भोजपुरी स्टार पवन सिंह के नामांकन के बाद चर्चा में आई बिहार की काराकाट सीट से अब पवन की मां प्रतिमा देवी ने भी निर्दलीय नामांकन किया है। जानकारों का कहना है कि पवन सिंह ने बीजेपी को हराने के लिए मां का सहारा लिया है।

बुधवार को पवन सिंह की मां सासाराम के कलेक्ट्रेट में पहुंची और नामांकन का पर्चा दाखिल कर चुपचाप रवाना हो गई। बेटे पवन सिंह के नामांकन रद्द होने की आशंका पर मां ने भी नॉमिनेशन किया है। ऐसे में अगर बेटे का नामांकन रद्द होता है तो मां चुनाव लड़ेंगी। काराकाट सीट पर लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में 1 जून को वोटिंग होगी। 15 मई को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 16 मई तक नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है।

आसनसोल से पवन सिंह को बीजेपी ने दिया था टिकट

बीजेपी ने पिछले महीने पश्चिम बंगाल के आसनसोल से भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को टीएमसी के शत्रुघ्‍न स‍िन्‍हा के ख‍िलाफ उम्‍मीदवार घोष‍ित कर द‍िया था। टिकट मिलने के 24 घंटे बाद ही पवन ने आसनसोल से चुनाव लड़ने से मना कर द‍िया। बीजेपी ने पवन को मनाने की कई कोशिशें की, कई बड़े नेताओं को भी उन्हें समझाने के लिए भेजा पर सब बेनतीजा रहा और पावन आसनसोल से चुनाव लड़ने को राजी नहीं हुए। पवन सिंह ने इसके बाद काराकाट से न‍िर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर द‍िया।

पवन सिंह ने 9 मई को जिला मुख्यालय स्थित सासाराम के समाहरणालय में जिलाधिकारी नवीन कुमार के समक्ष अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया था। जिसके बाद एक चुनावी सभा मे भोजपुरी स्टार के लिए मां ने भी आंचल फैलाकर वोट मांगा था। पवन की मां ने कहा था कि मैंने अपना बेटा काराकाट के लोगों को सौंप दिया है. जब भी यह गलती करें तो कान ऐंठ कर इसे सबक जरूर सिखाएं पर वोट पवन को ही दें क्योंकि पवन काराकाट का बेटा है और मेरे बेटे को जिताकर काराकाट से सांसद बनाएं।

काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला

काराकाट सीट से एनडीए के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा भी चुनावी मैदान में हैं। वहीं इंडिया गठबंधन से राजाराम कुशवाहा मैदान में है। अब बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह और उनकी मां प्रतिमा देवी के नामांकन से चुनाव बेहद ही रोमांचक हो गया है। गौरतलब है कि एनडीए ने गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा को इकलौती सीट काराकाट ही दी है, ऐसे में अगर उपेंद्र यहां से हार जाते हैं तो उनका लोकसभा पहुंचने का रास्ता मुश्किल हो जाएगा।

काराकाट से ही क्‍यों उतरे पवन सिंह?

काराकाट लोकसभा क्षेत्र आरा जिले के पास का क्षेत्र है। काराकाट सीट पर आरा की तरह ही बड़ी संख्या में सवर्ण खासकर राजपूत आबादी है। काराकाट में 18.50 लाख से अधिक मतदाता हैं। जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक, यहां दो लाख से ज्यादा राजपूत वोटर्स हैं, 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर हैं। 2008 में वजूद में आई काराकाट लोकसभा सीट में कुशवाहा मतदाता लगभग 2 लाख और 2 लाख यादव वोटर्स हैं। पिछले तीन चुनाव में इसी वर्ग के नेता यहां से जीते हैं।

इसके साथ ही यहां लवकुश (कोइरी-कुर्मी) मतदाता ढाई लाख हैं। काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा कोइरी जाति के हैं जबकि सीपीआई(एमएल) के उम्मीदवार राजा राम सिंह कुशवाहा भी इसी जाति से हैं। ऐसे में यहां कोइरी जाति के वोट दोनों उम्मीदवार में बटेंगे। ऐसे में राजपूत जाति से आने वाले पवन सिंह अगर सवर्ण वोट साध लेते हैं तो वह काराकाट के चुनाव परिणाम पर असर डाल सकते हैं।

पवन ने आसनसोल से क्यों वापस लिया था नाम?

मार्च में पवन सिंह ने आसनसोल से शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया था। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने उनके कुछ गानों में बंगाली महिलाओं के प्रति अभद्र और अपमानजनक संदर्भ होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पवन ने उस समय कहा था कि वह आरा, बक्सर या काराकाट से चुनाव लड़ सकते हैं।

काराकाट लोकसभा क्षेत्र

बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक काराकाट सीट परिसीमन के बाद 2008 में वजूद में आई। काराकाट लोकसभा क्षेत्र में दो ज‍िलों की छह व‍िधानसभा सीटें आती हैं। रोहतास की डेहरी, नोखा और काराकाट और औरंगाबाद की गोह, ओबरा, नबीनगर। रोहतास ज‍िले में भोजपुरी बोली जाती है और औरंगाबाद में मगही। 2009 के चुनाव को जीतकर जेडीयू के महाबली कुशवाहा यहां से पहले एमपी बने थे। उपेंद्र कुशवाहा ने 2014 में और फिर महाबली कुशवाहा ने 2019 में यहां जीत हासिल की।

काराकाट लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम

2019 के आम चुनाव में महाबली कुशवाहा ने यहां जीत हासिल की। उन्होंने आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था। उपेंद्र को 3.13 लाख और महाबली को 3.98 लाख वोट मिले थे।

पार्टीकैंडिडेटवोट प्रतिशत
आरएलएसपी उपेंद्र कुशवाहा 37.19
जेडीयू महाबली कुशवाहा47.21

काराकाट लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम

2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने यहां से जीत हासिल की। उन्होंने आरजेडी के कांति सिंह को हराया था। उपेंद्र को 3.38 लाख और कांति को 2.33 लाख वोट मिले थे।

पार्टीकैंडिडेटवोट प्रतिशत
आरएलएसपीउपेंद्र कुशवाहा42.90
आरजेडी कांति सिंह29.58
जेडीयू महाबली सिंह 9.79