कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बतौर नेता प्रत‍िपक्ष लोकसभा में जो पहला भाषण द‍िया, उसके कुछ अंश र‍िकॉर्ड से हटा द‍िए गए हैं। राहुल ने इस पर आपत्‍त‍ि जताते हुए लोकसभा अध्‍यक्ष को च‍िट्ठी ल‍िखी है।  

सदन में सांसदों द्वारा कही गई बातों में से कोई अंश हटाने का अध‍िकार लोकसभा अध्‍यक्ष या पीठासीन पदाध‍िकारी के पास होता है। इस प्रावधान का मकसद है क‍ि सांसद बोलने की आजादी का दुरुपयोग न कर सकें। इस प्रावधान को अमल में लाने के ल‍िए न‍ियम बने हैं। इसमें यह बताया गया है क‍ि भाषण का अंश हटाए जाने का आधार क्‍या होगा और प्रक्र‍िया क्‍या होगी। 

ऐसे भी उदाहरण देखे गए हैं जब र‍िकॉर्ड से हटाई गई बात को वापस शाम‍िल कर ल‍िया गया है। मतलब हटाने का फैसला पलट द‍िया गया है। 2023 में ही मानसून सत्र में बीजेपी सांसद न‍िश‍िकांत दुबे के मामले में ऐसा हुआ था। 

हटाने के बाद वापस शामिल किया गया था निशिकांत दुबे का बयान

7 अगस्‍त, 2023 को न‍िश‍िकांत दुबे ने कहा था क‍ि कांग्रेस, न्‍यूजक्‍ल‍िक और दो पत्रकारों के चीन से संबंध हैं। कांग्रेस ने इस बयान पर आपत्‍ति‍ जताई तो सदन के र‍िकॉर्ड से इस बात को हटा द‍िया गया, लेक‍िन देर शाम लोकसभा की वेबसाइट पर दुबे के इस बयान को शाम‍िल कर ल‍िया गया था। तब लोकसभा अध्‍यक्ष ब‍िरला ने कहा था क‍ि सदन में स्‍पीकर सर्वोपर‍ि है और उसके पास र‍िकॉर्ड से हटाए गए अंश को वापस लेने का भी अध‍िकार है।

सदन के अंदर कही बातों पर क‍िसी सांसद को अदालत या कमेटी के सामने खड़ा नहीं क‍िया जा सकता

संव‍िधान के आर्ट‍िकल 105 (2) में कहा गया है क‍ि सदन के अंदर कही गई बातों को लेकर क‍िसी भी सांसद को क‍िसी अदालत या कमेटी के सामने खड़ा नहीं क‍िया जा सकता। लेक‍िन, इसका मतलब यह नहीं है क‍ि सांसद सदन के भीतर कुछ भी बोल सकते हैं। सदन के अंदर सांसद का भाषण संसदीय न‍ियमों में बताए गए अनुशासन के दायरे में और सांसदों के साथ सदभाव के तहत होना चाह‍िए। साथ ही, यह स्‍पीकर द्वारा कार्यवाही संचालन के दायरे में होगा। 

ऐसी पाबंदी यह सुन‍िश्‍च‍ित करेगी क‍ि सांसद सदन के भीतर क‍िसी अपमानजनक, अभद्र, अमर्याद‍ित या असंसदीय शब्‍द का प्रयोग नहीं कर सकें। लोकसभा की कार्यवाही चलाने के ल‍िए बनाए गए न‍ियमों में से रूल 380 कहता है क‍ि अगर स्‍पीकर को लगता है क‍ि चर्चा के दौरान कोई अपमानजनक, अभद्र, अमर्याद‍ित या असंसदीय शब्‍द बोला गया है तो ऐसे शब्‍द वह सदन की कार्यवाही के र‍िकॉर्ड से न‍िकालने का आदेश दे सकते हैं।

क्या कहता है रूल 381

रूल 381 में बताया गया है क‍ि सदन की कार्यवाही के र‍िकॉर्ड से बाहर न‍िकाले गए अंश को तारांक‍ित क‍िया जाएगा और इसके ल‍िए ट‍िप्‍पणी भी ल‍िखी जाएगी। साथ ही यह भी ल‍िखा जाएगा ‘अध्‍यक्ष के आदेश से र‍िकॉर्ड में शाम‍िल नहीं’।

लोकसभा सच‍िवालय में न‍िदेशक रहे के. श्रीन‍िवासन ने इंड‍ियन एक्‍सप्रेस को बताया था, ‘अगर कोई सदस्‍य ऐसे शब्‍द इस्‍तेमाल करता है जो असंसदीय, अभद्र या सदन की गर‍िमा को ठेस पहुंचातो हो तो र‍िपोर्ट‍िंग सेक्‍शन के प्रमुख इसे स्‍पीकर या पीठासीन अध‍िकारी को भेजते हैं। वह साथ में संबंध‍ित न‍ियमों का भी हवाला देते हैं और उन शब्‍दों को कार्यवाही से हटाने की स‍िफार‍िश करते हैं।

क्या हैं स्पीकर के अधिकार?

स्‍पीकर को रूल 380 के तहत उसे कार्यवाही से न‍िकालने या उनका इस्‍तेमाल रोकने का आदेश देने का अध‍िकार है। अगर स्‍पीकर ऐसा आदेश देते हैं तो र‍िपोर्ट‍िंग सेक्‍शन र‍िकॉर्ड से उन शब्‍दों को न‍िकाल देते हैं और नोट ल‍िखते हैं क‍ि अध्‍यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड में शाम‍िल नहीं क‍िया गया।

सत्र के अंत में र‍िकॉर्ड से न‍िकाले गए सभी शब्‍दों या वाक्‍यांशों की सूची और इन्‍हें न‍िकाले जाने का कारण स्‍पीकर के दफ्तर, संसद टीवी और संपादकीय व‍िभाग को भी भेजा जाता है। न‍िकाले गए अंश को मीड‍िया में र‍िपोर्ट नहीं क‍िया जा सकता है।