कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अचानक ही पूरा विमर्श हनुमान और बजरंगबली पर केंद्रित हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव प्रचार के दौरान जमकर बजरंग बली के जयकारे लगा रहे हैं। हालांकि कर्नाटक में हनुमान पर वाद-विवाद नया नहीं है। भाजपा नेता और राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने जब पिछले साल अंजनाद्री पर्वत पर हनुमान मंदिर के पुनर्विकास के काम का आदेश दिया था, तब भी बजरंगबली चर्चा में आ गए थे।
हनुमान के जन्मस्थान को लेकर विवाद
कर्नाटक सरकार ने अधिकारियों को आदेश दिया था कि कोप्पल जिले की अंजनाद्री पर्वत पर एक मंदिर स्थल के पुनर्विकास के लिए काम शुरू करें। इस स्थान को हिंदू देवता हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। राज्य के पर्यटन मंत्री आनंद सिंह ने कहा था कि परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये अलग रख कर विकास कार्यों का खाका तैयार कर लिया गया है।
यह घोषणा ऐसे समय में हुई थी जब कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में “असली” हनुमान जन्मस्थल को लेकर खींचतान चल रही थी। कर्नाटक का दावा है कि हिंदू भगवान का जन्म उत्तरी कर्नाटक में हम्पी के पास किष्किंधा में अंजनाद्री पर्वत पर हुआ था। आंध्र प्रदेश का दावा है कि अंजनाद्री तिरुमाला की सात पहाड़ियों में है और वहीं हनुमान की जन्म स्थान है। इस मामले में एक अन्य स्टेक होल्डर महाराष्ट्र भी है। वहां के कुछ संत दावा करते हैं कि हनुमान का जन्म नासिक में हुआ था।
क्या है कर्नाटक सरकार का प्लान?
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अंजनाद्री पर्वत पर स्थित हनुमान मंदिर को अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर से पर्यटन गलियारे के माध्यम से जोड़ना चाहती है।
इस परियोजना में अंजनाद्री पर्वत पर पहले से मौजूद विजयनगर कालीन हनुमान मंदिर का पुनर्विकास शामिल है। मंदिर से तुंगभद्रा नदी दिखाई देती है जो हम्पी के विश्व धरोहर स्थल से सिर्फ 20 किमी दूर है। ऐसा माना जाता है कि हम्पी ‘किष्किंधा’ है, जो रामायण में वर्णित ‘वानरों’ या बंदरों का प्राचीन साम्राज्य है।
परियोजना के लिए 60 एकड़ भूमि की जरूरत है। लेकिन 58 एकड़ जमीन किसानों की है। सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड के माध्यम से किसानों की सहमति लेने या खरीदने के बाद भूमि का अधिग्रहण किया जाए।
परियोजना का क्यों हो रहा है विरोध?
फ्रंटलाइन ने अपनी एक रिपोर्ट में स्थानीय लोगों से बातचीत की है, जिसके अनुसार, कुछ साल पहले तक मंदिर में शायद ही कोई दर्शन करने वाला आता था। पिछले तीन वर्षों में राज्य की भाजपा सरकार ने मंदिर के लिए जमकर अनुदान दिया है।
अनेगुंडी (यह उस गांव का नाम है, जहां हनुमान मंदिर है) में, जहां शनिवार को हनुमान मंदिर में 30,000 से अधिक दर्शनार्थी आते हैं, वहां के लोग प्रस्तावित विकास परियोजना का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय किसान इस बात से नाराज हैं कि उन्हें विश्वास में लिए बिना योजनाओं की घोषणा की गई; उन्होंने भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया है।
2.5 एकड़ जमीन पर धान और नारियल उगाने वाले मोहम्मद रफी कहते हैं, “किसान अपनी जमीन बेचने को तैयार नहीं हैं, लेकिन जिला अधिकारी अब हमसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहे हैं और अलग-अलग दरों की पेशकश कर रहे हैं। कोई भी किसान अपनी जमीन बेचने को तैयार नहीं है, लेकिन जो कीमत दी जा रही है, वह बाजार मूल्य से काफी कम है।”
अनेगुंडी में रहने वाले विजयनगर राजवंश के 80 वर्षीय वंशज रामदेवराय ने फ्रंटलाइन को बताया है, “हम अनेगुंडी की आर्किटेक्चुअल हेरिटेज को संरक्षित करना चाहते हैं। यहां जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, उनमें स्थानीय लोगों से राय नहीं ली गई है। योजना कहां है?”
अनेगुंडी कोप्पल जिले में है। यह कोप्पल, रायचूर, विजयनगर और बल्लारी के चार जिलों के ठीक बीच में है। इन सभी जिलों में आदिवासी समुदायों के मतदाताओं का अनुपात अधिक है। चार जिलों में कुल मिलाकर 21 विधायक चुने जाते हैं, जिनमें से आठ एसटी के लिए आरक्षित हैं।