मुगल शासक औरंगज़ेब (Emperor Aurangzeb) अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात हैं। उन्होंने उत्तराधिकार की लड़ाई में अपने बड़े भाई दारा शिकोह (Dara Shikoh) की गर्दन कटवा दी थी। दारा शिकोह का साथ देने वाले भतीजे (दारा शिकोह के बेटे) की हत्या करवा दी थी।
बाद में उन लोगों की भी हत्या करवा दी, जिनसे अपने भाई और भतीजे को मरवाया था। सत्ता पर एकाधिकार के लिए अपने बूढ़े पिता शाहजहां को आगरा किला में कैद करवा दिया था, जहां वह अपनी मौत तक रहे।
हालांकि इन क्रूरताओं के इतर भी औरंगज़ेब के व्यक्तित्व का एक दूसरा पहलू है, जिसकी कम बात होती है। औरंगजेब के इश्क की कहानियां बहुत कम मशहूर हैं। कभी धार्मिक प्रवृत्ति वाले औरंगज़ेब एक नर्तकी के प्रेम में इस कदर डूब गए थे कि अपनी कसम भूलकर शराब पीने को तैयार थे।
आम तोड़ती लड़की को देख हुआ प्यार
यह बात उन दिनों की है, जब औरंगज़ेब शासक नहीं शहज़ादा थे। उनकी उम्र 35 वर्ष थी। उन्हीं दिनों उन्हें दूसरी बार दक्कन का गवर्नर बनाया गयाथा। वह पद संभालने के लिए औरंगाबाद के लिए निकले थे। वह बुरहानपुर (वर्तमान मध्य प्रदेश) से होकर जाने वाले थे। बुरहानपुर में औरंगज़ेब की मौसी सुहेला बानो रहती थीं। वह उनसे मिलने के लिए पहुंचे।
वहीं उन्हें अपने मौसा के हरम की एक लड़की से पहली नजर में प्यार हो गया। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी किताब ‘ग़ुबार-ए-ख़ातिर’ में नवाब शम्स-उद-दौला शाहनवाज़ ख़ान और उनके बेटे अब्दुल हयी ख़ान द्वारा 18वीं शताब्दी में लिखी गई किताब ‘मासर-अल-उमरा’ के हवाले से इस घटना का जिक्र किया है।
बीबीसी हिंदी ने आज़ाद की किताब के हवाले से लिखा है कि कैसे आम के बाग में मौसी के साथ टहलते हुए हरम की उस लड़की ने एक ऊंचे डाल से लपक कर आम तोड़ा और उसे ऐसा करते देख औरंगज़ेब अपना दिल दे बैठे।
लड़की नाम हीराबाई था, जो ज़ैनाबादी महल के नाम से मशहूर हुईं। हीराबाई गायन और नृत्य में पारंगत थीं। औरंगज़ेब ने हीराबाई को पाने के लिए की तिकड़म भिड़ाए। अंत में उन्होंने अपने मौसा के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत औरंगज़ेब ने हीराबाई के बदले अपने मौसा को एक दूसरी दासी दी।
जब शराब पीने को हुए तैयार
बीबीसी ने मासर-अल-उमरा के हवाले से लिखा है ज़ैनाबादी महल को अपने हरम में शामिल करने के बाद औरंगज़ेब दुनिया से बेपरवाह हो गए थे। वह ज़ैनाबादी को अपने हाथों से भरकर शराब का प्याला दिया करते थे। एक रोज ज़ैनाबादी ने ज़िद पकड़ ली कि औरंगज़ेब भी शराब पिए। उन्होंने शराब का प्याला भरकर औरंगज़ेब को उसे होठ से लगाने को कहा। पहले तो औरंगज़ेब ज़ैनाबादी को मानते रहे। लेकिन जब ज़ैनाबादी नहीं मानीं तो वह शराब पीने को तैयार हो गए।
बेबसी की हालत में जैसे ही औरंगज़ेब ने शराब को होठ की तरफ बढ़ाया ज़ैनाबादी ने तुरंत उनसे प्याला ले लिया और कहा कि उनका मक़सद शराब पिलाना नहीं था बल्कि इश्क का इम्तिहान लेना था।