भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 13 अंक से एक अजीब सा रिश्ता था। ज्योतिष शास्त्र या भाग्यवाद में यकीन रखने वाले लोग 13 अंक को अशुभ मानते हैं। हालांकि प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मानती हैं कि उनके पिता के लिए यह अंक शुभ साबित हुआ। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता की जिंदगी को जिस तरह देखा, उसे उन्होंने एक किताब की शक्ल दे दी है।
रूपा पब्लिकेशंस से प्रकाशित शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब का नाम ‘Pranab, My Father: A Daughter Remembers’ है। इस किताब में कांग्रेस के आम कार्यकर्ता से राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले प्रणब मुखर्जी की जिंदगी के दिलचस्प किस्सों का भंडार है। पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने किताब में एक जगह बताया है कि उनके पिता के जीवन में 13 अंक ने कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
13 से शुरू हुआ सफर 31 पर खत्म हुआ
बकौल शर्मिष्ठा, प्रणब मुखर्जी ने अपने कॉलेज की दोस्त गीता से 13 जुलाई, 1957 को विवाह किया था। यह उनके परिवार का पहला अंतरजातीय विवाह था। प्रणब-गीता की प्रेम कहानी के बारे में आप आगे विस्तार से जानेंगे, लेकिन पहले 13 अंक की पूरी कथा जान लेते हैं।
प्रणब मुखर्जी 34 वर्ष की उम्र तक अपने गृह राज्य बंगाल से बाहर नहीं निकले थे। वह पहली बार साल 1969 में बंगाल से निकल देश की राजधानी दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने 13 जुलाई को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लिया। यह सिर्फ उनके बंगाल से पहली बार निकलने की घटना नहीं थी, बल्कि किसी पद के लिए शपथ लेने का भी उनका पहला मौका था।
13 मई, 2004 को प्रणब मुखर्जी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता था। वह 13 तालकटोरा रोड पर रहते हुए अपने राजनीतिक करियर के शिखर पर पहुंचे। वह 13 तालकटोरा रोड पर एक दशक से भी अधिक समय तक रहे। साल 2004 में पहली यूपीए सरकार में वरिष्ठ मंत्री बनने के बाद उन्हें बड़ा मकान मिल रहा था, लेकिन उन्होंने 13 तालकटोरा रोड वाला मकान नहीं बदला। तब कई पत्रकारों ने यह अटकले भी लगाई कि प्रणब मुखर्जी इसलिए घर नहीं बदल रहें क्योंकि वह ’13’ अंक को भाग्यशाली मानते हैं।
हालांकि शर्मिष्ठा लिखती हैं कि इसका कारण यह नहीं था। घर न बदलने का कारण उनकी मां थीं, जो पिछले कुछ दशकों में कई बार घर बदल-बदल कर थक चुकी थीं और अब किसी नए घर में जाने को तैयार नहीं थीं।
ख़ैर, 13 नंबर से प्रणब मुखर्जी का अगला कनेक्शन यह है कि संसद में उनका कमरा नंबर 13 था। और जैसा कि शुरुआत में ही बताया वह भारत के 13वें राष्ट्रपति बने थे। शर्मिष्ठा किताब में ध्यान दिलाती हैं कि उनके पिता का निधन 31 अगस्त, 2020 को हुआ था, जो 13 का विपरीत होता है।
प्रणब मुखर्जी की प्रेम कहानी
प्रणब मुखर्जी ने प्रेम विवाह किया था। गांव के जिस मध्यवर्गीय परिवार में प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था, उसका माहौल काफी पारंपरिक था। ऐसे में उनके प्रेम विवाह एक दम असामान्य बात थी। प्रणब अपनी प्रेमिका गीता से कलकत्ता यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान मिले थे। तब वह एमए के छात्र थे और गीता फर्स्ट-ईयर में थीं। दिलचस्प यह है कि प्रणब अपनी जिस बहन और जीजा के घर में रहकर कॉलेज कर रहे थे, उसी घर में गीता के पिता ने भी अपनी बेटी के रहने का इंतजाम किया हुआ था। वहीं दोनों का प्रेम परवान, जो आगे जाकर शादी में बदल गया। हालांकि दोनों ने शादी की बात अपने-अपने माता-पिता को नहीं बताई थी। शादी के बाद जब प्रणब घर पहुंचे तो बवाल मच गया। विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:
