पिछले दिनों केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुभाष चंद्र बोस को अविभाजित भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया। सिंह ने कहा, ‘बोस ने उस समय ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र ‘आजाद हिंद सरकार’ का गठन किया था।’
रक्षा मंत्री के बायन के बाद अन्य भाजपा नेताओं ने भी इस तरह कि बातें कहीं। सांसद राजवर्धन सिंह राठौर ने ट्विटर पर लिखा, ”अविभाजित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी की यह बात पूर्णत: प्रामाणिक है। असल में नेहरू को पहला प्रधानमंत्री बताना इतिहास में घोटाला करने जैसा है और कांग्रेस शासन में ऐसे घोटाले खूब हुए हैं।”
अब सवाल उठता है कि क्या सच में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नहीं हैं? आखिर केद्रीय मंत्रियों के इतने बड़े बयान की सच्चाई क्या है?
गलत है राजनाथ सिंह का बयान
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बयान सही नहीं है क्योंकि भारत-पाकिस्तान के बंटावारे का औपचारिक ऐलान 3 जून, 1947 को हुआ था। और नेहरू भारत की अंतरिम सरकार में 6 जुलाई 1946 को ही प्रधानमंत्री बन गए थे। दरअसल भारत तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। लेकिन ब्रिटेन ने भारतीयों के हाथ में सत्ता एक साल पहले सौंप दी थी। जिसके तहत भारत में अंतरिम सरकार बनी थी। तय हुआ कि कांग्रेस का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री बनेगा। 6 जुलाई 1946 को नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष चुने लिए गए और अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बने। इसके बाद भारत में पहला आम चुनाव हुआ नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री भी बनें।
सुभाष चंद्र बोस कब बने प्रधानमंत्री?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में ‘आजाद हिंद सरकार’ का जिक्र किया है। बोस इसी सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे। अब यहां ये समझ लेना जरूरी है कि ‘आजाद हिंद सरकार’ क्या है। दरअसल साल 1940 में अंग्रेजों ने बोस को उनके घर में ही नजरबंद किया था। लेकिन 1941 की शुरुआत में वह अंग्रेजों की आंख में धूल झोंककर भागने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने देश के बाहर से आजादी की लड़ाई लड़ी।
21 अक्टूबर, 1943 को उन्होंने सिंगापुर में निर्वासित सरकार के गठन की घोषणा की थी। उसे उन्होंने आजाद हिंद सरकार नाम दिया, खुद को सरकार का हेड ऑफ स्टेट यानी प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री घोषित किया। इस सरकार की अपनी फौज (आजाद हिंद फौज), करेंसी, कोर्ट, सिविल कोड, और राष्ट्रगान भी था। सुभाष चंद्र बोस की सरकार को 9 देशों जापान, जर्मनी, इटली, क्रोएशिया, बर्मा, थाईलैंड, फिलीपीन्स, मांचुको (मंचूरिया) और रिपब्लिक ऑफ चाइना ने मान्यता दी थी। इस तरह की सरकारों को ‘Government In Exile’ कहा जाता है। आसान भाषा में ऐसी सरकारों को देश से बाहर बनाई गई सरकार कह सकते हैं।
सुभाष चंद्र बोस पहले नहीं
सुभाष चंद्र बोस निर्वासित सरकार बनाने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे। उनसे पहले दिसंबर 1915 में महेंद्र प्रताप और मौलाना बरकतउल्ला काबूल में भारत की पहली निर्वासित सरकार बना चुके थे। उस सरकार में हाथरस के राजकुमार महेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रपति और मौलाना बरकतउल्ला प्रधानमंत्री थे। उनकी सरकार को ‘हुकूमत-ए-मुख्तार-ए-हिंद’ कहा जाता था। इस तरह भारत की पहली निर्वासित के प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्ला थे।