भारत की पूर्व प्रधानमंत्री और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इसी साल अक्टूबर में रूसी क्रांति ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया था, जिसके परिणामस्वरूप जार की सत्ता को उखाड़ फेंक रूसी सोवियत संघात्मक समाजवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की स्थापना हुई थी।
इंदिरा के रूसी क्रांति के साल में पैदा होने की वजह से नेहरू कहते थे, हंगामाखेज परेशान दुनिया में क्रांति की बेटी पैदा हुई है। हालांकि इंदिरा के पैदा होने पर नेहरू परिवार के सभी सदस्य खुश नहीं हुए थे।
जन्म के दिन घर का माहौल
साल 1917 में 17 नवंबर की रोज इलाहाबाद में स्थित नेहरू परिवार के महलनुमा घर आनंद भवन में पूरा खानदान बेसब्री से खुशखबरी का इंतजार कर रहा था। पत्रकार सागरिका घोष ने अपनी किताब ‘इंदिरा’ में इस रोज का विस्तार से वर्णन किया है। वह बताती है कि जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू और उनके साथी-संगी लाइब्रेरी में स्कॉच का पेग लगा रहे थे। रात के करीब ग्यारह बजे इंदिरा गांधी की दादी स्वरूप रानी ने प्रसव होने की घोषणा की।
डॉक्टर पर भड़क गईं दादी
इंदिरा के पैदा होने के बाद प्रसूति कराने वाली स्कॉटिश डॉक्टर ने उल्लासित आवाज में जवाहरलाल नेहरू से कहा, ‘सुंदर बेटी पैदा हुई है सर’ इतना सुनते ही नेहरू की मां ने डॉक्टर को डपट दिया। उन्होंने कहा, ‘बेटा होना चाहिए था।’
बेटी पैदा होने की घोषणा से शुरुआत में थोड़ा निराश हुए मोतीलाल ने तुरंत अपनी पत्नी को झिड़कते हुए कहा, ”हमने अपने बेटे और बेटियों की परवरिश में क्या कभी कोई भेदभाव किया है। क्या आप उन्हें बराबरी से नहीं चाहतीं? ये लड़की हजारों पोतों से भी ज्यादा काबिल साबित होगी”
सागरिका बताती हैं कि बेटी पैदा होने की घोषणा से आनंद भवन में उस वक्त मौजूद ज्यादातर लोग खुश नहीं हुए थे। हालांकि बाद में मोतीलाल नेहरू ने मामला संभाल लिया था।
बाद में इंदिरा ने खुद लिखा, ”मेरा परिवार हालांकि इतना भी रूढ़िवादी नहीं था कि बेटी पैदा होने को अपना दुर्भाग्य समझे फिर भी बेटे को खास और आवश्यक माना जाता था।