हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन यहां उन्हें लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। मंगलवार को करनाल लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पानीपत शहर सीट से पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली।
रोहिता रेवड़ी हैदराबादी पंजाबी बिरादरी से संबंध रखती हैं और पानीपत की विधानसभा में इस समुदाय के लगभग 18 से 20 हजार वोट हैं। रोहिता रेवड़ी को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह ने पार्टी में शामिल कराया। रोहिता रेवड़ी की हाल ही में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात भी हुई थी लेकिन वह बीजेपी में नहीं रुकीं।

2014 में विधायक बनी थीं रोहिता रेवड़ी
रोहिता रेवड़ी 2014 के विधानसभा चुनाव में पानीपत शहरी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती थीं लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। बताया जाता है कि इस बार पार्टी नेतृत्व की ओर से टिकट के लिए कोई ठोस आश्वासन न मिलने के कारण ही उन्होंने पार्टी को अलविदा कहा है। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस रोहिता रेवाड़ी को पानीपत शहरी सीट से टिकट दे सकती है। हरियाणा में 5 महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। रोहिता 2013 में निगम पार्षद का चुनाव भी जीत चुकी हैं।
रोहिता रेवड़ी के पति सुरेंद्र रेवड़ी व्यापारी हैं और पानीपत शहर में सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं। माना जाता है कि पानीपत शहर में पंजाबी हैदराबादी बिरादरी का ज्यादातर वोट एक ओर ही जाता है, ऐसे में रोहिता रेवड़ी के कांग्रेस में आने की वजह से बीजेपी को यहां नुकसान हो सकता है।

मनोज वधवा भी कांग्रेस में शामिल
रोहिता से एक दिन पहले मनोज वधवा ने भी पार्टी से किनारा कर लिया था और वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। मनोज वधवा ने 2014 में मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ इनेलो के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। मनोज वधवा करनाल नगर निगम में डिप्टी मेयर रहे हैं और उनकी पत्नी आशा वधवा करनाल नगर निगम का चुनाव लड़ चुकी हैं।
Manohar Lal Khattar: खट्टर पर है बड़ी जिम्मेदारी
खट्टर चूंकि अक्टूबर 2014 से मार्च 2024 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं और बीजेपी ने हाल ही में हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन किया है, ऐसे में लोकसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी खट्टर पर ही है। खट्टर करनाल के अलावा बाकी अन्य लोकसभा सीटों पर भी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हरियाणा में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा भी वही हैं।

बड़े अंतर से जीती बीजेपी
करनाल लोकसभा सीट पर बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में 6.50 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल हुई थी। तब पार्टी के उम्मीदवार रहे संजय भाटिया को 70% वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप शर्मा 20% के आसपास वोट ले पाए थे। कुछ ऐसा ही हाल 2014 में भी रहा था, जब बीजेपी के टिकट पर जीते अश्विनी कुमार चोपड़ा ने 50% के करीब वोट हासिल किए थे और उन्हें 3.50 लाख वोटों के अंतर से चुनाव में जीत मिली थी।
हालांकि 2009 में करनाल से कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंद कुमार शर्मा ने जीत हासिल की थी और तब बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही थी।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो भाजपा करनाल सीट पर काफी मजबूत दिख रही है लेकिन जिस तरह एक के बाद एक नेता बीजेपी का साथ छोड़ रहे हैं, इससे यहां चुनावी लड़ाई आसान नहीं है।

Karnal Lok Sabha: 9 में से 5 सीट हैं बीजेपी के पास
करनाल लोकसभा में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम नीलोखड़ी, इंद्री, करनाल, घरौंडा, असंध, पानीपत शहरी, पानीपत ग्रामीण, इसराना और समालखा हैं। इनमें से पांच विधानसभा सीट बीजेपी के पास हैं जबकि तीन सीट कांग्रेस के पास। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी।
करनाल सीट से कांग्रेस ने एकदम युवा चेहरे और हरियाणा युवक कांग्रेस के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा को उम्मीदवार बनाया है जबकि एनसीपी (शरद चंद्र पवार) के टिकट पर मराठा नेता वीरेंद्र वर्मा चुनाव मैदान में हैं।
