बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व, हरियाणा की सरकार और राज्य में पार्टी का संगठन, तीनों एक ही लक्ष्य पर काम कर रहे हैं कि किस तरह हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई जाए। लेकिन क्या पार्टी की सांसद कंगना रनौत का किसानों को लेकर दिया गया ताजा बयान बीजेपी को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सकता है?
साल 2020 में जब कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से आंदोलन शुरू हुआ था तो यह आगे बढ़ते हुए हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के बाकी हिस्सों में भी फैल गया था। लेकिन किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर हरियाणा और पंजाब में ही देखने को मिला था।
देश भर से आए किसानों ने हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर और यूपी-दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाल दिया था। मोदी सरकार ने किसानों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बाद कृषि कानूनों को वापस ले लिया था लेकिन किसानों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ था।

लोकसभा चुनाव में हुआ था बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान हरियाणा और पंजाब में बीजेपी के उम्मीदवारों को किसान संगठनों के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। हरियाणा में किसान राजनीति काफी प्रभावशाली है। यह एक खेती-बाड़ी प्रधान प्रदेश है जहां पर बड़े पैमाने पर किसान हैं। कंगना के बयान से यहां एक बार फिर किसान नाराज हो गए हैं।
लोकसभा चुनाव के नतीजे जब आए तो उसमें यह साफ दिखाई दिया कि ग्रामीण इलाकों में जहां पर किसान ज्यादा हैं, वहां बीजेपी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा जबकि पिछली बार उसने राज्य की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही उसका वोट शेयर भी गिरा था।
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हुआ नुकसान
राजनीतिक दल | विधानसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2014 में मिली सीट | विधानसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2019 में मिली सीट | लोकसभा चुनाव 2024 में मिली सीट |
कांग्रेस | 15 | 1 | 31 | 0 | 5 |
बीजेपी | 47 | 7 | 40 | 10 | 5 |
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा, बीजेपी का घटा
राजनीतिक दल | लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट (प्रतिशत में) | लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट (प्रतिशत में) |
कांग्रेस | 28.51 | 43.67 |
बीजेपी | 58.21 | 46.11 |
सभी फसलों को एमएसपी पर खरीदने का ऐलान
चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार ने किसानों के समर्थन में बड़ा ऐलान किया और कहा कि वह प्रदेश की सभी 23 फसलों को एमएसपी पर खरीदेगी। इस ऐलान के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि किसानों का विरोध और गुस्सा कम हो जाएगा लेकिन इसी बीच हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से सांसद कंगना रनौत के द्वारा एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दिए गए बयान के बाद फिर से किसान नाराज हो गए।
कंगना ने इंटरव्यू में कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान बलात्कार और हत्या की घटनाएं हुई और अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो देश में बांग्लादेश जैसे हालात बन सकते थे। कंगना का बयान सामने आने के बाद से ही हरियाणा और पंजाब में किसान फिर से सड़कों पर उतर आए हैं और चुनाव के इस मौके पर कांग्रेस सहित बाकी विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी कंगना के बयान को लेकर बीजेपी को घेर लिया है।
किसानों और विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा लगातार किसानों को अपमानित करने का काम कर रही है और अगर बीजेपी कंगना रनौत के बयान से सहमत नहीं है तो उसे सांसद को पार्टी से बाहर निकाल देना चाहिए।
बैकफुट पर आई बीजेपी, कहा- हम सहमत नहीं
बीजेपी जानती है कि कंगना के बयान की वजह से हरियाणा में उसे राजनीतिक नुकसान हो सकता है इसलिए पार्टी ने तुरंत इस मामले में बयान जारी कर कहा कि कंगना रनौत द्वारा दिया गया बयान पार्टी का मत नहीं है और पार्टी कंगना के बयान से सहमत नहीं है। बीजेपी ने यह भी कहा कि कंगना रनौत को यह निर्देश दिया गया है कि वह इस प्रकार के बयान भविष्य में ना दें।
यहां पर याद दिलाना होगा कि जब किसान आंदोलन चल रहा था तब भी कंगना रनौत के बुजुर्ग महिला किसान को लेकर की गई पोस्ट को लेकर काफी विवाद हुआ था।
इस साल मार्च में जब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर रहे थे तो हरियाणा की बीजेपी सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था, तब से किसान लगातार वहां बैठे हुए हैं।

किन जिलों में है किसानों का असर
अब सवाल यह है कि कंगना रनौत के इस हालिया बयान से बीजेपी को हरियाणा में किन जिलों में विधानसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है?
हरियाणा में सोनीपत, रोहतक, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, जींद, सिरसा ऐसे जिले हैं, जहां पर किसानों की ठीक-ठाक आबादी और असर भी है। 90 सीटों वाले हरियाणा प्रदेश में किसानों का असर 45 से 50 विधानसभा सीटों पर है। ऐसे में अगर बीजेपी किसानों का गुस्सा कम करने में कामयाब नहीं हुई तो उसे विधानसभा चुनाव में नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
कंगना के बयान के बाद जिस तरह किसानों और विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ आक्रामक तेवर अपना लिए हैं, वह चुनाव में बीजेपी के लिए निश्चित रूप से मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
किसानों की नाराजगी के अलावा हरियाणा में महिला पहलवानों के द्वारा बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों, अग्निवीर योजना, महंगाई, बेरोजगारी की वजह से भी बीजेपी विपक्ष के निशाने पर है।