झारखंड में एक ऐसी सीट है, जिसे बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। गढ़ कहने के पीछे वजह यह है कि पिछले 9 लोकसभा चुनाव में यहां 8 बार बीजेपी को जीत मिली है। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से मोदी सरकार के एक मंत्री हारते-हारते बचे थे। उन्हें सिर्फ 1445 मतों के अंतर से जीत मिली थी।

अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित इस सीट का नाम खूंटी है और मामूली अंतर से जीत हासिल करने वाले केंद्रीय मंत्री का नाम अर्जुन मुंडा है।

Arjun Munda Khunti: दो मुंडा नेताओं में है मुकाबला

2019 की ही तरह खूंटी सीट से एक बार फिर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं तो कांग्रेस ने भी पिछले चुनाव में उम्मीदवार रहे कालीचरण मुंडा को ही टिकट दिया है। कालीचरण मुंडा के भाई नीलकंठ सिंह मुंडा बीजेपी के स्थानीय विधायक हैं।

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हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से इंडिया गठबंधन के लिए सहानुभूति (Source- PTI)

अर्जुन मुंडा के पास केंद्र सरकार में जनजाति मंत्रालय का प्रभार है और उनकी एक बड़े आदिवासी नेता के रूप में पहचान है। वह झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा के अलावा यहां से झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस चुनाव लड़ रही हैं। झारखंड पार्टी भी यहां से तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी है।

खूंटी सीट पर जिस तरह बीजेपी लगातार चुनावी जीत हासिल करती रही है, उससे यह कहा जा सकता है कि यह सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है। लेकिन 2019 में जीत का अंतर सिर्फ 1445 मतों का रह गया था, उससे इस बार निश्चित रूप से चुनावी मुकाबला मुश्किल माना जा रहा है। झारखंड पार्टी भी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के उम्मीदवार एनोस एक्का दूसरे नंबर पर रहे थे।

खूंटी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा और कोलेबिरा हैं। यह सभी सीटें अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए आरक्षित हैं।

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केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय। (Source- FB)

Khunti Caste Equation: अनुसूचित जनजाति समुदाय के मतदाता निर्णायक

इस सीट पर अनुसूचित जनजाति समुदाय के मतदाता ही निर्णायक हैं। यहां उनकी आबादी 65% है। खूंटी सीट पर ईसाई समुदाय की आबादी 27% के आसपास है। इस सीट पर 7.02% मुस्लिम और 6.4% दलित मतदाता भी हैं।

Jharkhand India Alliance: एनडीए और इंडिया गठबंधन में है मुकाबला

झारखंड में एनडीए गठबंधन में बीजेपी और आजसू शामिल है जबकि इंडिया गठबंधन में राज्य में सरकार की अगुवाई कर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद और वामदल शामिल हैं। राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 13 पर तो आजसू 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है।

इंडिया गठबंधन की ओर से सात सीटों पर कांग्रेस, पांच पर झामुमो, एक-एक सीट पर माले और आरजेडी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

Hemant Soren Arrest: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को बनाया मुद्दा

यहां याद दिलाना होगा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल में हैं। इंडिया गठबंधन ने उनकी गिरफ्तारी को राज्य में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया हुआ है। इंडिया गठबंधन का कहना है कि एनडीए सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल कर रही है और वह संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहती है।

जबकि एनडीए मोदी सरकार के कामकाज और हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाकर मतदाताओं से वोट मांग रहा है।

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बाएं से अशोक चौधरी, नीतीश कुमार और महेश्वर हजारी। (Source- FB)

Kariya Munda Khunti: 12 बार चुनाव लड़े, 8 बार जीते करिया मुंडा

खूंटी सीट को बीजेपी के वरिष्ठ नेता करिया मुंडा के नाम से जाना जाता है। करिया मुंडा ने अपने जीवन में 12 बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और इसमें उन्हें आठ बार जीत मिली। करिया मुंडा ने अपना पहला चुनाव 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर जीता था लेकिन उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। 1989 से लेकर 1999 तक वह लगातार यहां से चुनाव जीते रहे। 2004 में हार के बाद वह 2009 और 2014 में फिर यहां से चुनाव जीते थे।

करिया मुंडा मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे। वह जनसंघ से बीजेपी में आए थे और झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे लेकिन तब बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को तरजीह दी थी।

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संजय बारू का तर्क है क‍ि मोदी को 370 सीटें आ गईं तो आगे चल कर बीजेपी का वही हश्र होगा जो इंद‍िरा गांधी या राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत म‍िलने के बाद कांग्रेस का हुआ था। (फोटो सोर्स: रॉयटर्स)