सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार (11 अप्रैल) को जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की पीठ ने यूट्यूबर मनीष कश्यप (Manish Kashyap) की याचिका पर सुनवाई की। कश्यप की पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे पेश हुए।

मुझे तो तमिलनाडु की भाषा भी नहीं आती- दवे

पीठ के सामने उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने दो FIR दर्ज किया है… बिहार की एक जमानत खारिज कर दी गई है। वह दो राज्यों में पांच मुकदमों का सामना कर रहा है। एक अपराध के लिए अलग-अलग कार्यवाही नहीं हो सकती है। इसलिए मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि बिहार के एफआईआर को ही मुख्य एफआईआर बना दिया जाए। …मुझे तमिलनाडु ले जाया जा रहा है वहां की भाषा भी मुझे समझ नहीं आती।”

तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “फर्जी खबरों के कारण मौतें हुईं। यह कोई छोटी बात नहीं थी।” इस पर कोर्ट ने कहा, “जब तक हम इसे फिर से नहीं सुनते, तब तक कोई जबरदस्ती कार्रवाई नहीं की जाएगी”

इसके बाद अधिवक्ता सिब्बल ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। दवे ने इसका विरोध करते हुए कहा, “दो सप्ताह बहुत ज्यादा है। बिहार में अपनी जमानत हासिल करने के लिए मुझे तमिलनाडु में कैद किया जाएगा। NSA कैसे लगाया जा सकता है.. यह आश्चर्यजनक है.. राष्ट्र की संप्रभुता को खतरा है।”

‘मैं भी बिहार का प्रवासी हूं’

दवे की बात सुन जस्टिस संजय करोल ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “मैं बिहार का प्रवासी हूं” जस्टिस करोल की बात पर जस्टिस मुरारी ने त्वरित टिप्पणी दी। उन्होंने कहा, “यह कथन अब बहुत कुछ कहता है।”

जस्टिस करोल का बिहार कनेक्शन

जस्टिस संजय करोल मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं। उनका जन्म शिमला में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई शिमला के सैंट एडवर्ड स्कूल से हुई है। जस्टिस का करोल ने बीए की डिग्री हिस्ट्री ऑनर्स में शिमला स्थित संजौली कॉलेज से ली है। कानून की पढ़ाई हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से की है।

जहां तक उनके बिहार कनेक्शन का सवाल है तो वह सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने से पहले पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। 11 नवंबर 2019 को उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट से पटना हाईकोर्ट स्थानांतरित किया गया था।