हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट पर इस बार लड़ाई एक ‘क्वीन’ और ‘शहजादे’ के बीच है। बीजेपी ने जहां मंडी से बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रानौत को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस की तरफ से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह चुनाव लड़ेंगे। सौरभ पराशर की इस ग्राउंड रिपोर्ट में जानते हैं क्या हैं मंडी के हालात और क्या चाहती है यहां की जनता।

मंडी में चुनाव प्रचार के दौरान जैसे ही कंगना अपनी एसयूवी से बाहर निकलती हैं कुछ ही दूरी पर मंच से एक नारा बजता है, “फूल नहीं चिंगारी है, ये भारत की नारी है।” कुल्लू और मनाली के बीच एक गांव में कंगना जब मतदाताओं को संबोधित करने के लिए बढ़ती हैं तो मंच पर कार्यकर्ता एक नया नारा लगाते हैं, ”राजा-टीका नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे”, जिसका संदर्भ मंडी सीट से कंगना रनौत के कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी विक्रमादित्य सिंह की ओर है।

विक्रमादित्य सिंह को ‘शहजादा’ कहती हैं कंगना

भाजपा द्वारा उन्हें पार्टी में शामिल करने और सीधे लोकसभा टिकट देने से पहले ही कंगना बीजेपी की सपोर्टर रही हैं। उन्होंने पहले भी धारा 370 हटाए जाने और राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। कंगना अपने भाषणों और सभाओं में महिलाओं की अस्मिता के बारे में बात करती हैं और मंडी शाही परिवार के वंशज विक्रमादित्य सिंह के लिए “शहजादा” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती हैं।

कंगना अक्सर कहती हैं, “वह (विक्रमादित्य) मुझे अपवित्र कहते हैं। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या एक महिला ही अपवित्र हो सकती है? एक आदमी अपवित्र नहीं हो सकता। हां, मैं फिल्मों में काम करती हूं, तो क्या? ऐसे पुरुष भी हैं जो वहां काम करते हैं।” भाजपा नेता विकास के बारे में और “हिमाचल प्रदेश की बेटी” होने के बारे में बात करती हैं। वह कहती हैं, “मेरा मनाली में एक घर है। पूरे हिमाचल को विकास की सख्त जरूरत है, सड़कें, हवाई संपर्क, शिक्षा सभी जरूरी है।”

कंगना की आक्रामकता की बीजेपी को जरूरत

बाशिंग में भाजपा कार्यकर्ता मोहन लाल ठाकुर इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहते हैं कि कंगना रानौत की आक्रामकता ही पार्टी की जरूरत है। ठाकुर का कहना है, “उन्हें कोई डरा नहीं सकता। सिर्फ एक अभिनेत्री होने के कारण किए जा रहे अनुचित दावों से वह आहत हैं।”

विक्रमादित्य का सवाल- क्या है कंगना का विजन?

वहीं, दूसरी ओर विक्रमादित्य सिंह एक हिंदुत्व समर्थक, राम मंदिर समर्थक छवि भी पेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने शुद्धता जैसे मुद्दे इसलिए उठाए क्योंकि कंगना ने खुद एक बार गोमांस खाने की वकालत की थी। मैंने उन्हें केवल शुद्धिकरण की हमारी परंपरा की याद दिलाई।

कांग्रेस उम्मीदवार ने बीजेपी कैंडिडेट पर हर चीज़ को महिला-केंद्रित या मोदी-केंद्रित बनाने का भी आरोप लगाया। विक्रमादित्य का कहना है, “याद रखें, मैं भगवान राम का एक कट्टर भक्त और एक गौरवान्वित हिंदू हूं। मैंने अयोध्या में राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह में भी भाग लिया था।” वह सवाल उठाते हैं कि कंगना का विजन क्या है?

मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे विक्रमादित्य

एक तरफ जहां कंगना रानौत को टिकट देने को लेकर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में कुछ नाराजगी की बात सामने आई है, वहीं विक्रमादित्य को एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के मनाली नेता अखिलेश कपूर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “वह मुकाबले में अपनी पूरी जान लगा रही हैं। वह हर दिन 8 से 10 कार्यक्रमों में भाग लेती हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं के घरों पर रात भर रुकती हैं।” कपूर कहते हैं कि कंगना के निजी स्टाफ के रूप में केवल उनके चचेरे भाई हैं।

एक तरफ जहां भीड़ कंगना रानौत को देखने आ रही है और उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़ रही है, यह अनिश्चित है कि क्या यह वोटों में तब्दील होगा। बाशिंग में पास के गांव के पूर्व सरपंच सुरेश ठाकुर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हिमाचल के इस ऊपरी क्षेत्र में पार्टी पारंपरिक रूप से जीतती रही है। हालांकि बीजेपी घुसपैठ करने में कामयाब रही है लेकिन उसमें कांग्रेस जैसा प्रभाव नहीं है।

क्या चाहती है मंडी की जनता?

मंडी के बालकरूपी बाजार में अपने दोस्तों के साथ बैठे महेश कुमार इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, ”अगर आप विधानसभा परिणामों पर विचार करें तो कंगना की संभावनाएं उज्ज्वल हैं।” वहीं, भूतनाथ मार्केट में दुकान चलाने वाले दिलीप कुमार कहते हैं, “कुछ भी हो सकता है। मंडी के लोग परंपरा से प्यार करते हैं। रानौत कोई स्थानीय चेहरा नहीं हैं, विक्रमादित्य की जड़ें यहीं की हैं।” हीम सिंह, जो विक्रमादित्य की रैली में शामिल होने के लिए लगभग 85 किमी दूर सेराज से आए थे, उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “परिणामों की भविष्यवाणी करना कठिन है। जनता का मूड विक्रमादित्य के पक्ष में है।”

मंडी लोकसभा क्षेत्र

क्षेत्रफल की दृष्टि से, मंडी हिमाचल का सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है, जिसमें लाहौल और स्पीति के अलावा मंडी, कुल्लू और चंबा जिले शामिल हैं। अभिनेता से नेता बनीं कंगना के साथ आए भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कंगना ने अब तक कम से कम एक बार तो सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया है। मंडी में लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी सातवें चरण में 1 जून को मतदान होगा।

भाजपा ने पहली बार 1989 में मंडी जीती थी, जब उसके उम्मीदवार महेश्वर सिंह थे। लंबे अंतराल के बाद, 2014 और 2019 में मंडी सीट भाजपा के राम स्वरूप शर्मा ने जीती थी। लेकिन शर्मा के निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह ने सीट वापस ले ली थी। लंबे समय तक यह सीट सिंह परिवार के पास ही थी।

Source- Indian Express

मंडी लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

पिछले आम चुनाव में यहां से बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के आश्रय शर्मा को हराया था। राम स्वरूप को 6.47 लाख और आश्रय को 2.41 लाख वोट मिले थे। हालांकि, राम स्वरूप के निधन के बाद 2021 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की थी।

मंडी लोकसभा चुनाव 2014 परिणाम

लोकसभा चुनाव 2014 में मंडी से बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को हराया था। राम स्वरूप को 3.62 लाख और प्रतिभा को 3.22 लाख वोट मिले थे।