कश्मीर (Kashmir) रियासत के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह (Hari Singh) और जोधपुर (Jodhpur) के महाराजा उम्मेद सिंह (Umaid Singh) में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों राज परिवारों के बीच इतना मधुर संबंध था कि उम्मेद सिंह हर साल अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कश्मीर जाते थे। जोधपुर के राजा की छह संतानें थीं- पांच लड़के और एक लड़की। लड़की का नाम सूसन था।

दोनों राज परिवारों के बीच सबकुछ ठीक चल रहा था। फिर अचानक एक दिन दोनों महाराजाओं की दोस्ती टूट गई। हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह (Karan Singh) ने अपनी आत्मकथा (Autobiography) में इस विच्छेद का जिक्र करते हुए लिखा, ”दोनों महाराजाओं की मित्रता क्यों टूटी, इसका कारण मुझे आज तक समझ नहीं आया।”

सूसन से होने वाली थी कर्ण सिंह की सगाई!

दोनों महाराजाओं की दोस्ती टूटना का राज तो नहीं पता चला लेकिन कर्ण सिंह को ऐसा लगता है कि उस दौरान सूसन के साथ उनकी सगाई की बात चल रही है। कर्ण सिंह लिखते हैं, “मेरा यह संदेह भविष्य में घटनी कुछ विशेष घटनाओं की पृष्ठभूमि में और भी पुष्ट हो गया।”

विवाद के बाद हरि सिंह ने जोधपुर के शासक को नीचा दिखाने के लिए कर्ण सिंह की सगाई रतलाम के राठौर शासक सज्जन सिंह की बेटी के साथ कर दी। इसके लिए नाबालिग (मौजूदा मानक के अनुसार) कर्ण सिंह से कोई सलाह नहीं ली गई थी। कर्ण सिंह खुद लिखते हैं कि, “आजकल के पाठकों को यह जानकर धक्का लगेगा कि सगाई जैसे गंभीर संबंध दस-बारह साल के उम्र में भी कर दिए जाते थे।” रतलाम की जिस राजकुमारी के साथ कर्ण सिंह की सगाई हुई उनका उनका नाम चंद्रकुंवर उर्फ शांति था।

टूट गई सगाई

कर्ण सिंह बताते हैं कि रतलाम की राजकुमारी बहुत शालीन और सुंदर थी। सगाई के कुछ वर्ष बाद जब वह अमेरिका चले गए, पत्रों के जरिए दोनों में बातचीत शुरू हुई। दोनों एक दूसरे को समझ ही रहे थे, तभी 1949 में हरि सिंह ने आवेश में आकर सगाई तोड़ दी। इस फैसले के लिए भी कर्ण सिंह से राय नहीं ली गई।

कर्ण सिंह लिखते हैं, “जिस तरह यह सब किया गया, वह स्पष्ट ही बहुत अपमानजनक था। रतलाम के राजपरिवार के प्रति यह सरासर अन्याय था-विशेष रूप से शांति के साथ। बल्कि इससे हमारे परिवार की गरिमा को भी धक्का लगा। बाद में पता चला कि शांति ने उत्तर प्रदेश के किसी व्यक्ति से विवाह कर लिया। कई वर्ष बाद एक सड़क दुर्घटना में वो गंभीर रूप से घायल हो गई जिससे अंतत: उसकी मृत्यु हो गई।”