यादा बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाएगा। तब सीजेआई ने कहा कि दूसरे छात्र भी तो कोविड के दौरान परीक्षा देकर पास हुए थे। उनका कहना था कि वो मामले पर गौर करके जल्दी तारीख देंगे। बेंच में जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे।

2019 में लागू हुआ था संशोधित ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एक्ट

2019 में Graduate Medical Education (संशोधित) 2019 पास करके 1997 में बनाए गए एक्ट को निष्प्रभावी कर दिया गया था। इसमें प्रावधान है कि मेडिकल के पाठ्यक्रम में किसी भी छात्र को पहले प्रोफेशनल एग्जाम को पास करने के लिए केवल चार बार परीक्षा देने का मौका मिलेगा। अगर वो इनमें पास नहीं हो पाता तो उसे फिर से एग्जाम में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी। छात्रों के लिए ये ही नियम परेशानी की वजह बन गया।