जतिन आनंद
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को नई दिल्ली लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित करने के बाद भाजपा को विपक्ष की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। विपक्ष का कहना है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “परिवारवाद” के बारे में कुछ क्यों नहीं बोल रहे हैं। भाजपा का कहना है कि बांसुरी की उम्मीदवारी का फैसला “जीतने की क्षमता” के आधार पर किया गया था। बता दें कि पीएम मोदी अक्सर भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों पर वंशवादी राजनीति का आरोप लगाते हैं।
किसने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बांसुरी की उम्मीदवारी को “परिवारवाद का जीवंत उदाहरण” बताते हुए, नई दिल्ली की मौजूदा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का टिकट काटने पर सवाल उठाया है।
भारद्वाज ने कहा, “भाजपा परिवारवाद के खिलाफ बड़े-बड़े बयान देती रही है। आज अगर सुषमा स्वराज जी की बेटी को टिकट दिया जा रहा है तो यह परिवारवाद का जीता जागता उदाहरण है। हम भी सुषमा जी का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन क्या अन्य दल, जो दिवंगत नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दे रहे हैं, ऐसे सम्मान के पात्र नहीं हैं? इससे पता चलता है कि भाजपा की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर है।”
कांग्रेस ने भी बीजेपी पर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए एक्स पर लिखा, “बांसुरी स्वराज को दिल्ली से टिकट क्यों दिया गया है? परिवारवाद के अलावा उनका क्या योगदान!”
भाजपा ने कैसे किया बचाव?
भाजपा ने विपक्ष के हमलों से 39 वर्षीय वकील बांसुरी का बचाव करने में देर नहीं की। बांसुरी को पिछले साल मार्च में दिल्ली भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठ के सह-संयोजक के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उन्हें सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया था। उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान Women20 स्पेशल इंगेजमेंट ग्रुप के एक हिस्से के रूप में भी काम किया है, भाजपा के सूत्रों के अनुसार यह निर्णय खुद पीएम ने लिया था।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए दावा किया कि दिल्ली में घोषित पांचों (सात में से) उम्मीदवार कार्यकर्ता हैं। इन सभी ने अपनी योग्यता साबित की है और जमीन पर लोकप्रियता हासिल की है। नेता ने कहा, “राष्ट्रीय नेतृत्व क्या कर सकता था जब नई दिल्ली सीट के 28 सदस्यीय संगठन में एक भी व्यक्ति ने मीनाक्षी लेखी के लिए अपना समर्थन नहीं दिया लेकिन बांसुरी का सर्वसम्मति से समर्थन किया?”
नेता ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी की एक दिग्गज नेता की बेटी होने के नाते बांसुरी ने बहुत कम समय में अपनी मेहनत के दम पर अपार लोकप्रियता हासिल की है।
नेता ने कहा, “नई दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले 10 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के संगठन के सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति का अनुरोध करने के लिए शीर्ष नेतृत्व को लगातार फोन कर रहे हैं।”
मीनाक्षी लेखी का टिकट क्यों कटा?
सूत्र बताते हैं कि मीनाक्षी लेखी की “सार्वजनिक गलतियों” और “सार्वजनिक जुड़ाव की कमी” के कारण पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया। भाजपा ने अपने इंटरनल सर्वे में बांसुरी स्वराज को लोकप्रिय पाया।
लेखी का जिक्र करते हुए एक सूत्र ने कहा, पार्टी को बताया गया कि लेखी क्षेत्र में उपस्थित नहीं रहतीं। साथ ही लोगों के साथ उनका व्यवहार ठीक नहीं है।
सूत्र ने दावा किया कि पिछले साल दिसंबर में हमास को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने के बारे में संसद में एक सवाल पर विवाद पैदा होने के बाद लेखी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने फटकार लगाई थी क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से दो बार इस मुद्दे से खुद को दूर कर लिया था। लेखी ने संसद में स्पष्ट किया था कि उन्होंने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित करने के सवाल वाले किसी भी कागज पर हस्ताक्षर नहीं किया है। सूत्र ने कहा, “इससे पार्टी के भीतर उनकी लोकप्रियता कम हो गई, और यही उनके निर्वाचन क्षेत्र में भी हुआ।”
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का यह भी दावा है कि बांसुरी की उम्मीदवारी ने ‘निष्क्रिय’ कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित कर दिया है, खासकर उन दिग्गजों को, जिन्हें उनकी मां ने चुना था।
सुषमा स्वराज की बेटी होने के अलावा क्या हैं बांसुरी?
बांसुरी ने साल 2007 में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में खुद को एनरोल कराया था। उनके पास 16 साल से अधिक का कानूनी अनुभव है। वह वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं।
बांसुरी ने University of Warwick से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद वह लंदन के बीबीपी लॉ स्कूल में कानून की पढ़ाई के लिए गईं। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री भी हासिल की है।