प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के दो कार्यकाल पूरे हो चुके हैं। तीसरा कार्यकाल पाने के लिए भाजपा प्रचार कर रही है। विपक्ष ‘मोदी सरकार’ की कमियां गिनवा रहा है, ना पूरे हुए वादों की सूची दिखा रहा है।

एक ऐसा ही वादा है किसानों की आय दोगुनी करने का, जिसे पीएम मोदी ने खुद किया था। लेकिन इस चुनाव भाजपा किसानों की आय दोगुनी करने पर बात नहीं कर रही है। भाजपा के प्रचार में इसे प्रमुखता से नहीं उठाया जा रहा है।

भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों का जिक्र प्राकृतिक खेती, सहकारिता नीति और सम्मान नीधि के संदर्भ में तो आता है लेकिन आय डबल करने के वादे को न तो दोहराया गया, न ही इस बात की स्पष्ट जानकारी दी गई है कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी कर दी है। भाजपा ने किसानों के लिए अपने घोषणा पत्र में क्या लिखा है, उसे नीचे दिए पीडीएफ में देख सकते हैं:

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा

साल 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया था कि साल 2022 तक उनकी सरकार किसानों की आय दोगुनी कर देगी। अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने कमेटी भी बनाई।

सरकार की कमेटी ने अनुमान लगाया था कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उनकी सालाना आय में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि करनी होगी। लेकिन सरकार के ही सर्वे बताते हैं कि किसानों की आय में वार्षिक वृद्धि मात्र 2.8% रही है। किसानों की आय कैसे दोगुनी नहीं हुई, इसका पूरा गणित विस्तार से जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

PM Modi
मोदी सरकार में किसानों, कर्मचारियों और उद्योगपतियों का हाल (PTI Photo/Atul Yadav)

डबल आय वाले किसानों की सूची

भाजपा के घोषणा पत्र में किसानों की आय डबल करने की बात भले ही न लिखी हो, लेकिन साल 2022 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) ने उन किसानों पर एक पुस्तक जारी की थी, जिनकी आय दोगुनी हो चुकी है। पुस्तक में सरकारी संस्थान ने 75, 000 किसानों की जानकारी दी है। हालांकि न्यूजलॉन्ड्री की पड़ताल बताती है कि इस पुस्तक में उन किसानों की आय भी दोगुनी करने का दावा किया गया है, जिनके पास खेती के लिए जमीन ही नहीं है, या जिन्होंने खेती बहुत पहले छोड़ दी है।

किसानों को लुभाने के प्रयास हुए असफल

2019 के बजट में सरकार ने इनकम-सपोर्ट स्कीम की घोषणा करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की थी। लेकिन सबसे बड़ा बदलाव 2020 में आया, जब सरकार ने संसद में तीन कृषि कानूनों पास किया। इन कानूनों के जरिए सरकार का घोषित उद्देश्य कृषि बाजार को बिचौलियों और प्राइज रेगुलेशन से मुक्त करना था।

हालांकि, सरकार का सुधार किसानों को पसंद नहीं आया। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने इसका बड़े पैमाने पर विरोध किया। विरोध प्रदेर्शन एक साल तक चला।

कड़े विरोध का सामना करते हुए, मोदी सरकार के पास 2021 के अंत में कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सरकार ने यू-टर्न लिया और कथित सुधार अधर में पड़ गए। आलम यह है कि किसान अभी भी अपनी आय में सुधार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसान लगातार एमएसपी की मांग कर रहे हैं, जिसके बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्किल करें:

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प्रदर्शनकारी किसान (Express photo by Harmeet Sodhi)

हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्य में भाजपा उम्मीदवारों को किसानों के रोष का समाना करना पड़ रहा है। पिछले आम चुनाव में भाजपा हरियाणा की सभी 10 सीटों को जीतने में कामयाब रही थी। किसानों के विरोध के बीच भाजपा इस बार कैसे प्रदर्शन करती है, ये तो चार जून को ही पता चलेगा।

हरियाणा में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी घटनाओं के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

हरियाणा के गांवों में भाजपा उम्मीदवारों से किसान पूछ रहे सवाल- पांच साल कहां थे?

विकसित भारत में किसानों की स्थिति

भाजपा के घोषणा पत्र में भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का वादा किया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख में ICRIER (Indian Council for Research on International Economic Relations) में कृषि के प्रोफेसर अशोक गुलाटी विकसित राष्ट्र की कल्पना में देश के किसानों की स्थिति पर बात करते हैं।

डेटा बताते हैं कि खेती का भारत की कुल जीडीपी में भले ही सिर्फ 18 प्रतिशत का योगदान हो, लेकिन 45 प्रतिशत कार्यबल अब भी कृषि क्षेत्र में ही लगा हुआ है।

गुलाटी लिखते हैं कि अगर हम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो 2047 तक जीडीपी में खेती का योगदान और कम हो जाएगा, लेकिन तब भी देश का 30 प्रतिशत से अधिक वर्कफोर्स खेती-किसानी से जुड़े कामों पर ही निर्भर रहेगा। वह सवाल उठाते हैं कि क्या विकसित भारत में किसान भी समृद्ध होंगे? वह आशंका जताते हैं कि कहीं विकसित भारत शीर्ष 25 प्रतिशत के लिए न हो?

अशोक गुलाटी के तर्क विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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बाएं से- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PC- X)