किशोर कुमार न सिर्फ गायकी में बल्कि निजी जीवन में भी हरफनमौला थे। उन्हें बतौर गायक अधिक प्रसिद्धि मिली लेकिन वह एक शानदार कॉमेडियन, निर्माता, निर्देशक और लेखक भी थे। आइए उनके शुरुआती जीवन के बारे में जानते हैं।

खंडवा वाला

किशोर कुमार का जन्म चार अगस्त, 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था। पहले नाम आभास कुमार गांगुली था, बाद में किशोर कुमार हो गए। अनिरुद्ध भट्टाचार्जी और पार्थिव धर ने किशोर कुमार की जिंदगी को “किशोर कुमार : द अल्टीमेट बायोग्राफी” नामक किताब में उतारा है। किताब में खंडवा में बीते किशोर कुमार के बचपन के बारे में विस्तार से बताया गया है।

गायक जीवन भर मध्य प्रदेश में अपने जन्मस्थान से जुड़े रहे। संगीत की उनकी शुरुआती रुचि भी खंडवा में ही विकसित हुई। वह बेहद शर्मीले थे, इसलिए अपने दोस्तों के आग्रह पर वह पर्दे के पीछे से गाते थे। हालांकि वह बाद के वर्षों में वह मंच पर अपने जोरदार प्रदर्शन के लिए जाने गए। लेकिन सच्चाई यह भी है कि मंच के डर से उनका जूझना कभी खत्म नहीं हुआ।

किशोर कुमार के प्रारंभिक जीवन के बारे में जानने से यह पता चलता है कि वह खंडवा से किस कदर जुड़े हुए थे। उन्होंने खंडवा को उन्होंने अनौपचारिक रूप से स्क्रीन पर और उसके बाहर भी अपनी पहचान का हिस्सा बनाया। बातचीत में वह खुद को “खंडवावाला” कहते थे।

फिल्म बॉम्बे का चोर (1962) में उनका किरदार कहता है: “मेरा नाम कानन गोपाल खंडवा वाला, जहां से किशोर कुमार आया था”। 13 अक्टूबर, 1987 को 58 साल की उम्र में अपनी मृत्यु से पहले, जब वे इंडस्ट्री के तौर-तरीकों से खुश नहीं थे, तो उन्होंने खंडवा लौटने पर विचार भी किया था।

किशोर कुमार की विलक्षणताओं का पता उनके बचपन से ही लग जाता है। वह एक पालतू जानवर के रूप में सियार को रखना चाहते थे। वह बहुत आराम से पक्षियों और जानवरों की आवाज़ की नकल कर लेते थे। भोजन करते समय अपना बायां पैर मेज पर रखने की आदत जीवन भर रही।

आकाशवाणी में ऑडिशन देने के नाम पर रोने लगे थे

किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार अपने ज़माने के बहुत बड़े स्टार थे। हालांकि किशोर कुमार गायक बनना चाहते थे। लेकिन उन्हें काम के अभाव में अभिनय भी करना पड़ा। इस काम को बेमन से करने के बावजूद वह इंडस्ट्री में कुशल अभिनेता के रूप में उभरे। उन्होंने ‘चलती का नाम गाड़ी’ जैसी फिल्म की। इस फिल्म की एक खास बात यह भी है कि इसमें तीन सगे भाइयों किशोर कुमार, अनूप कुमार और अशोक कुमार ने साथ काम किया था।

आकाशवाणी के ऑडिशन का किस्सा भी मशहूर है। 40 के दशक की शुरुआत में किशोर कुमार को उनके भाई अशोक कुमार उन्हें बच्चों के वर्ग के ऑडिशन के लिए ऑल इंडिया रेडियो ले गए थे। तब युवा किशोर ऑडिशन में नहीं जाना चाहते थे और रास्ते भर खूब रोए थे। ऑडिशन का संचालन संगीतकार मदन मोहन ने किया था। तबले पर युवा राज कपूर थे।

Kishore Kumar
एक्टर किशोर कुमार (Express archive photo)

लता मंगेशकर से मुलाकात

लता मंगेशकर ने किशोर कुमार को पहली बार एक लोकल ट्रेन में देखा था। वह ट्रेन के उसी डिब्बे में चढ़े, जिसमें वह बैठी थीं। उनकी अनोखी पोशाक और तौर-तरीकों ने उनका ध्यान खींचा। मलाड में ट्रेन से उतरने के बाद लता मंगेशकर ने बॉम्बे टॉकीज जाने के लिए तांगा लिया। किशोर कुमार ने भी ऐसा ही किया, जिससे वह घबरा गई।

बॉम्बे टॉकीज पहुंचकर संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने लता मंगेशकर से किशोर कुमार का परिचय कराया। वहीं दोनों अपना पहला डुएट गाया। फिल्म थी ‘जिद्दी’ (1948)। गाना था ‘सपनों की नगरी में ये कौन आया’

Lata Mangeshkar and Kishore Kumar
बाएं से- लता मंगेशकर और किशोर कुमार (Express archive photo)

तीन शीशे लगाकर खुद अपना बाल काटते थे

50 के दशक के मध्य की बात है। तब किशोर कुमार एक लोकप्रिय अभिनेता बनकर उभर थे और अपनी कॉमेडी के लिए लोकप्रिय हो रहे थे। उन दिनों वह अपने चारों ओर तीन शीशे रखकर अपने बाल खुद काटते थे। बाद में उन्हें इसके लिए एक 360-डिग्री का एक शीशा बनवा कर दिया गया।

किशोर कुमार और केएल सहगल

जब उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रखना शुरू किया था, तब उनके आदर्श कुंदनलाल सहगल (केएल सहगल) हुआ करते थे। बचपन में वह दूसरे गायकों के गीत तो 25 पैसे में सुना देते थे। लेकिन केएल सहगल का गाना सुनाने के लिए एक रुपए लेते थे।

एक तरह से किशोर कुमार ने केएल सहगल को अपना गुरु माना। 1970 के दशक में जब किशोर कुमार एक सफल गायक बन चुके थे, तो उन्हें केएल सहगल के गानों को रिकॉर्ड करने का प्रस्ताव मिला। इसके लिए उन्हें मोटी रकम मिलने वाली थी, लेकिन किशोर कुमार ने यह कहते हुए मना कर दिया कि “लोग कहेंगे किशोर अपने को कुंदनलाल से बड़ा समझने लगा है!”

बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किशोर कुमार के घर ‘गौरीकुंज’ में केएल सहगल का एक बड़ा पोर्ट्रेट टंगा रहता था। इसके अलावा उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर और हॉलीवुड के अभिनेता-गायक स्टार डैनी का भी पोर्ट्रेट लगवाया था, जिनके सामने वह रोज सुबह सिर झुकाते थे।