अक्सर यह देखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जहां भी जाते हैं, वहां से अपना कोई न कोई रिश्ता जोड़ लेते हैं। साथ ही वह जिस क्षेत्र में पहुंचते हैं, वहां के परिधान में भी नज़र आते हैं। हालांकि ऐसा करने वाले वह पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं। उनसे पहले इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) भी प्रधानमंत्री रहते हुए खुद को स्थानीय लोगों से जोड़ने के लिए इस तरक़ीब का इस्तेमाल किया करती थीं।

वरिष्ठ पत्रकार और ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर (Kuldeep Nayyar) ने अपनी किताब ‘इमरजेंसी की इनसाइड स्टोरी’ में इंदिरा गांधी की इस चतुराई का उदाहरण के साथ वर्णन किया है।

नैयर लिखते हैं कि, ”वह जानती थीं कि आम जनता पर अपनी छाप कैसे छोड़नी है। एक गांव में उन्होंने सादी साड़ी पहनी और अपना सिर बड़ी विनम्रता के साथ ढक लिया। कश्मीर में वह किसी कश्मीरी की तरह कपड़े पहनती थीं। पंजाब में वह कुर्ता और सलवार पहनती थीं और खुद को पंजाबी बताती थीं, क्योंकि उनकी छोटी बहू (संजय की पत्नी मेनका) पंजाब की रहने वाली थीं।

वह गुजरात में खुद को वहां की बहू बताती थीं, क्योंकि उनके पति फिरोज गांधी गुजराती थे। वह जानती थीं कि जनता उनकी इन बातों को पसंद करती है। और हकीकत यह है कि जनता ने कुछ समय तक पसंद किया भी था।”

मोदी खुद को बता चुके हैं बनारस का बेटा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर जिस राज्य में जाते हैं, वहां से अपना कोई न कोई रिश्ता बता देते हैं। उत्तर प्रदेश के बनारस में भाषण देते हुए उन्होंने खुद को ‘बनारस का बेटा’ कहा था। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी बनारस से सांसद भी हैं। वहीं साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बक्सर में खुद को बक्सर का पड़ोसी बताया था। इसी तरह पीएम मोदी जब नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में जाते हैं, तो वहां के ड्रेस में दिखते हैं। जब वह पश्चिम बंगाल जाते हैं, तो वहां की पारंपरिक वेशभूषा में नज़र आते हैं।