Indian Airforce Big Challenges: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना भारत के पास है। कई युद्ध में इसने अपनी अहम भूमिका निभाई है। पायलटों के शौर्य पर कभी किसी को कोई शक नहीं रहा है, लेकिन अब जब लगातार कई फाइटर जैट क्रैश हो रहे हैं, लगातार हादसे हो रहे हैं, कारण तकनीकी खराबी बताई जा रही है, कई सवाल भी उठने लगे हैं। सवाल तो यह भी है कि आखिर कब तक सिद्धार्थ यादव जैसे पायलटों की जान ऐसे ही जाती रहेगी।

भारत ने कितने एयरक्राफ्ट गंवा दिए?

सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि 2000 से लेकर 2020 के बीच में 200 एयरक्राफ्ट भारत ने गंवा दिए हैं, इसमें कई फाइटर जैट शामिल हैं, हेलिकॉप्टर शामिल हैं और ट्रांसपोर्ट प्लेन की भी बड़ी संख्या है। इसके अलावा अगर पिछले पांच सालों के आंकड़ों की बात करें तो सदन की स्टैंडिंग कमेटी ने इसे लेकर जानकारी दी थी। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से 2022 के बीच भारतीय वायुसेना ने अपने 34 एयरक्राफ्ट गंवा दिए।

सालहादसे
2017–188
2018–1911
2019–203
2020–213
2021–229
सोर्स: सदन की स्टैंडिंग कमेटी

क्यों हुए भारत में विमान क्रैश?

अब अगर भारतीय वायुसेना ने कई विमान गवाएं हैं, इसके कई कारण भी सामने आए हैं। एक्सपर्ट तो कई तरह की वजहों को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन बात अगर यहां भी सिर्फ सरकारी आंकड़ों की करें तो ह्यूमन एरर से लेकर तकनीकी खराबी को प्रमुख वजह माना गया है। स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि 2017 से 2022 के बीच में भारत में किस वजह से ऐसे हादसे हुए हैं-

कारणहादसे
ह्यूमन एरर19
तकनीकी खराबी9
अन्य कारणN.A
सोर्स: सदन की स्टैंडिंग कमेटी

जामनगर क्रैश में जान गंवा बैठे सिद्धार्थ

भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी चुनौती

भारतीय वायुसेना इस समय कई चुनौतियों से घिरा हुआ है। एक तरफ फंड्स की कमी साफ दिखाई देती है, दूसरी तरफ जो फंड मिले हैं, उनका भी पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया है। इसके ऊपर खरीद प्रक्रिया आज भी भारत में इतनी धीमी है कि बढ़ती जरूरतों को समय रहते पूरा नहीं किया जा रहा है। अगर बात सिर्फ पिछले दो दशक की करें, वायुसेना ने काफी कम नए विमान अपने दस्ते में शामिल किए हैं।

इस समय जिस तेजस LCA MK1A विमान की चर्चा सबसे ज्यादा चल रही है, जिसकी प्रोडक्शन भारत में ही होनी है, वहां भी लगातार देरी देखने को मिल रही है। कारण यह है कि जो GE- 404 इंजन अमेरिका से आता है, इस समय उसकी कमी चल रही है, पूरी ग्लोबन चेन ही प्रभावित है। ऐसे में भारतीय वायुसेना का इंतजार भी बढ़ता जा रहा है। अभी तो दो साल की देरी हुई है, लेकिन क्योंकि कोई टाइमलाइन फिक्स नहीं है, ऐसे में आगे भी राह मिलती नहीं दिख रही।

मैंटेनेंस का नाम हो पाना दिक्कत

भारत के पास इस समय 11 Boeing C-17 ग्लोबमास्टर हैं, 17 Ilyushin IL-76s हैं, 17 Ilyushin Il-78s हैं, 3 Phalcon AWACS मौजूद हैं। ये सारे आंकड़े 2024 तक के हैं। लेकिन चुनौती ये है कि इन सभी विमानों की उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है, उनकी रिप्लेसमेंट का समय आ चुका है। लेकिन यही पर वायुसेना मात खा रही है क्यों कि समय रहते रिप्लेसमेंट हो नहीं रहे, मैंटेनेंस में चुनौतियां अलग आ रही हैं और फंड्स की कमी भी एक दिक्कत बनी हुई है।

Airborne Early Warning and Control (AEW&C) की जरूरत भी भारतीय वायुसेना को लंबे समय से है, बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तान ने हमला किया था, तब भी इसकी काफी जरूरत पड़ी थी। अब कई जानकार कहते हैं कि भारत के पास ऐसे विमान ज्यादा हैं जो वैसे तो अपनी सर्विस पूरी कर चुके हैं, लेकिन अभी भी उन्हें जबरदस्ती चलन में रखने की कोशिश हो रही है।

अगर भारतीय वायुसेना के सभी विमानों पर एक नजर दौड़ाएं, पता चलता है कि 50 फीसदी ऐसे हैं जो 25 सालों से ज्यादा से सर्विस में चल रहे हैं। यहां भी MiG 21 को 50 साल हो चुके हैं, जगुआर को 40 साल, मिराज 2000 को 35 साल, Su-30MKI को 25 साल। यहां भी सिर्फ यह कह देना कि ये सारे विमान अब इतने पुराने हैं, इसलिए ऐसे हादसे हो रहे हैं, पूरी तरह सही नहीं होगा।

अमेरिका कहां हमसे बेहतर कर रहा?

अगर ऐसा होता तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कुछ दूसरे देशों में भी कई विमान हादसे होते रहते। वहां भी कई पुराने एयरक्राफ्ट अभी भी चल रहे हैं, लेकिन उनकी मैंटेनेंस ऐसे रखी गई है कि वो आज भी सही स्थिति में दिखते हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका का A-10 Thunderbolt 1977 में एयरफोर्स में शामिल किया गया था, F-15 Eagles 1976 में शामिल किया गया। दोनों ही विमान अब 40 साल से ज्यादा पुराने हो चुके हैं। जानकार मानते हैं कि ये सारे विमान आज भी सर्विस में ठीक तरीके से इसलिए चल पा रहे हैं क्योंकि इनकी समय पर मैंनटेनेंस होती है, उनमें अपग्रेड किए जाते हैं।

CAG रिपोर्ट्स कई मौकों पर इस बात का जिक्र कर चुकी हैं कि वायुसेना अपने कई विमानों की ठीक तरीके से मैंटेनेंस नहीं कर पा रहा है। ट्रेनिंग की कमी भी एक बड़ा कारण सामने आई है।