कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश की देहरा विधानसभा सीट पर 25 साल बाद जीत मिली है। यहां से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर ने जीत दर्ज की है। बीजेपी ने यहां से होशियार सिंह चंबयाल को उम्मीदवार बनाया था लेकिन चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को भी कई सवालों का जवाब देना होगा। होशियार सिंह दो बार निर्दलीय लड़ते हुए विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

बीजेपी ने होशियार सिंह के साथ ही दो अन्य पूर्व निर्दलीय विधायकों को भी आनन-फानन में पार्टी का उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया था। यह सभी नेता विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में शामिल हुए थे और इनकी सीटें खाली हो गई थीं।

जब देहरा की विधानसभा सीट खाली हुई थी तो बीजेपी के पूर्व मंत्री रमेश चंद धवाला भी यहां से उपचुनाव लड़ना चाहते थे।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा। (Source- FB)

होशियार सिंह ने धवाला और रवि को हराया था

होशियार सिंह ने 2022 के विधानसभा चुनाव में रमेश चंद धवाला को हराया था और 2017 में उन्होंने रविंद्र सिंह रवि को शिकस्त दी थी। रविंद्र सिंह रवि हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

इस बार उपचुनाव में रविंद्र सिंह रवि और रमेश चंद धवाला ने होशियार सिंह के लिए चुनाव प्रचार नहीं किया।

एक समय हिमाचल प्रदेश भाजपा में पार्टी का ओबीसी चेहरा माने जाने वाले धवाला को चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के नेतृत्व ने लगभग नजरअंदाज कर दिया था। रमेश चंद टिकट नहीं मिलने से नाराज थे और उन्होंने इस बात का संकेत दिया था कि अगर बीजेपी नेतृत्व उनसे चुनाव प्रचार करने के लिए कहेगा तभी वह होशियार सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने के बारे में सोचेंगे। धवाला ने प्रचार नहीं किया और इससे पता चलता है कि पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनसे चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं कहा।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी। (Source-ANI)

नालागढ़ सीट पर भी मिली हार

बीजेपी को अपने नेताओं की बगावत की वजह से नालागढ़ सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार हरदीप सिंह बावा ने बीजेपी के प्रत्याशी केएल ठाकुर को हराया है। नालागढ़ में बीजेपी के नेता हरप्रीत सिंह सैनी ने टिकट के लिए दावेदारी की थी लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

सैनी ने बीजेपी के वोटों में सेंध लगाई और 13025 वोट हासिल किए।

हरप्रीत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। बीजेपी के एक नेता ने बताया कि हालांकि पार्टी हरप्रीत सिंह सैनी के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती थी लेकिन केएल ठाकुर चाहते थे कि सैनी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने दिया जाए।

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Source- PTI)

सुक्खू सरकार पर आया संकट टला

हिमाचल प्रदेश उपचुनाव के नतीजे से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को बड़ी राहत मिली है क्योंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार पर आया संकट खत्म हो गया है। हिमाचल प्रदेश में इस साल फरवरी में कांग्रेस के 6 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया था।

बाद में इन सभी को विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार मिली थी।

कांग्रेस फिर पहुंची 40 के आंकड़े पर

2022 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस विधायकों की बगावत की वजह से 34 के आंकड़े पर आ गई थी जबकि 68 सदस्यों वाली हिमाचल की विधानसभा में सरकार चलाने के लिए 35 विधायकों की जरूरत है। लेकिन अब एक बार फिर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 40 हो गई है जबकि भाजपा के विधायकों की संख्या 28 हो गई है। विधानसभा में अब कोई भी निर्दलीय विधायक नहीं है।