History of Maharashtra Formation: देश की आजादी के बाद कई राज्यों का गठन हुआ। राज्यों के गठन के लिए वहां के आम लोगों, सामाजिक संगठनों, छात्र और व्यापारिक संगठनों ने संघर्ष किया और आखिरकार केंद्र की सरकारों ने उनकी मांग को पूरा किया। Jansatta की इस स्पेशल सीरीज में हम 1947 के बाद से बने तमाम राज्यों के गठन की चर्चा करेंगे। इसमें हम राज्य के गठन के लिए किए गए संघर्ष, राज्य की जरूरत क्यों थी ऐसे तमाम मुद्दों पर बात करेंगे।
सीरीज की पहली कड़ी में हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र और गुजरात के गठन की।
महाराष्ट्र और गुजरात का गठन 1 मई, 1960 को हुआ था और इस दिन अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस भी मनाया जाता है। राज्य गठन की वर्षगांठ पर इन दोनों ही राज्यों में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम किए जाते हैं। महाराष्ट्र में इस दिन को महाराष्ट्र दिवस या महाराष्ट्र दिन के रूप में जाना जाता है जबकि गुजरात में इसे गुजरात गौरव दिवस या गुजरात स्थापना दिवस के नाम से पुकारा जाता है।
आइए जानते हैं कि इन दोनों राज्यों का गठन कैसे हुआ।
बॉम्बे स्टेट से बने गुजरात और महाराष्ट्र
गुजरात और महाराष्ट्र का निर्माण बॉम्बे स्टेट से हुआ था। बॉम्बे स्टेट इतना बड़ा था कि भारत के कुल भूभाग का छठा हिस्सा था लेकिन आंदोलन के बाद इसमें से गुजराती और मराठी भाषी लोगों के लिए अलग राज्य बने।
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1947 तक बॉम्बे प्रांत ब्रिटिश भारत के तीन बड़े प्रशासनिक इलाकों में से एक था और यह दक्षिण में मैसूर से लेकर पश्चिम में कराची तक फैला हुआ था। मराठी भाषी क्षेत्रों को एक प्रशासनिक इकाई में एकीकृत करने के लिए आजादी से पहले 1918 तक आंदोलन हुए। आजादी के बाद 1953 में बॉम्बे प्रोविंस, विदर्भ और मराठवाड़ा के प्रतिनिधियों ने नागपुर समझौते पर दस्तखत किए और इसमें औपचारिक रूप से मराठी भाषी लोगों के लिए राज्य के गठन का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन तब इसका गुजराती भाषी लोगों ने जोरदार विरोध किया विशेषकर बॉम्बे को लेकर। क्योंकि बॉम्बे शहर में रहने वाले गुजराती बोलने वालों का तर्क था कि उन्होंने मुंबई को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है।
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बॉम्बे शहर को तीन भागों में बांटने का तर्क
बॉम्बे शहर को मराठियों को सौंपने के बजाय, गुजराती भाषी लोगों ने इस क्षेत्र को तीन भागों में बांटने का तर्क दिया- गुजराती राज्य, मराठी राज्य और ग्रेटर बॉम्बे का केंद्र शासित प्रदेश। इस मामले में तब तक फैसला नहीं हो सका जब तक States Reorganisation Commission (SRC) ने 1955 की रिपोर्ट में इस मुद्दे पर फैसला नहीं सुनाया।
SRC ने द्विभाषी बॉम्बे राज्य के निर्माण की सिफारिश की जिसमें मराठी और गुजराती भाषी सभी इलाके शामिल थे। लेकिन समझौते से कोई हल नहीं निकला। 1956 के बाद भाषाई आधार पर राज्यों की मांग ने जोर पकड़ा। एक तरफ इंदुलाल याग्निक के नेतृत्व में महागुजरात आंदोलन था और दूसरी तरफ केशवराव जेधे के नेतृत्व में संयुक्त महाराष्ट्र समिति थी। आंदोलनों के दौरान बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए और इनमें हिंसा भी हुई।
1959 में केंद्र में बैठी कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक दबाव के आगे घुटने टेक दिए और स्वीकार किया कि द्विभाषी राज्य का निर्माण फेल गया है और 1 मई, 1960 को संयुक्त बॉम्बे राज्य से गुजरात और महाराष्ट्र राज्य बनाए गए।
अब दोनों राज्यों के गठन की मांग को विस्तार से समझते हैं। पहले महाराष्ट्र की बात।
मराठी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग 20वीं सदी की शुरुआत में उठी थी। तब कांग्रेस ने भाषाई आधार पर राज्य बनाए जाने से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी हालांकि 1947 तक इस मांग ने बहुत जोर नहीं पकड़ा था। लेकिन देश की आजादी के बाद मराठी भाषी लोगों के लिए अलग राज्य के गठन की मांग तेज हुई। अलग राज्य की लड़ाई लड़ने के लिए 1956 में संयुक्त महाराष्ट्र समिति का गठन किया गया।
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1956 में भारत सरकार ने भाषाई आधार पर राज्यों का गठन करने के लिए एक पैनल बनाया। पैनल ने अलग मराठी भाषी राज्य बनाए जाने की वकालत की और कहा कि इसमें बॉम्बे शहर और बॉम्बे राज्य के अंदर आने वाले तमाम मराठी भाषी इलाकों को शामिल किया जाएगा। अंत में 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य की स्थापना हुई।
महागुजरात आंदोलन से उठी मांग
अब जानते हैं कि गुजरात कैसे बना? गुजरात दिवस को गुजरात गौरव दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इसे देश और दुनिया में रहने वाले गुजराती मूल के लोग बड़े पैमाने पर मनाते हैं। गुजराती भाषा बोलने वाले लोगों के लिए अलग राज्य की मांग 1928 में उठी थी और तब महागुजरात आंदोलन शुरू हुआ था।
1950 के दशक में गुजराती भाषी लोगों के लिए अलग राज्य के गठन की मांग ने जोर पकड़ा और भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के लिए बने पैनल ने गुजराती भाषी लोगों के लिए अलग राज्य बनाए जाने की मांग का समर्थन किया। इसमें तत्कालीन बॉम्बे राज्य के गुजरात और सौराष्ट्र के इलाके शामिल थे। आधिकारिक तौर पर गुजरात 1 मई, 1960 को राज्य बना और अहमदाबाद को इसकी राजधानी बनाया गया। बाद में गांधीनगर इसकी राजधानी बनी।
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