एक मामले की सुनवाई के दौरान वकील ने एक कारोबारी से ओपन कोर्ट में तीखे सवाल पूछे तो कारोबारी ने दो करोड़ का दावा डाल दिया। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील का बचाव करते हुए कारोबारी का मानहानि का दावा खारिज कर दिया। हाईकोर्ट का कहना था कि ऐसा दावा गलत है। इससे तो अदालतें बेमतलब होकर रह जाएंगी।

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ऐसे तो बन जाएगा मजाक

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि वकीलों को अपना केस अदालत के सामने रखने के लिए पूरी आजादी मिलनी चाहिए। अगर वो कोर्ट में बोलेंगे नहीं तो क्या करेंगे। जिरह करना उनका अधिकार है। अगर हम ऐसी याचिकाओं पर गौर करने लगे तो फिर मजाक ही बन जाएगा। ट्रायल के दौरान वकीलों को चाहिए कि वो निर्भीकता और अधिकार के साथ अपना मामला सामने रखें। उसके लिए वो बेबाकी से जिरह करें।

वकील जिरह करने में भी डरेंगे

जस्टिस मिनी पुष्करना ने अपने फैसले में कहा कि अपने मामले को सामने रखने के लिए वकीलों को हर तरह की आजादी है। अगर वकीलों के ऊपर मानहानि या दूसरी किसी धमकी का असर पड़ गया तो फिर वो जिरह करने में भी डरेंगे। ऐसे में फिर कैसे न्याय हो सकेगा। वकीलों को अपना केस जोरदार तरीके से कोर्ट के सामने रखने का अधिकार है। कोर्ट में बोलने के लिए उनके खिलाफ मानहानि का दावा नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि हमें भी देखना होगा कि ट्रायल के दौरान बोली गई बातों के लिए किसी वकील पर कोई एक्शन न हो।

दिल्ली हाईकोर्ट का कहना था कि अगर ऐसे सुनवाई के दौरान वकीलों की बातों का अगर हम जांचने लगे को न्यायपालिका बैठ जाएगी। वकीलों के भीतर एक डर बैठ जाएगा कि वो कुछ बोले तो उनके खिलाफ दावा हो सकता है। ऐसे तो वो अपनी बात भी कहने से गुरेज करेंगे। फिर कोर्ट में जिरह नहीं हो सकेगी।

सवालों से बिफरा था बिजनेसमैन

दरअसल एक मामले की सुनवाई के दौरान बिजनेसमैन को कोर्ट में बुलाया गया था। दूसरे पक्ष के वकील ने जो सवाल किए उनसे कारोबारी हत्थे से उखड़ गया। सुनवाई खत्म होने के बाद उसने अपने वकील से दो करोड़ का मानहानि दावा तैयार कराया और लेकर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। उसका कहना था कि वकील ने ओपन कोर्ट में उसकी इज्जत को तार-तार किया है। लिहाजा उसके खिलाफ सख्त एक्शन होना जरूरी है।