राम मंदिर बन चुका है लेकिन हमारे पड़ोस में जो हनुमान जी का मंदिर है उसका क्या होगा। यह सवाल गाजियाबाद के अर्थला गांव में रहने वाले इंद्रराज सिंह पूछते हैं। वह स्थानीय हनुमान मंदिर की संचालन सम‍ित‍ि के प्रमुख भी हैं।

वह बताते हैं कि हमने कई लोगों से संपर्क किया लेकिन हमें कोई मदद नहीं मिली और ऐसा तब होता है जब आपके सांसद, विधायक और मेयर एक ही राजनीतिक दल (बीजेपी) के होते हैं और विपक्ष बहुत ही कमजोर होता है। वह कहते हैं कि ये नेता घमंडी हो गए हैं और उन्हें भरोसा है कि वह सत्ता में बने रहेंगे क्योंकि यहां विपक्ष नहीं है। इंद्रराज सिंह कहते हैं कि ऐसा होना अच्छा नहीं है।

इंद्रराज जैसी बातें ही मेरठ की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बीटेक फाइनल ईयर के छात्र दीपांश भी दोहराते हैं। दीपांश कहते हैं कि सत्ता में बैठे ऐसे राजनीतिक दल को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल होता है, जो उन्हें मिली जीत को बहुत हल्के में लेते हैं।

मेरठ में ही फूल बेचने वाले मोहम्मद मेहताब बताते हैं कि यहां पर विपक्ष भटका हुआ दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि यहां समाजवादी पार्टी दो बार अपना उम्मीदवार बदल चुकी है और ऐसा होना ठीक नहीं है।

2019 में गाजियाबाद में मिले 60 प्रतिशत से ज्यादा वोट

इन बयानों से पता चलता है कि यहां विपक्ष की जमीन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। मेरठ पिछले 15 साल जबकि गाजियाबाद 20 साल से बीजेपी का गढ़ बना हुआ है। बीते लोकसभा चुनाव में मेरठ संसदीय क्षेत्र में बीजेपी का वोट प्रतिशत 50 प्रतिशत से थोड़ा कम था जबकि गाजियाबाद में यह 60 प्रतिशत से ज्यादा था।

मेरठ में चुनावी चर्चा के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और कांग्रेस को टैक्स नोटिस का जिक्र भी आता है। कुछ लोग कहते हैं, “सत्ता में आने वाली हर पार्टी ऐसा (एजेंसियों की ताकत का इस्तेमाल) करती है।”

कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कांग्रेस और सपा पर एकजुट होकर काम नहीं करने का आरोप लगाते हैं और इसे लेकर परेशान दिखाई देते हैं।

सांसद बोले- लोकतंत्र में विपक्ष जरूरी

मेरठ से बीजेपी के वर्तमान सांसद राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं लोकतंत्र में विपक्ष होना चाहिए। लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी खुद को प्रासंगिक बनाए रखने या इंडिया गठबंधन की मजबूती के लिए कुछ नहीं करती। राजेंद्र अग्रवाल इस सीट से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी ने इस बार उनकी जगह रामायण सीरियल में राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल को चुनाव मैदान में उतारा है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल ने यहां से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद याक़ूब को 4,729 मतों के अंतर से हराया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार को गाजियाबाद में रोड शो किया था। बीजेपी यहां युवा व बुजुर्ग मतदाताओं से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील कर रही है।

यहां पर कुछ मतदाता निश्चित रूप से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से खुश दिखाई देते हैं। इसके अलावा कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर होने की भी वे सराहना करते हैं। यहां के लोग सरकार का इस बात के लिए भी आभार जताते हैं कि गरीबों को मुफ्त में राशन मिल रहा है हालांकि वे यह बात भी कहते हैं कि अगर एकतरफा राजनीति होगी तो क्या होगा।

इस मामले में ऊपर हनुमान मंदिर के उदाहरण को लिया जा सकता है। इंद्रराज सिंह पूर्व सैनिक हैं और वह फिर से हनुमान मंदिर का निर्माण करना चाहते हैं क्योंकि इस मंदिर की दीवार में दरारें आ गई थी। उन्होंने पुरानी इमारत को गिरा दिया और ग्रामीणों से पैसा इकट्ठा कर मंदिर की दीवारें बनाना शुरू की। लेकिन नगर निगम के अफसरों ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया और कहा कि यह जमीन नगर निगम की है। निगम के अफसर आए और मंदिर की दीवारों को ढहा दिया।

मेयर ने कहा- आप लोग भू माफिया हो

इंद्रराज सिंह बताते हैं कि वे सभी लोग गाजियाबाद की मेयर सुनीता दयाल के पास अपनी बात लेकर पहुंचे लेकिन मेयर ने उनसे कहा कि वे लोग भू माफिया हैं। वे स्थानीय विधायक के पास गए और बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी मिले लेकिन सभी ने इस मामले में अपना पल्ला झाड़ लिया।

इंद्रराज सिंह बताते हैं कि एक नेता ने उनसे यहां तक कहा कि आप लोग रात में क्यों नहीं बना लेते हैं, जैसा बाकी लोग करते हैं। जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में सुनीता दयाल से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह नगर निगम की जमीन है और इसलिए वह अफसरों को उनका काम करने से नहीं रोक सकतीं।

सवाल पूछने का हक नहीं खोना चाहता

यही वह बात है जहां पर इंद्रराज सिंह को महसूस होता है कि विपक्ष उनकी मदद कर सकता था। वह कहते हैं कि अगर यहां पर कुछ मजबूत विपक्षी नेता होते तो वे यहां आते और बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ खड़े होते। इंद्रराज सिंह कहते हैं कि वह बीजेपी के वोटर हो सकते हैं लेकिन अधिकारियों से सवाल पूछने या उनके विरोध करने के अपने हक को नहीं खोना चाहते।

मेरठ में भी कई लोग इसी तरह की चिंता जाहिर करते हैं। ट्रक ड्राइवर वीरेंद्र कहते हैं, “मोदी जी ने राम मंदिर बनाया, अच्छा काम किया। हर पार्टी की सरकार कल्याणकारी योजना चलाती है लेकिन क्या सरकार ने सरकारी नौकरियों को भरने के लिए कुछ किया।”

हिट एंड रन कानून का मामला

वीरेंद्र हाल ही में बनाए गए एक नए कानून का मुद्दा उठाते हैं। इस कानून के तहत हिट एंड रन के मामले में लापरवाही से ड्राइविंग करने पर होने वाली गंभीर सड़क दुर्घटना और पुलिस को बिना सूचना दिए भाग जाने पर ड्राइवर को 10 साल की जेल या 7 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। इस कानून का जबरदस्त विरोध होने के बाद केंद्र सरकार ने कहा था कि वह कानून को लागू करने से पहले ट्रक ड्राइवर्स से बात करेगी।

एक और ट्रक ड्राइवर राजेंद्र अपने दोस्त वीरेंद्र की बात से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वर्ग के लिए योजनाएं चलाई हैं। अगर मोदी अगले 20-25 साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बने रहते हैं तो भारत दूसरे देशों से काफी आगे निकल जाएगा।”

एक और ट्रक ड्राइवर प्रदीप कुमार अपने दोस्त राजेंद्र से सहमत दिखाई देते हैं। प्रदीप कुमार कहते हैं कि गरीबों को इस सरकार ने फ्री बिजली, कुकिंग गैस और मकान दिया है। वह कहते हैं कि मोदी को लेकर भी कुछ बातें जरूर हैं लेकिन वह इससे पहले प्रधानमंत्री रहे नेताओं से बेहतर हैं।

मेरठ की रहने वालीं दो गृहणियां शिखा गुप्ता और श्वेता अग्रवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित दिखाई देती हैं। वह कहती हैं, “राम मंदिर तो किसी न किसी तरह बनना ही था। मोदी सरकार ने हर एक व्यक्ति का ध्यान रखा है जबकि दूसरे राजनीतिक दल किसी विशेष समुदाय या वर्ग के लिए काम करते हैं।”

श्वेता अग्रवाल कहती हैं कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में उत्तर प्रदेश में गुंडाराज खत्म हुआ है, उनके लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है और वोट देने को लेकर वह अपना मन नहीं बदलना चाहतीं।

दूसरी ओर, मोहम्मद मेहताब और उनके दोस्त इस बात को लेकर चिंता जताते हैं कि यहां पर विपक्ष बेहद कमजोर है, वे कहते हैं कि ऐसे में हम किसे वोट दें। वे कहते हैं कि देखिए मेरठ में क्या हुआ।

सपा ने बार-बार बदला उम्मीदवार

कांग्रेस और सपा में सीट बंटवारे के तहत मेरठ सीट सपा को मिली है। लेकिन सपा यहां टिकट बंटवारे को लेकर कंफ्यूज दिखाई देती है। पार्टी ने पहले यहां से भानु प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन कुछ दिनों बाद उनका टिकट काटकर मेरठ की सरधना सीट से विधायक अतुल प्रधान को दे दिया। उनका भी टिकट बदल दिया गया और अब यहां से मेरठ की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है।

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शिक्षा का स्तर सुधारे सरकार

द इंडियन एक्सप्रेस ने कई युवा मतदाताओं से भी बात की। वे मोदी सरकार के द्वारा शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उठाए गए कदमों को लेकर संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। बीटेक फाइनल ईयर के छात्र दीपांश कहते हैं कि केवल नए कॉलेज बना देने से कुछ नहीं होगा। हमें शिक्षा का स्तर भी सुधारना होगा।

दीपांश कहते हैं कि अगर बदले जाने का डर नहीं होगा तो किसी भी तरह की जिम्मेदारी तय नहीं होगी क्योंकि सत्ता चले जाने का डर ही नेताओं और राजनीतिक दलों को लोगों से जुड़ने के लिए मजबूर करता है और उन्हें और जिम्मेदार बनाता है।

दीपांश कहते हैं कि विपक्ष यहां वास्तव में बेहद कमजोर है और वह लोगों तक अपनी बात ढंग से पहुंचाना भी नहीं जानता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबरदस्त वक्ता हैं और वही ऐसे नेता हैं जिन्हें लोग सुनते हैं।

“सरकारी नौकरी कहीं नहीं है”

दीपांश के साथ ही पढ़ने वाले और पैरामेडिकल साइंस के छात्र अर्नब कहते हैं, “रोजगार के मामले में स्थिति बेहद खराब है। मेरे पिता मुझ पर फीस के अलावा हर महीने 15 हजार रुपए खर्च करते हैं। एक बार मैं अपना लैब टेक्नीशियन का कोर्स पूरा कर लूं तो मुझे किसी प्राइवेट हॉस्पिटल या नर्सिंग होम में 10 हजार रुपए महीने की नौकरी मिल सकती है क्योंकि सरकारी नौकरी कहीं नहीं है।”

अर्नब बताते हैं कि उनके कॉलेज में 2015 बैच के सिर्फ एक सीनियर छात्र को सरकारी नौकरी मिली है और इसका कोई मतलब नहीं है।

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लोकसभा चुनाव 2024: गाजियाबाद में रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। (PTI Photo/Atul Yadav)