भारत के दिग्गज उद्योगपति और आनंद महिंद्रा के चाचा केशब महिंद्रा (Keshub Mahindra) का 12 अप्रैल, 2023 को निधन हो गया। उनकी उम्र 99 साल थी। फोर्ब्स द्वारा जारी भारत के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में केशब महिंद्रा भी शामिल थे। वह लिस्ट के सबसे बुजुर्ग अरबपति थे। साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार कांग्रेस-एनसीपी के सुझाव पर केशब महिंद्रा को पद्म पुरस्कार से सम्मानित करना चाहती थी। लेकिन केशब महिंद्रा ने खुद ही पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था।
साल 2002 में महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने पद्म भूषण के लिए केशब महिंद्रा का नाम प्रायोजित किया था। अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने इस सुझाव को स्वीकार कर लिया था। लेकिन उद्योगपति ने सत्यनिष्ठा के आधार पर विनम्रतापूर्वक पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया।
क्या था पूरा मामला?
केशब महिंद्रा ने 1947 में अपने पिता की कंपनी में काम शुरू किया था। वह साल 1963 में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन बने थे और इस पद पर 2012 तक रहे थे। साल 1984 में वह उस यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष थे, जिसके भोपाल संयंत्र से 2 दिसंबर, 1984 को घातक गैस (मिथाइलआइसोसाइनाइट) का रिसाव हुआ था। उस गैस रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी।
द संडे गार्जियन में प्रकाशित SHUBHABRATA BHATTACHARYA के एक आर्टिकल के मुताबिक, सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट में महिंद्रा को यूसीआईएल के आठ शीर्ष पदाधिकारियों में नामित किया गया। इसके कारण 2010 में उन्हें कोर्ट ने दोषी मानते हुए दो साल की सजा भी सुनाई थी। मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ अपील तब से भोपाल सत्र न्यायालय में लंबित है। सजा के कुछ घंटों के भीतर ही उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी।
महिंद्रा ने आडवाणी को लिखा पत्र
पद्म भूषण सम्मान की घोषणा के बाद केशब महिंद्रा ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को एक पत्र लिखा। आडवाणी तब गृह मंत्री भी थे और पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया उनकी ही देखरेख में पूरी हुई थी।
पत्र में महिंद्रा ने सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि चूंकि वह सीबीआई द्वारा दायर एक मामले में आरोपी हैं, इसलिए शायद उनका पुरस्कार सूची में होना उचित नहीं था और अनुरोध किया कि पुरस्कार वापस लिया जाए। यह अब तक का एकमात्र अवसर है जब किसी पद्म पुरस्कार विजेता ने सत्यनिष्ठा के आधार पर सम्मान लेने से इनकार कर दिया।
