पाकिस्तान एक बार फिर अशांत है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के तमाम बड़े नेताओं की बीते दिनों राजधानी इस्लामाबाद में पुलिस के साथ झड़पें हुई हैं। इसमें पीटीआई के कई नेताओं को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। रैली में शामिल पीटीआई के समर्थकों पर पुलिस ने गोलियां चला दी।

पीटीआई के समर्थक चाहते हैं कि इमरान खान को जल्द से जल्द रिहा किया जाए। इमरान खान अगस्त, 2023 से जेल में हैं।

इमरान के समर्थकों की पुलिस के साथ ही वहां की हुकूमत और आर्मी के साथ भी लगातार तकरार चल रही है। इसके अलावा पाकिस्तान महंगाई, विदेशी कर्ज से भी जूझ रहा है।

ऐसे में सवाल यह है कि पीटीआई का हुकूमत और सेना के साथ चल रहा टकराव कब खत्म होगा और क्या पाकिस्तान एक बड़ी राजनीतिक अस्थिरता में फंस जाएगा?

Shehbaz Sharif
महंगाई से परेशान है पाकिस्तान की आवाम। (Source-ShehbazSharif/FB)

आर्मी के दबाव में छोड़नी पड़ी थी कुर्सी

मौजूदा हालात पर बात करने से पहले थोड़ा पीछे चलते हैं जब इमरान खान को अप्रैल, 2022 में प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। तब यह कहा गया था कि ऐसा पाकिस्तानी आर्मी के दबाव के चलते हुआ है। यह भी कहा जाता है कि आर्मी ने ही इमरान खान को पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया था और जब इमरान के संबंध आर्मी से खराब हुए तो उन्हें कुर्सी से हटा दिया गया।

महंगी पड़ी आर्मी से अदावत

एक बात को समझना बेहद जरूरी है कि पाकिस्तान में भले ही जम्हूरियत है और चुनाव भी होते हैं, लेकिन आर्मी की मर्जी के बिना किसी भी दल की हुकूमत के लिए आजादी से काम कर पाना संभव नहीं है। पाकिस्तान में आर्मी बहुत ताकतवर है और आर्मी के कई फौजी जनरल पाकिस्तान की हुकूमत संभाल चुके हैं। इसलिए एक बात तय है कि आर्मी से अदावत रखकर पाकिस्तान में आपका काम नहीं चल सकता।

अपनी सरकार गिराए जाने के बाद इमरान खान ने कई बार आर्मी को भी निशाने पर लिया था और कुछ फौजी जनरलों पर गंभीर टिप्पणियां की थी। उन्होंने लंबे वक्त तक पाकिस्तान में आर्मी के चीफ रहे जनरल कमर जावेद बाजवा पर भी हमले किए थे।

लोकप्रिय नेता हैं इमरान खान

इमरान खान पाकिस्तान में राजनेता बनने से पहले बतौर क्रिकेटर काफी लोकप्रिय थे। वह पाकिस्तान में इसलिए भी काफी लोकप्रिय हैं क्योंकि उन्होंने 1992 में कप्तान रहते हुए पाकिस्तान को विश्व कप में जीत दिलाई थी।

1996 में पीटीआई बनाकर पाकिस्तान में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले इमरान खान कुछ ही सालों में इतने लोकप्रिय हो गए थे कि वहां के दो बड़े राजनीतिक दलों- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को पीछे छोड़कर उन्होंने 2018 के आम चुनाव में अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।

अगर आप पाकिस्तान के सोशल मीडिया, टीवी और अखबारों को देखेंगे तो पता चलता है कि इमरान खान की लोकप्रियता वहां के किसी भी राजनेता से कम नहीं है। इतने लंबे वक्त से जेल में होने के बाद भी पीटीआई के नेता और कार्यकर्ता लगातार इमरान से जुड़े हुए हैं।

सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद बढ़ी मुसीबत

इमरान खान की मुसीबतें तब ज्यादा बढ़ गई थी, जब बीते साल मई में पीटीआई के समर्थकों ने पाकिस्तान में कई प्रतिष्ठानों पर हमला कर दिया था। इसमें आर्मी के भी कई प्रतिष्ठान शामिल थे।

पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर दो टूक कह चुके हैं कि पीटीआई के समर्थकों द्वारा सेना और देश के प्रतिष्ठानों पर हमला करना एक काला अध्याय था और इसके गुनाहगारों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है।

वित्तीय मोर्चे पर हालात खराब

आर्थिक मामलों में भी पाकिस्तान लगातार मुसीबत झेल रहा है। हाल ही में एक प्रमुख पाकिस्तानी अमेरिकी अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि नकदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंसटन में रहने वाले अर्थशास्त्री आतिफ मियां ने आसमान छूते घरेलू और विदेशी कर्ज, पेंशन की देनदारी को इसके लिए वजह माना है और उन्होंने कहा है कि शायद ही कोई दूसरा देश इस कदर खराब हालत में हो।

कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान आईएमएफ के बेल आउट पैकेज पर चल रहा है। आईएमएफ 1958 से अब तक 24 बार उसे बेलआउट पैकेज दे चुका है।

बीते महीने ही पाकिस्तान में एक सर्वे के हवाले से यह खबर सामने आई थी कि पाकिस्तान में 60% लोग अपने जरूरी खर्च को कम करने के लिए मजबूर हैं और हालात कदर खराब हैं कि उन्हें किराने के सामान तक में कटौती करनी पड़ रही है। 40% लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने खर्चे पूरे करने के लिए लोगों से पैसे उधार लेने पड़ रहे हैं।

पाकिस्तान की सरकार का ऐसा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक मुल्क का कुल कर्ज 79,731 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच सकता है।

जिस तरह की अदावत इमरान खान की आर्मी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हुकूमत से चल रही है, उसमें यह कहना मुश्किल है कि वह कब तक जेल से बाहर निकलेंगे। कुछ दिन पहले ही इमरान खान को रिहा किए जाने की खबर सामने आई थी लेकिन पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने इमरान खान को तोशाखाना से जुड़े मामले में गिरफ्तार कर लिया और अब यह कोई नहीं जानता कि इमरान को कितने और वक्त जेल में रहना पड़ेगा?