ऑपरेशन से पहले निश्चेतना (एनेस्थीसिया) को लेकर मन में उठने वाले सवाल जैसे बेहोशी कब तक रहेगी, फिर उठ पाएंगे या नहीं, दवा का असर भविष्य में रहेगा, भूलने की समस्या तो नहीं हो जाएगी पर विराम लग सकता है। तकनीक में सुधार से साल 1990 के मुकाबले मौजूदा समय में निश्चेतना (बेहोशी) के दुष्प्रभाव को 50 गुणा तक कम किया गया है। वहीं अब इस प्रक्रिया को सटीक व कारगर बनाने के लिए स्वदेशी कृत्रिम मेधा आधारित तकनीक को बनाने पर काम चल रहा है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि सटीक निश्चेतना के लिए दवा की मात्रा, उचित अंग की पहचान, मरीज पर दवा के असर की निगरानी, प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरण से संक्रमण की रोकथाम,आपरेशन थिएटर के प्रदूषण को लेकर पिछले दशकों में काफी सुधार हुआ है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। डाक्टरों का कहना है कि सामान्य एनेस्थीसिया (मरीज को बेहोश करना), क्षेत्रीय एनेस्थीसिया (शरीर के एक बड़े हिस्से को सुन्न करना, जैसे रीढ़ की हड्डी से), स्थानीय एनेस्थीसिया (शरीर के एक छोटे से हिस्से को सुन्न करना) और निगरानी एनेस्थीसिया देखभाल के चुनाव से पहले सर्जरी की जटिलता, रोगी के स्वास्थ्य और उसकी व्यक्तिगत प्राथमिकता की जांच होती है।
0.1 फीसद रह गई जटिलता
एम्स के एनेस्थिसियोलाजी, दर्द चिकित्सा व क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख प्राध्यापक गंगा प्रसाद का कहना है कि पिछले दशक में निश्चेतना प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है। इस कोशिश से 0.1 फीसद मरीजों में ही जटिलताएं दिखाई देती हैं। उन्नत मशीनों की मदद से बेहोशी की दवा को उचित मात्रा में सटीक जगह पर दिया जा सकता है। मरीज की निगरानी के कारण दवा की जरूरत को कम या ज्यादा कर सकते हैं जो जटिलताएं घटा सकती हैं। रीढ़ की हड्डी से दवा देने वाली तकनीक को सुलभ बनाने के लिए एम्स में शोध चल रहा है।
उपलब्ध हुई बाल से महीन सुई
आरएमएल अस्पताल में एनेस्थीसिया विभाग के प्राध्यापक अमलेंदु यादव ने कहा कि स्पाइनल एनेस्थीसिया के लिए 32 गेज की सुई उपलब्ध है। यह बाल से महीन है। इनकी मदद से मस्तिष्क मेरुमज्जा द्रव (सीएसएफ) के रिसाव को कम किया जा सका है। जो मरीज को सिर दर्द सहित दूसरे जटिलताओं को रोकता है।
इसके अलावा बेहतरीन दवाएं उपलब्ध होने से बेहोशी प्रक्रिया को सरल किया जा सका। अब इसे और बेहतर बनाने के लिए अल्ट्रासाउंड सह कृत्रिम मेधा तकनीक विकसित करने के लिए शोध चल रहा है।
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सुलभ होंगे स्वदेशी उपकरण
चिकित्सा उपकरण कंपनी के प्रमुख पीयूष गुप्ता का कहना है कि देश में स्वदेशी तकनीक के एनेस्थीसिया केंद्र विकसित हो रहे हैं। यह सुरक्षित होने के साथ-साथ भारतीय जरूरत के आधार पर हैं। इसमें मरीजों की सुरक्षा, निगरानी, दवाओं व आक्सीजन का बहाव, शरीर पर पड़ने वाले असर की जानकारी देने सहित दूसरी व्यवस्था की गई है। जो निश्चेतना प्रक्रिया को सरल व सुलभ बनाती है।