लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के बीच इस महीने की शुरुआत में सीएसडीएस-लोकनीति प्री पोल सर्वे के नतीजे आए थे। सर्वे के नतीजों से यह सामने आया था कि चुनाव में तीन सबसे बड़े मुद्दे- बेरोजगारी, महंगाई और विकास हैं। जबकि राम मंदिर और हिंंदुत्व जैसे मुद्दे जनता की नजर में बहुत अहमियत नहीं रखते।
लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान हो इसका उल्टा रहा है। ऐसा लगता है कि पूरा चुनाव प्रचार जनता के मुद्दों पर चर्चा के बजाय मछली खाने, गौकशी, संपत्ति के बंटवारे, मंगलसूत्र जैसी बातों पर आकर टिक गया है। चुनाव प्रचार में ताजा विवाद गोमांस और गोकशी का मुद्दा उठा कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने पैदा किया है।

Cow Politics: योगी बोले- गो मांस खाने की छूट क्यों देना चाहती है कांग्रेस?
योगी आदित्यनाथ ने 27 अप्रैल को कहा कि कांग्रेस मुसलमानों को को गो मांस खाने की छूट क्यों देना चाहती है। उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण की धरती पर गोकशी की अनुमति नहीं दी जाएगी और भारत को अफगानिस्तान नहीं बनने दिया जाएगा। योगी का बयान एम्बेड किए गए वीडियो में सुनिए
कांग्रेस का घोषणापत्र ऐसा कहता है क्या?
बीजेपी नेता चुनाव प्रचार के दौरान गौकशी, धन के बंटवारे, मंगलसूत्र छिनने जैसी बातें कांग्रेस घोषणापत्र या उसके नेताओं के बयानों के हवाले से करते रहे हैं। कांग्रेस ने घोषणापत्र में अल्पसंख्यकों के खान-पान से जुड़ी क्या बात कही है, देखिए घोषणापत्र का स्क्रीनशॉट।

भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपनी किताब ‘The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables?’ में लिखा है, “एक वक्त था जब ब्राह्मण सबसे अधिक गोमांस खाया करते थे। …ब्राह्मणों का यज्ञ और कुछ नहीं बल्कि गोमांस के लिए धर्म के नाम पर धूमधाम और समारोह के साथ किए गए निर्दोष जानवरों की हत्या थी।” विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

देश की 71 प्रतिशत आबादी मासांहारी
भारत के रजिस्ट्रार जनरल – Registrar General of India (RGI) द्वारा साल 2014 में प्रकाशित सर्वे के आंकड़ों से पता चला था कि देश की 71 प्रतिशत आबादी मांसाहारी है। मोदी के जिस गृह राज्य गुजरात को लेकर आम धारणा रही है कि वह एक शाकाहारी स्टेट है, वहां के हर पांच से दो लोग मांसाहारी हैं। राज्य की करीब 40 प्रतिशत जनता मांसाहारी है। यहां तक कि गुजरात में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की तुलना में अधिक लोग मांसाहारी भोजन करते हैं। गुजरात में लगभग बराबर संख्या में पुरुष (39.90%) और महिलाएं (38.20%) स्वीकार करती हैं कि वे मांसाहारी हैं।
Narendra Modi Mangalsutra remark: मोदी बोले- मंगलसूत्र को भी नहीं बख्शेगी कांग्रेस
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रंट फुट पर आते हुए कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र पर सवाल उठा दिया। मोदी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में कहा कि कांग्रेस माताओं और बहनों के सोने का हिसाब करेगी और फिर इसे मुसलमानों को बांट देगी, यहां तक कि मंगलसूत्र को भी नहीं बख्शेगी। मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति का बंटवारा करके इसे ‘घुसपैठियों और जिनके अधिक बच्चे हैं’, उनके बीच बांट देगी।
अपनी चुनावी जनसभाओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र को देखने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि इस पर मुस्लिम लीग की छाप है और मुस्लिम लीग की घोषणा पत्र में जो कुछ हिस्सा बचा रह गया है, उसमें वामपंथी पूरी तरह हावी हो चुके हैं। एम्बेड किए गए वीडियो में सुनिए नरेंद्र मोदी का बयान।
Tejashwi Yadav Fish Viral Video: तेजस्वी के मछली खाने का वीडियो
इसके बाद चुनावी चर्चा के केंद्र में आया बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मछली खाने का वीडियो। तेजस्वी ने 8 अप्रैल को अपने एक्स अकाउंट पर वीआईपी पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी के साथ एक वीडियो पोस्ट किया था इस वीडियो में वह मछली खाते हुए दिखाई दिए थे।
लेकिन बीजेपी के नेताओं ने उन पर हमला बोल दिया था और कहा था कि नवरात्रि शुरू होने से ठीक पहले मछली खाना और उसका वीडियो जारी करना तुष्टीकरण की राजनीति है और तेजस्वी यादव सनातन धर्म के विरोधी हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश का कानून किसी को भी कुछ भी खाने से नहीं रोकता, लोग अपनी मर्जी और इच्छा के अनुसार शाकाहारी या मांसाहारी भोजन कर सकते हैं। लेकिन उन्होंने विपक्षी नेताओं द्वारा सावन और नवरात्रि के दौरान क्रमश: मटन और मछली खाने का वीडियो शेयर करने पर आपत्ति जताई।
Sam Pitroda Inheritance Tax: सैम पित्रोदा के बयान पर बवाल
बीजेपी और मोदी ने ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के अमेरिका में लगाए जाने वाले इनहेरिटेंस टैक्स लगाने के बयान को मुद्दा बना लिया। प्रधानमंत्री ने चुनावी जनसभाओं में कहा कि कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर एससी, एसटी और ओबीसी के कोटे में कटौती करके इसे मुसलमानों को दिए जाने का आरोप भी लगाया।
चुनाव के दौरान बीजेपी ने नागरिकता संशोधन कानून को भी मुद्दा बनाया और कहा कि यह कानून किसी व्यक्ति, किसी जाति, किसी मत या किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। योगी ने कहा कि कांग्रेस उन कट्टरपंथियों के दबाव में क्यों आ रही है, जो मानवता के दुश्मन हैं। कांग्रेस का यह वक्तव्य मानवता के खिलाफ है।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में और सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में क्या लोकसभा जैसा इस तरह के मुद्दों पर होना चाहिए। क्या चुनाव में जाति, धर्म और सांप्रदायिक मुद्दे हावी होने चाहिए। कोई भी चुनाव शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों के मुद्दे पर होना चाहिए लेकिन 2024 के चुनाव प्रचार को देखें तो ऐसा नहीं लगता।