लॉजिकली फैक्ट्स: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस एक भीड़ का पीछा कर लोगों को पीट रही है। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हालिया हिंसा का है।

क्या है दावा?

एक X यूज़र ने वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया: “संभल में दंगाइयों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करती यूपी पुलिस. जो लोग शांति भंग करते हैं उन्हें इसका अंजाम भुगतना होगा। पुलिस कानून-व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की हिफाजत का काम कर रही है।” देखिए स्क्रीनशॉट।

वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

नवंबर 24, 2024 को संभल में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के बाद यह वीडियो वायरल होना शुरू हुआ। संभल में हिंसा शाही जामा मस्जिद के सर्वे के लिए अदालत के आदेश पर वहां टीम पहुंचने के बाद शुरू हुई थी. इस हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 पुलिस अधिकारी घायल हो गए।

हमारी जांच में सामने आया कि वायरल हो रहा वीडियो असल में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर का है और इसे 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान रिकॉर्ड किया गया था.।

जांच पड़ताल:

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर, यह कई सोशल मीडिया पोस्ट्स में मिला, जहां बताया गया था कि यह वीडियो दिसंबर 2019 में गोरखपुर में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन का है।

ऐसा ही एक वीडियो (आर्काइव यहां) दिसंबर 31, 2019 को एक्स यूजर ‘@imMAK02’ द्वारा पोस्ट किया गया था, जिसके कैप्शन में लिखा था, “यह वीडियो गोरखपुर, उत्तर प्रदेश का है. यूपी पुलिस निहत्थे सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर क्रूर बल का प्रयोग कर रही है.” वीडियो में पुलिस लोगों की पिटाई करती दिख रही है. वायरल वीडियो में भी वही सड़क और दुकानें दिखाई दे रही हैं, जिससे यह पुष्टि होती है कि यह संभल में हुई हालिया घटनाओं से संबंधित नहीं है.

दिसंबर 2019 के एक्स-पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

जनवरी 25, 2020 को फ़ेसबुक पर “जज एडवोकेट्स पीड़ित ऑर्गनाइजेशन – JAPO” द्वारा शेयर किए गए एक अन्य वीडियो ने भी फुटेज को उत्तर प्रदेश में सीएए विरोधी प्रदर्शनों का हिस्सा बताया।

इसकी पुष्टि ईटीवी भारत और यूपी तक सहित कई मीडिया आउटलेट्स के वीडियो से भी होती है, जिसमें अलग-अलग एंगल से समान दृश्य कैप्चर किए गए थे।

दिसंबर 20, 2019 को लाइव हिंदुस्तान द्वारा पोस्ट किया गया एक वीडियो जिसका शीर्षक है “गोरखपुर : सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान पथराव में दो घायल,लाठीचार्ज,” और वायरल वीडियो के बीच काफी समानताएं हैं. इनमें एक सफ़ेद इमारत शामिल है, जिस पर नीला शटर और लाल बैनर है, साथ ही वीडियो को एक सड़क से शूट किया गया है, जहां क्रॉसिंग पर वही इमारत दिखाई दे रही है.

वायरल वीडियो और 2019 की न्यूज़ आउटलेट के दृश्यों के बीच तुलना. (सोर्स: एक्स/लाइव हिंदुस्तान/स्क्रीनशॉट)

इसके अलावा, जियोलोकेशन से पुष्टि होती है कि यह जगह नखास रोड, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश है।

वीडियो में कुछ ख़ास चीजें जैसे ‘माँ वैष्णो स्टेशनर्स’ नाम की दुकान, पास की इमारतें, एक बिजली का खंभा और एक घुमावदार सड़क के साथ नीले रंग की शटर वाली दुकान, जिस पर ‘मंगला वेडिंग कलेक्शन’ का बैनर लगा है, गूगल स्ट्रीट व्यू की तस्वीरों से मेल खाती हैं।

निष्कर्ष: हमारी अब तक की जांच से साफ़ हो जाता है कि वायरल वीडियो दिसंबर 2019 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शन का है। इसका संभल में हुई हालिया हिंसा से कोई संबंध नहीं है।

(यह फैक्ट-चेक मूल रूप से लॉजिकली फैक्ट्स द्वारा किया गया है। यहां इसे शक्ति कलेक्टिव के सदस्य के रूप में पेश किया जा रहा है।)

https://www.logicallyfacts.com/hi/fact-check/old-video-from-gorakhpur-falsely-linked-to-sambhal-violence