सियासत में पिता की सीट से बेटा ही चुनाव लड़ेगा, इसके लिए इस बार बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट पर जबरदस्त लड़ाई देखने को मिली। क्योंकि इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस और उनके बेटे चिराग पासवान में लंबी लड़ाई चली।
पशुपति पारस इस बात पर अड़े थे कि वह हाजीपुर की सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव भी इसी सीट से जीता था लेकिन चिराग पासवान ने भी बीजेपी नेतृत्व को स्पष्ट रूप से बता दिया था कि वह हाजीपुर सीट पर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे क्योंकि यह उनके पिता की सीट है।
अंत में बाजी चिराग पासवान के हाथ लगी। वैशाली जिले में पड़ने वाली इस सुरक्षित सीट को चिराग पासवान ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। चिराग इस सीट से एनडीए के उम्मीदवार हैं। 2019 में चिराग जमुई सीट से सांसद बने थे।
रामविलास पासवान हाजीपुर से 8 बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे हालांकि वह दो बार यहां से हारे भी थे। 1977 में अपने पहले ही चुनाव में रामविलास पासवान ने यहां से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी और उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया था। रामविलास पासवान का नाम भारत के बड़े दलित नेताओं में शुमार है।

Hajipur Lok Sabha Seat: कौन-कौन बना यहां से सांसद
रामविलास पासवान के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास भी हाजीपुर से दो बार चुनाव जीते थे। 1957, 1962 और 1967 में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार राजेश्वर पटेल को जीत मिली थी।
साल | कौन बना सांसद |
1957 | राजेश्वर पटेल |
1962 | राजेश्वर पटेल |
1967 | वाल्मीकि चौधरी |
1971 | दिग्विजय नारायण सिंह |
1977 | राम विलास पासवान |
1980 | राम विलास पासवान |
1984 | राम रतन राम |
1989 | राम विलास पासवान |
1991 | राम सुन्दर दास |
1996 | राम विलास पासवान |
1998 | राम विलास पासवान |
1999 | राम विलास पासवान |
2004 | राम विलास पासवान |
2009 | राम सुन्दर दास |
2014 | राम विलास पासवान |
2019 | पशुपति कुमार पारस |
Lok Janshakti Party: कैसे शुरू हुई चाचा-भतीजे की जंग
साल 2021 में रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में बगावत हो गई थी। एलजेपी के 6 में से पांच सांसदों ने चिराग पासवान के खिलाफ जाते हुए उनके चाचा पशुपति पारस को अपना नेता चुना था। एलजेपी पर कब्जे की जंग चुनाव आयोग पहुंची थी और चुनाव आयोग ने दोनों धड़ों को अलग-अलग नाम दिए थे।
पशुपति पारस की अगुवाई वाले धड़े को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी जबकि चिराग पासवान के नेतृत्व वाले धड़े को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का नाम दिया गया।
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने पशुपति पारस को जोर का झटका दिया था और उन्हें कोई सीट नहीं दी थी। जबकि चिराग पासवान को लोकसभा की 5 सीटें दी थी।

RJD Hajipur Seat: आरजेडी के उम्मीदवार हैं शिवचंद्र राम
हाजीपुर सीट से इंडिया गठबंधन की ओर से आरजेडी के उम्मीदवार शिवचंद्र राम चुनाव मैदान में हैं। आरजेडी को उम्मीद है कि उसका मुस्लिम-यादव फैक्टर इस सीट से उसके उम्मीदवार को जीत दिला सकता है। इसके साथ ही रविदास मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की भी कोशिश आरजेडी की है। शिवचंद्र राम चिराग पासवान को बाहरी बताते हैं और कहते हैं कि चिराग जमुई से यहां आए हैं।
शिवचंद्र राम दो बार विधायक रहे हैं और आरजेडी प्रमुख लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। उन्हें आरजेडी का दलित चेहरा भी कहा जाता है। शिवचंद्र राम रविदास समाज से आते हैं और वह युवा आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2019 में भी उन्हें आरजेडी ने यहां से टिकट दिया था।शिवचंद्र राम की जीत के लिए पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी जुटे हुए हैं।
तेजस्वी यादव का हाल ही में एक वीडियो सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सब लोग मिलकर काम करेंगे तो कोई माई का लाल हम लोगों को हाजीपुर सीट पर नहीं हरा सकता है। तेजस्वी ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव की हमेशा से इच्छा रही है कि एक बार हाजीपुर में लालटेन जरूर जलनी चाहिए। लालटेन आरजेडी का चुनाव चिह्न है। आज तक हाजीपुर में आरजेडी को जीत नहीं मिली है।

Pashupati Paras: चाचा की नाराजगी पड़ेगी भारी?
चिराग पासवान को उम्मीद है कि हाजीपुर की जनता उन्हें ही रामविलास पासवान का राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाएगी लेकिन चाचा पशुपति पारस की नाराजगी यहां उनके लिए एक मुश्किल खड़ी कर सकती है। पशुपति पारस चूंकि पिछला चुनाव यहां से 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे इसलिए चिराग के लिए चाचा के समर्थन के बिना जीत पाना आसान नहीं होगा।
कुछ दिन पहले ही पशुपति पारस ने कहा था कि चिराग उनसे मिलने तक नहीं आए और न ही उन्हें चुनाव प्रचार में बुलाया गया।
चिराग पासवान अपनी चुनावी सभाओं में कहते हैं कि हाजीपुर लोकसभा सीट उनके लिए कोई लोकसभा सीट नहीं है बल्कि यहां के लोग उनका परिवार हैं। चिराग पासवान की जीत के लिए बीजेपी के नेता भी पूरा जोर लगा रहे हैं। चिराग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी भुलाते हुए इस चुनाव में उनका भी आशीर्वाद लिया है।

Hajipur Lok Sabha Caste Equation: यादव मतदाता सबसे ज्यादा
राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, हाजीपुर में करीब एक लाख भूमिहार, तीन लाख यादव, दो लाख सवर्ण और इतने ही मतदाता पासवान समुदाय के हैं। इसके अलावा सवा लाख के करीब मुस्लिम, लगभग 1 लाख रविदास और 80000 मतदाता निषाद समुदाय के हैं। हाजीपुर में कुशवाहा समुदाय के भी करीब एक लाख मतदाता हैं।
हाजीपुर में वैशाली जिले की छह विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें- हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजा पाकर, राघोपुर और महनार शामिल हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में इनमें से आरजेडी को 3, बीजेपी को 2 और कांग्रेस को 1 सीट पर जीत मिली थी।