कांग्रेस के टिकट पर हिमाचल प्रदेश में एक ऐसे वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ रहे हैं जो एक वक्त में गांधी परिवार के करीबियों में शुमार थे लेकिन 2020 में हालात कुछ इस कदर बदले कि वह गांधी परिवार को चुनौती देने वाले नेताओं के गुट G-23 में शामिल हो गए।

इसके बाद लंबे वक्त तक उनकी गांधी परिवार से अनबन रही लेकिन फिर भी पार्टी ने उन्हें कांगड़ा सीट पर कांग्रेस को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। हम बात कर रहे हैं आनंद शर्मा की।

1998 से अब तक एक बार ही जीती है कांग्रेस

आनंद शर्मा 42 साल बाद चुनाव मैदान में उतरे हैं। इससे पहले उन्होंने 1982 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था और उस चुनाव में भी वह हार गए थे। कांगड़ा सीट पर आनंद शर्मा का मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार राजीव भारद्वाज से है। इस सीट पर आनंद शर्मा के सामने कठिन चुनौती है क्योंकि 1998 से अब तक कांग्रेस यहां सिर्फ एक बार ही जीत दर्ज कर सकी है। 2004 में यहां से चंद्र कुमार जीते थे और तब भी उन्हें सिर्फ 18000 वोटों के अंतर से ही जीत मिली थी।

गांधी परिवार से नजदीकियों की वजह से ही पार्टी ने आनंद शर्मा को मात्र 31 साल की उम्र में राज्यसभा सांसद बनाया था।

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संजय बारू का तर्क है क‍ि मोदी को 370 सीटें आ गईं तो आगे चल कर बीजेपी का वही हश्र होगा जो इंद‍िरा गांधी या राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत म‍िलने के बाद कांग्रेस का हुआ था। (फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

Anand Sharma Congress: अहम पदों पर रहे हैं आनंद शर्मा

2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें वाणिज्य, उद्योग जैसे अहम मामलों का मंत्री बनाया गया। वह 2004 से लगातार 2022 तक राज्यसभा के सदस्य बने रहे। वह पार्टी के मुख्य प्रवक्ता जैसा अहम दायित्व भी संभाल चुके हैं और लोकसभा व राज्यसभा में कांग्रेस के उप नेता रहे हैं। आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश युवक कांग्रेस और भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।

Caste Census: जाति जनगणना का किया था विरोध

इस साल मार्च में आनंद शर्मा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था और जाति जनगणना कराए जाने के कांग्रेस के वादे का विरोध किया था। कांग्रेस में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC का सदस्य होने के बाद भी उन्होंने कांग्रेस पार्टी के सबसे अहम मुद्दे का विरोध किया था। बताना होगा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जाति जनगणना कराने का वादा किया है।

Congress G-23: सोनिया को लिखा था पत्र

अगस्त 2020 में आनंद शर्मा का नाम तब अचानक सुर्खियों में आया था जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मिलकर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इस पत्र में कांग्रेस पार्टी में बड़े सुधार लाने की मांग की गई थी। इस पत्र के लिखे जाने के बाद शर्मा पार्टी में बिल्कुल अलग-थलग पड़ गए थे।

आनंद शर्मा ने साल 2021 में कांग्रेस के द्वारा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ गठबंधन का भी खुलकर विरोध किया था। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी आनंद शर्मा ने बगावती तेवर दिखाए थे और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी। (Source-FB)

Kangra Shanta Kumar: चार बार जीते शांता कुमार

कांगड़ा सीट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में यह सीट बीजेपी का मजबूत किला मानी जाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांगड़ा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार किशन कपूर ने कांग्रेस के उम्मीदवार पवन काजल को 4.70 लाख वोटों से हराया था। इसलिए आनंद शर्मा के लिए यहां पर जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है।

कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें आती हैं और 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने 11 सीटें जीती थी। इन सीटों के नाम चुराह (एससी), चम्बा, डलहौजी, भट्टियात, नूरपुर, इंदौरा (एससी), फतेहपुर, जवाली, ज्वालामुखी, जयसिंहपुर (एससी), सुल्ला, नगरोटा, कांगड़ा, शाहपुर, धर्मशाला, पालमपुर, बैजनाथ (एससी) हैं।

कांगड़ा की हरियाणा की राजनीति में एक अलग जगह है। कहा जाता है कि शिमला जाने का रास्ता कांगड़ा से होकर जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कांगड़ा जिले की 15 विधानसभा सीटों में से 10 पर जीत हासिल की थी।

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मुंगेर में एक जनसभा के दौरान नीतीश कुमार (Source- ANI)

Kangra Lok Sabha Seat: कांग्रेस के 11 विधायकों पर है जीत दिलाने की जिम्मेदारी

कांगड़ा में कांग्रेस के 11 में से 9 विधायक कैबिनेट रैंक वाले हैं। इन 9 विधायकों में से भी दो कैबिनेट मंत्री हैं। कांग्रेस की ओर से इन विधायकों पर इस बात का दबाव है कि वह यहां कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करें क्योंकि पार्टी ने उन्हें बड़ा ओहदा दिया है।

आनंद शर्मा पर यहां बाहरी होने का भी आरोप लग रहा है क्योंकि आनंद शर्मा शिमला में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। लेकिन कांग्रेस यहां लोगों को बता रही है कि किस तरह आनंद शर्मा ने भारत सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्री रहते हुए कांगड़ा के लिए बहुत सारे प्रोजेक्ट लगाए थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और आनंद शर्मा अच्छे दोस्त भी हैं इसलिए सुखविंदर सिंह सुक्खू आनंद शर्मा की जीत के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं।

Himachal Pradesh BJP: मोदी लहर के भरोसे है बीजेपी

बीजेपी कांगड़ा में मोदी लहर के भरोसे है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन मंडी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ी थी। तब इस सीट से प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने जीत हासिल की थी।

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(From L-R) अभय चौटाला, सुशील गुप्ता और नवीन जिंदल (Source- Express Archive)