उत्तर प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से एक पर भाजपा किसी मुस्लिम चेहरे को उतार सकती है। यह सीट कुंदरकी है। कुंदरकी मुरादाबाद जिले में पड़ती है और संभल लोकसभा सीट का हिस्सा है।
2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी की कोशिश विधानसभा की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल करके विपक्षी इंडिया गठबंधन को हार का जवाब देने की है और इसलिए पार्टी हर एक सीट पर तमाम समीकरणों को देखते हुए ही उम्मीदवार उतारना चाहती है। कुंदरकी में 60 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। माना जा रहा है कि इसीलिए बीजेपी यहां मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर विरोधी को टक्कर देना चाहती है।
बीजेपी पर यह आरोप लगता है कि वह मुस्लिम समुदाय को उसकी राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं देती। विरोधी दल आरोप लगाते हैं कि बीजेपी मुसलमानों से नफरत की राजनीति करती है। मुसलमानों की हिंदुस्तान की आबादी में हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से ज्यादा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है।

बीजेपी पर विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि वह एनआरसी, सीएए के जरिए मुसलमानों को हिंदुस्तान से बाहर निकालना चाहती है और यूसीसी के जरिये मुसलमानों को परेशान करना चाहती है।
इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने और कुछ बीजेपी नेताओं के आपत्तिजनक बयानों को लेकर भी बीजेपी हमेशा से विपक्षी दलों के निशाने पर रही है।
सिर्फ एक नेता को दिया टिकट
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ एक मुस्लिम को मैदान में उतारा। इनका नाम एम. अब्दुल सलाम है। उन्हें केरल की मल्लपुरम लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि अब्दुल सलाम चुनाव हार गए और चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्हें अपने ही समुदाय का काफी विरोध झेलना पड़ा था।

लोकसभा में कम हुए मुस्लिम सांसद
जाति | 2019 (%) | 2024 (%) |
उच्च जाति | 28.5 | 25.8 |
इंटरमीडिएट कास्ट | 14.4 | 13.6 |
ओबीसी | 22.8 | 25.4 |
एससी | 15.5 | 15.8 |
एसटी | 10.1 | 10.1 |
मुस्लिम | 5.0 | 4.4 |
क्रिश्चियन | 1.3 | 1.3 |
सिख | 2.0 | 2.4 |
बौद्ध | 0.2 | 0 |
सांसद बन गए जियाउर रहमान, खाली हो गई सीट
2022 के विधानसभा चुनाव में कुंदरकी विधानसभा सीट से जिया उर रहमान बर्क ने बीजेपी के उम्मीदवार कमल कुमार को 43,162 वोटों से हराया था। जियाउर रहमान इस बार लोकसभा चुनाव में संभल की सीट से सांसद चुने गए हैं और इस वजह से कुंदरकी में उपचुनाव होना है।
कुंदरकी में 1996 से नहीं बना कोई हिंदू विधायक
साल | विधायक का नाम |
1996 | अकबर हुसैन |
2002 | मोहम्मद रिज़वान |
2007 | अकबर हुसैन |
2012 | मोहम्मद रिज़वान |
2017 | मोहम्मद रिज़वान |
2022 | जिया उर रहमान बर्क |
पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अपने भाषणों में पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने की अपील बीजेपी नेतृत्व से की थी। इसके बाद पार्टी की ओर से पसमांदा समुदाय के बीच मोदी भाईजान जैसे कई कार्यक्रम किए गए। इसमें मोदी सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कामों के बारे में बताया गया था।
पसमांदा (पिछड़ा) समुदाय की आबादी उत्तर प्रदेश में 80% तक है लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस समुदाय के भी किसी भी नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया।
हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद भाजपा ने पसमांदा समुदाय से आने वाले दानिश आजाद अंसारी को विधान परिषद भेजा था और उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार में राज्य मंत्री भी बनाया था।
इसके अलावा पार्टी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति तारिक़ मंसूर को भी विधान परिषद का सदस्य बनाया और उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी। 2022 के उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय से 300 उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से 90% पसमांदा समुदाय से थे।

मोदी 3.0 में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं
1998 में वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में मुख्तार अब्बास नकवी को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शाहनवाज हुसैन और उमर अब्दुल्ला मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में थे। 2004 में चार और 2009 में मुस्लिम समुदाय के 5 नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी।
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार पीएम पद की शपथ ली तो नजमा हेपतुल्ला को मंत्री बनाया गया था और उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया था। 2019 में मुख्तार अब्बास नकवी ने शपथ ली थी और उन्हें भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया था।
जुलाई, 2022 में नकवी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। 2024 में जब नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उनकी सरकार में एक भी मुस्लिम नेता को मंत्री नहीं बनाया गया और ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ।
एनडीए के पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है जबकि मोदी के मंत्रिमंडल में ईसाई और सिख समुदाय के नेताओं को जगह दी गई है।

सीएसडीएस-लोकनीति पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम मतदाताओं ने सबसे ज्यादा वोट दिए। कांग्रेस को लगभग 37% मुस्लिम वोट मिले तो करीब 8 फीसदी मुसलमानों ने बीजेपी को वोट दिया।