RSS-BJP strategy Haryana 2024 Polls: बीजेपी ने हरियाणा में सभी एग्जिट पोल, बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषकों को गलत साबित करते हुए जबरदस्त जीत हासिल की है। पार्टी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है और उसकी यह जीत 2014 और 2019 में मिली जीत से भी बड़ी है। यह जीत ऐसे वक्त में ज्यादा अहम है जब हरियाणा की राजनीति को समझने वाले तमाम पत्रकारों, राजनीतिक पंडितों ने कहा था कि हरियाणा में कांग्रेस के पक्ष में माहौल है और एग्जिट पोल सही साबित होंगे।

बताना होगा कि सभी एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की बात कही गई थी लेकिन सरकार बनाने का कांग्रेस का सपना अधूरा रह गया।

बीजेपी को मिला स्पष्ट बहुमत

90 सदस्यों वाली हरियाणा की विधानसभा में बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिली है। इनेलो के खाते में दो सीटें गई हैं और तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। राज्य में सरकार बनाने के लिए 46 विधायकों का समर्थन चाहिए इसलिए बीजेपी आसानी से राज्य में सरकार बना लेगी।

हरियाणा में बीजेपी की जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं का जबरदस्त चुनाव प्रचार, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा बीजेपी संगठन की मेहनत को तो क्रेडिट दिया ही जा रहा है, बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सिर भी इस जीत का सेहरा बांधा जा रहा है। लेकिन ऐसा क्यों है, आइए इस पर बात करते हैं।

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लोकसभा के नतीजों के बाद एक्टिव हुआ आरएसएस

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए खराब रहे थे और इसके बाद से ही आरएसएस जमीन पर एक्टिव हो गया था। हरियाणा में बीते कुछ सालों में किसान आंदोलन, पहलवानों के आंदोलन, अग्निवीर योजना की वजह से बीजेपी के लिए हालात लगातार मुश्किल होते जा रहे थे। जब लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 5 सीटें गंवाई तो यह माना गया कि विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करना भगवा दल के लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे विपरीत माहौल में आरएसएस ने जमीन पर उतरकर मोर्चा संभाला और पार्टी को जीत दिलाने में मदद की।

जमीन पर उतरने पर दिया जोर

आरएसएस के द्वारा कराए गए एक सर्वे से यह सामने आया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में पार्टी का सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है और ऐसे में पार्टी को अपने नेतृत्व और रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है। इंडिया टुडे के मुताबिक, इस साल जुलाई में नई दिल्ली में संघ और बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हुई थी। इसमें आरएसएस के संयुक्त महासचिव अरुण कुमार, हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष मोहनलाल बडोली, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शामिल थे। इस बैठक में हरियाणा में जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत पर जोर दिया गया।

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इसके अलावा उम्मीदवारों के चयन, ग्रामीण मतदाताओं के साथ रिश्ते बेहतर करने, जनकल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने और पार्टी के कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों के बीच समन्वय बढ़ाने को लेकर भी बात हुई। इस साल सितंबर में आरएसएस ने हरियाणा में ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचने का कार्यक्रम शुरू किया और इस काम में हर जिले में 150 स्वयंसेवकों को लगाया गया।

ग्रामीण इलाकों में हारी थी बीजेपी

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के जो नतीजे आए थे उनसे साफ हो रहा था कि बीजेपी को शहरी क्षेत्र में बढ़त मिली है जबकि ग्रामीण इलाकों में उसे हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में पार्टी और आरएसएस ने शहरी क्षेत्र में ध्यान देने के अलावा से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचने पर ज्यादा जोर दिया।

राजनीतिक विश्लेषक रजत सेठी ने एक न्यूज़ चैनल के साथ बातचीत में कहा कि हरियाणा में आरएसएस ने 16000 से ज्यादा बैठकें की। आरएसएस के स्वयंसेवक घर-घर तक पहुंचे और बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बजाय आरएसएस ने यह काम किया। आरएसएस ने बीजेपी को यह भी सलाह दी थी कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ग्रामीण मतदाताओं के साथ ज्यादा से ज्यादा संपर्क स्थापित करें विशेषकर अपने निर्वाचन क्षेत्र लाडवा में। मुख्यमंत्री सैनी इस बार भी लाडवा से चुनाव जीत गए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री सैनी खाप और पंचायत के नेताओं से मिले और उनकी बातों को सुनकर नाराजगी दूर करने की कोशिश की।

हरियाणा में डटे रहे संघ प्रमुख

आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत सहित कई प्रमुख नेता चुनाव के बीच हरियाणा आए। मोहन भागवत पानीपत के समालखा में स्थित संघ के क्षेत्रीय मुख्यालय में तीन दिन तक रहे।

विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बीजेपी और आरएसएस के नेताओं का पूरा फोकस ग्रामीण मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने पर रहा और इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन के दौरान पर्ची व खर्ची सिस्टम के साथ ही भाई भतीजावाद और क्षेत्रवाद की बातों को भी लोगों तक पहुंचाया गया। निश्चित रूप से संघ की इस कसरत का बीजेपी को फायदा मिला है।

इसके अलावा आरएसएस ने 1 से 9 सितंबर तक हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 90 बैठकें की और पार्टी कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मतदाताओं के साथ भी 200 बैठकें की। चुनाव के दौरान आरएसएस का कैडर जमीन पर सक्रिय नजर आया और उसने मतदाताओं से देश की प्रगति के लिए बीजेपी का समर्थन करने का आग्रह किया। इस तरह हरियाणा में बीजेपी की जीत में संघ का योगदान काफी अहम रहा।