लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की कोशिश हरियाणा की सभी 10 सीटों पर एक बार फिर जीत हासिल करने की है। हरियाणा में 6 महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। बीजेपी साल 2014 और 2019 में हरियाणा में लगातार अपनी सरकार बना चुकी है। इससे पहले 2005 से 2014 तक कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्य में सरकार चलाई थी।

हरियाणा की सियासत जाट बनाम गैर जाट के समीकरण के आसपास ही घूमती रही है। पर, बीजेपी ने जाट वोट बैंक में अच्‍छी पैठ बनाई है और गैर जाट वोट भी हास‍िल क‍िया है। एक नजर डालते हैं कि जाट समुदाय ने साल 2014 के विधानसभा और लोकसभा तथा 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को कितने प्रतिशत वोट दिया।

पार्टी2014 विधानसभा चुनाव2014 लोकसभा चुनाव2019 विधानसभा चुनाव2019 लोकसभा चुनाव
कांग्रेस42%40.7%38.7%39.8%
बीजेपी24%32.9%33.7%42.4%
इनेलो20.4%13.9%
जेजेपी12.7%
अन्य13.6%12.5%8.9%
C Voter से मिले आंकड़ों के मुताबिक।

बीजेपी जानती है कि पूरी ताकत लगाने के बाद भी जाट वोटरों का बहुत बड़ा हिस्सा उसके पाले में नहीं आ रहा है। पिछले चार चुनावों में (विधानसभा और लोकसभा मिलाकर) कांग्रेस को जाट समुदाय का 40 प्रतिशत के आसपास वोट मिलता रहा है। इसके अलावा जाट समुदाय का वोट इनेलो और जेजेपी के पास भी जाता है। बीजेपी ने इस साल मार्च में जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया। जेजेपी का भी जाट समुदाय में मजबूत आधार है। ऐसे में जहां पार्टी ने जाटों की राजनीत‍िक ताकत का बंटवारा करा द‍िया, वहीं हरियाणा के गैर जाट यानी 74% आबादी वाले समुदाय पर दांव खेलना सही समझा है।

हरियाणा की 90 में से 36 विधानसभा सीटों और 10 में से चार लोकसभा सीटों पर जाट हार-जीत तय करने की क्षमता रखते हैं। साल 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी कभी भी ताकतवर नहीं थी। इसका पता इन आंकड़ों से चलता है।

साल2004 लोकसभा चुनाव2005 विधानसभा चुनाव2009 लोकसभा चुनाव2009 विधानसभा चुनाव2014 लोकसभा चुनाव2014 विधानसभा चुनाव2019 लोकसभा चुनाव2019 विधानसभा चुनाव
बीजेपी को मिली सीटें12047471040

Haryana caste Equation: ताकतवर है जाट समुदाय

हरियाणा के जातीय समीकरणों को देखें तो जाट यहां की सबसे बड़ी आबादी है। हरियाणा में कुल 26% जाट हैं। 1966 में हरियाणा बनने के बाद से अब तक 58 साल में यहां पर जाट समुदाय से आने वाले नेताओं ने 33 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। हरियाणा के जाट मुख्यमंत्रियों की बात करें तो इनमें बंसी लाल, देवी लाल, ओम प्रकाश चौटाला, हुकुम सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम शामिल है। जबकि गैर जाट मुख्यमंत्रियों की सूची में भगवत दयाल शर्मा, राव बीरेंद्र सिंह, भजन लाल, मनोहर लाल खट्टर और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शुमार हैं।  

हरियाणा के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जाट समुदाय ताकतवर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की कुल आबादी 20 प्रतिशत तक है। यहां की सियासत में जाटों की राजनीतिक हैसियत क्या है। जानने के लिए फोटो पर क्लिक करें। 

Jayant chaudhary
आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी।(PC- PTI)

Jat vs Non Jat Politics Haryana: सीएम व प्रदेश अध्यक्ष दोनों गैर जाट

बीजेपी ने साल 2014 में हरियाणा की सत्ता में आने के बाद लगातार गैर जाट नेताओं को ही मुख्यमंत्री बनाया है। 2014 से लेकर मार्च 2024 तक पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल खट्टर राज्य के मुख्यमंत्री थे जबकि मार्च के महीने में उन्हें सत्ता से हटाकर एक और गैर जाट नेता नायब सिंह सैनी को पार्टी ने इस अहम ओहदे पर बैठाया है।

पिछले साल अक्टूबर में बीजेपी ने जब जाट समुदाय से आने वाले ओमप्रकाश धनखड़ को हटाकर नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, तभी इस बात का स्पष्ट संकेत मिल गया था कि पार्टी हरियाणा में गैर जाट राजनीति के रास्ते पर तय रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है।

हालांकि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने हरियाणा में प्रभावशाली जाट समुदाय के बीच ऐसे किसी संदेश को जाने से रोकने के लिए दो जाट नेताओं का कद भी बढ़ाया है। ओमप्रकाश धनखड़ को बीजेपी ने राष्ट्रीय सचिव बनाया तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को राज्यसभा भेजा गया।

हरियाणा से इतर भी बीजेपी ने जाट समुदाय से आने वाले राजस्थान के नेता जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति जैसे बड़े संवैधानिक पद पर काम करने का मौका दिया है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की कमान भी जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले भूपेंद्र चौधरी को दी गई है।

Haryana Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ भड़के थे जाट

साल 2020 में केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ जब पंजाब से आंदोलन शुरू हुआ था तो हरियाणा के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा लग गया था। इन दोनों ही बॉर्डर्स पर हरियाणा के किसानों ने मोर्चा संभाला था और इसमें ज्यादा भागीदारी जाट बिरादरी से जुड़े किसानों की थी।

उस दौरान हरियाणा के कई गांवों में भाजपा नेताओं के आने पर बैन लगा दिया था। बेहद खराब हालत के बीच केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा था। तब हरियाणा के जाट समुदाय ने बीजेपी नेतृत्व और केंद्र सरकार को अपनी राजनीतिक व सामाजिक ताकत का अहसास कराया था।

Bhupinder Singh Hooda: जाट और गैर जाट चेहरे

हरियाणा में कांग्रेस की कमान बड़े जाट नेता और 9 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास है। इसके अलावा रणदीप सिंह सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह के रूप में भी कांग्रेस के पास बड़े जाट चेहरे हैं। जबकि भाजपा के पास गैर जाट नेताओं के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी हैं।

बीजेपी की कोशिश गैर जाट मतदाताओं के बड़े हिस्से को अपने पाले में करने की है। साथ ही वह जाट मतदाताओं में भी लगातार सेंधमारी कर रही है।