जब देश में आपातकाल (Emergency) लगा था तो बीजेपी (तब जनसंघ) के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी बंगलोर (अब बेंगलुरु) में थे। अटल बिहारी वाजपेयी सहित जनसंघ के कई नेता और कांग्रेस के भी कई नेता उनके साथ ही थे। दरअसल ये सभी सदन की संयुक्त चयन समिति की एक बैठक में भाग लेने बंगलोर पहुंचे थे। इस बैठक में दल-बदल के खिलाफ कानून बनाने पर विचार होना था।
आडवाणी और श्यामनंदन मिश्रा (श्याम बाबू) 25 जून, 1975 को ही बंगलोर पहुंचे थे। दोनों एमएलए हॉस्टल की पहली मंजिल पर एक ही कमरे में रुके थे। 26 जनवरी, 1975 की सुबह साढ़े सात बजे कमरे में फोन की घंटी बजी। श्याम बाबू ने फोन उठाया। अगले ही पल यह कहते हुए कि आपके लिए है, रिसीवर आडवाणी को पकड़ा दिया।
दिल्ली से आया था आपात संदेश
फोन जनसंघ के स्थानीय कार्यालय से था। आडवाणी के लिए दिल्ली से एक जरूरी संदेश भिजवाया गया था। जनसंघ के सचिव रामबाबू गोडबोले ने फोन कर बताया था कि तड़के 3.30 बजे जय प्रकाश नारायण गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन्होंने मोरारजी देसाई, राज नारायण, नाना देशमुख, चंद्रशेखर, मोहन धारिया और रामधन के भी पकड़े जाने की खबर दी थी। हालांकि, नाना देशमुख और मोहन धारिया की गिरफ्तारी की खबर बाद में गलत साबित हुई थी।
संदेश यह भी था कि धर-पकड़ जारी है और जल्द ही अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी तक भी पुलिस पहुंच सकती है। वाजपेयी 23 जून से ही बंगलोर में थे। उन्हें भी संसदीय समिति की बैठक में भाग लेना था।
आडवाणी फोन रखते ही वाजपेयी के कमरे में गए और सारी बातें बताईं। दोनों ने तय किया कि गिरफ्तारी से बचने की कोशिश नहीं करनी है। पुलिस आती है तो आए और जहां ले जाना चाहे, ले जाए।
पत्रकार से ले रहे थे हर अपडेट
वाजपेयी के कमरे से आडवाणी अपने कमरे में आए। उन्होंने तुरंत एन. बालू (पीटीआई के पत्रकार) को फोन लगाया। बालू जब दिल्ली में काम करते थे, तभी से आडवाणी का उनसे परिचय था और एक दिन पहले ही वुडलैंड्स होटल में की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों मिले भी थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद दोनों ने बातचीत भी की थी।
बालू ने भी खबर की पुष्टि की। उनके पास टिकर पर जो रिपोर्ट आ रही थी, वह पढ़ कर सुनाने भी लगे। इस रिपोर्ट में गिरफ्तार किए गए कई नेताओं के नाम थे- चौधरी चरण सिंंह, पीलू मोदी, बीजू पटनायक, बलदेव प्रकाश, बलरामजी दास टंडन (प्रकाश और टंडन को अमृतसर में पकड़ा गया था)… रिपोर्ट पढ़ते-पढ़ते बालू अचानक रुक गए। फिर कहा- ये तो बड़ी दिलचस्प खबर है। इसमें तो गिरफ्तार किए गए नेताओं में आपका भी नाम है- लाल कृष्ण आडवाणी, भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष। इस तरह आडवाणी को दिल्ली में अपने गिरफ्तार होने की खबर असल में गिरफ्तारी होने से पहले ही मिल गई थी। बालू ने आडवाणी को लगातार ताजा खबर देते रहने की पेशकश की और वह हर आधे घंटे पर उन्हें अपडेट देते भी रहे।
आठ बजे के रेडियो समाचार ने किया हैरान
जब सुबह के आठ बजे तो आडवाणी ने समाचार सुनने के लिए रेडिया (आकाशवाणी – ऑल इंडिया रेडियाे) ऑन किया। रेडियो पर किसी समाचारवाचक के बजाय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज सुनाई दी। वह कह रही थीं- राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आंतरिक गड़बड़ी के खतरे से निपटने के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी है। साथ ही, वह यह बताने की कोशिश करने लगीं कि अगर आपातकाल नहीं लगाया जाता तो 29 जून को आसमान टूट जाता।
असल में 25 जून को लोक संघर्ष समिति ने संकेत दिया था कि वह 29 जून से दिल्ली में इंदिरा गांधी के इस्तीफे की मांग करते हुए सत्याग्रह शुरू कर सकता है।
अटल बोले- नाश्ता करके रहिए तैयार
इस बीच, अटल बिहारी वाजपेयी भी आडवाणी के कमरे में पहुंच गए। उन्होंने कहा कि हम नाश्ता कर लेते हैं और अगर पुलिस आती है तो उसके लिए तैयार रहते हैं।
आडवाणी नहा चुके थे, पर श्याम बाबू रोज की क्रिया से निवृत्त नहीं हुए थे। इसलिए उन्हें छोड़ कर अटल-आडवाणी ग्राउंड फ्लाेर पर कैंटीन में नाश्ता करने चले गए। दोनों नाश्ते ेेेकी मेज पर बैठे ही थे कि एक कार्यकर्ता ने आकर सूचना दी- पुलिस आ गई है और बाहर इंतजार कर रही है।
कैंटीन से निकलने पर अटल-आडवाणी का सामना एक पुलिस अफसर से हुआ। उसने बताया- हम आपको गिरफ्तार करने आए हैं। दोनों अपना सामान लेने अपने-अपने कमरे में गए। उनके साथ पुलिस के लोग भी ऊपर गए। इस बीच, करीब आधा दर्जन पत्रकार और कई पार्टी कार्यकर्ता भी कमरे में जमा हो गए।
उधर, पुलिस ने बताया कि उन्हें श्याम नंदन मिश्रा को भी ले जाना है। मिश्रा ने तब तक सुबह का आसन वगैरह नहींं किया था। इसलिए अटल-आडवाणी को पत्रकारों के साथ वक्त बिताने का मौका मिल गया। दोनों ने एक साझा बयान जारी किया, जिसमें जेपी और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी व इमरजेंसी लगाने का विरोध किया गया।
कागज दिखाइए, तभी ले जाइए
पुलिस के साथ बाहर जाने से पहले इन नेताओं ने अफसरों से कहा कि वे उन्हें साथ ले चलने का ऑर्डर दिखाएं। थोड़ी कहासुनी के बाद अफसरों ने कहा कि समय आने पर दिखा देंगे। मिश्रा ने बिना ऑर्डर दिखाए जाने से मना कर दिया। तब अफसरों ने आपस में कुछ बात की और इन नेताओं से कहा- ये गिरफ्तारियां सेक्शन 151 (शांति भंग करना) के तहत की जा रही हैं, जिसमें वारंट होना जरूरी नहीं है।
इस सबमें दस बज गए और तब सभी नेता एमएलए हॉस्टल से पुलिस के साथ निकल गए। हॉस्टल से उन्हें हाई ग्राउंड्स हॉस्टल ले जाया गया। पूरे दिन उन्हें वहीं बिठा कर रखा गया। इस बीच एक कार्यकर्ता ने ट्रांजिस्टर की व्यवस्था कर दी थी और आडवाणी उसी पर हर घंटे आने वाला समाचार बुलेटिन सुनते रहे थे। दोपहर में पता चला कि प्रेस पर भी पांबदी लगा दी गई है।
पुलिस पूरे दिन नहीं बना पाई डिटेंशन ऑर्डर
उधर, पुलिस यह तय ही नहीं कर पा रही थी कि गिरफ्तारी आदेश में क्या लिखा जाए। असल में पुलिस को एक लंबी लिस्ट दी गई थी और कहा गया था कि लिस्ट में शामिल जो भी नेता बंगलोर में हों, उन्हें पकड़ लें।
अंतत: शाम सात बजे बंगलोर पुलिस आयुक्त के दस्तखत से अटल-आडवाणी व मिश्रा का डिटेंशन ऑर्डर जारी हुआ। इस बीच सोशलिस्ट पार्टी के नेता मधु दंडवते को भी पकड़ लिया गया था। चारो को रात आठ बजे जेल ले जाया गया।
(लाल कृष्ण आडवाणी की यह जेल डायरी पहली बार 1978 में प्रकाशित हुई थी। Ocean Books ने 2016 में इसे एक बार फिर प्रकाशित किया गया। यहां दिया गया ब्योरा डायरी के पहले अध्याय पर आधारित है।)
