लिज्जात पापड़ (Lijjat Papad) आज मल्टी-मिलियन डॉलर वेंचर है। 2019 में इसने 1600 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। 2021 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, लिज्जत भारत भर की 45,000 महिलाओं को रोजगार देता है, जो हर दिन 4.8 मिलियन यानी 48 लाख पापड़ बनाती हैं। हालांकि इसकी शुरुआत सात महिलाओं ने उधारी के 80 रुपये से की थी। पहले दिन लिज्जत के सिर्फ 4 पैकेट बनाए गए थे।
कैसे हुई शुरुआत?
साल 1959 की बात है। मुंबई के गिरगांव में रहने वाली सात गुजराती गृहिणियों ने तय किया कि वो अपना व्यापार करेंगी। जसवंतीबेन जमनादास पोपट, पार्वतीबेन रामदास थोडानी, उजाम्बेन नरंदादास कुंडलिया, बानुबेन एन तन्ना, लगुबेन अमृतलाल गोकानी, जयबेन वी विठ्ठलानी और दीवालीबेन लुक्का ने छगनलाल करमसी पारेख नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता से अपने व्यवसाय के लिए 80 रुपये उधार लिए।
इन अर्ध-साक्षर महिलाओं ने खाना पकाने के अपने एकमात्र कौशल का फायदा उठाते हुए पापड़ बनाने का फैसला किया। एक साक्षत्कार में जसवंतीबेन कहती हैं: “हम कम पढ़े लिखे थे, जिससे हमें नौकरी मिलने की संभावना कम हो गई थी। लेकिन हमने महसूस किया कि पापड़ बनाने की हमारी विशेषज्ञता का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए किया जा सकता है ताकि हमारे पतियों को उनकी वित्तीय जिम्मेदारी कम करने में मदद मिल सके।”
15 मार्च 1959 को सभी सातों महिलाएं मुंबई के भीड़-भाड़ वाले इलाके में एक पुरानी इमारत की छत पर इकट्ठा हुईं और पापड़ का चार पैकेट तैयार किया। एक साल में इन्होंने 6,000 रुपये से ज्यादा के पापड़े बेचे। 1962 में एक कैश प्राइज प्रतियोगिता में चुने जाने के बाद ब्रांड का नाम लिज्जत पड़ा।
धीरे-धीरे महिलाओं की संख्या सैकड़ों से बढ़कर हजारों हो गई। 2021 तक लिज्जत के साथ काम करने वाली महिलाओं की संख्या 45,000 से अधिक थी। फिलहाल लिज्जत की देशभर में 82 शाखाएँ हैं। लिज्जत के उत्पादों की बिक्री अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों में भी होती है। अब लिज्जत पापड़ के अलावा खाखरा, बेकरी प्रोडक्ट्स और कई प्रकार के मसालों का भी उत्पादन करता है।
महिलाएं ही हैं कर्ताधर्ता
लिज्जत पापड़ उद्यम की प्रत्येक महिला सदस्य अपनी पापड़ बनाने की क्षमता और संगठन में स्थिति के अनुसार कमाती है। उद्यम के साथ कुछ महिलाएं अपने पति से अधिक कमाती हैं। संगठन की अध्यक्ष स्वाति रवींद्र पराडकर ने पिछले साल बताया था कि “हमारी कुछ महिलाएं अपने पति से ज्यादा कमाती हैं। और इसके लिए उनका परिवार उन्हें सम्मान देता है।”
बता दें कि लिज्जत में पुरुषों को केवल ड्राइवर, दुकान सहायक और सहायक के रूप में भर्ती किया जाता है। कंपनी की संरचना ऐसी है कि पापड़ रोल करने वाली महिलाओं का पद बढ़ते जाता है। संगठन की अध्यक्ष स्वाति रवींद्र पराडकर खुद दूसरी पीढ़ी की को-ओनर हैं। उन्होंने अपने पिता की मौत के बाद 10 साल की उम्र में मां के साथ पापड़ बनाना शुरू किया था।
राष्ट्रपति से मिला पद्मश्री पुरस्कार
नवंबर 2021 में लिज्जत पापड़ उद्यम की 90 वर्षीय सह-संस्थापक जसवंतीबेन जमनादास पोपट को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। साल 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने लिज्जत को ब्रांड इक्विटी अवॉर्ड से सम्मानित किया था। साल 2003 में लिज्जत को देश का सर्वोत्तम कुटीर उद्योग सम्मान मिला था। साल 2002 में इकोनॉमिक टाइम्स ने बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया था।
सफलता पर बन रही है फिल्म
जाहिर है लिज्जत की कहानी आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तीकरण की कहानी है। फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर इसी कहानी को बड़े पर्दे पर दिखाने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, इस फिल्म में कियारा आडवाणी लीड रोल में नजर आएंगी।
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