देश की राजधानी में दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के संगठन G-20 का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल का सबसे बड़ा अंतरराष्‍ट्रीय आयोजन है, जो अंतरराष्‍ट्रीय संबंध और कूटनीत‍ि के ल‍िहाज से बेहद अहम है। इस आयोजन के ल‍िए द‍िल्‍ली में बड़ी तैयारी की गई है। इसके ल‍िए द‍िल्‍ली के प्रगत‍ि मैदान द‍िल्‍ली के आईटीपीओ कॉम्‍प्‍लेक्‍स का काया कल्‍प कर द‍िया गया है। इसी कॉम्‍प्‍लेक्‍स में जी 20 सम्‍मेलन होगा। प्रगत‍ि मैदान भी 1970 के दशक में तब बनाया गया था, जब देश में पहली बार अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार मेला (नवंबर, 1972) में आयोज‍ित हुआ था।

देश में पहली बार बहुत बड़ा अंतरराष्‍ट्रीय आयोजन 1956 में हुआ था। तब यूनेस्‍को का नौवां सम्‍मेलन द‍िल्‍ली के व‍िज्ञान भवन में हुआ था। व‍िज्ञान भवन को इसी कार्यक्रम के ल‍िए बनवाया गया था। तब मेहमानों को ठहराने के ल‍िए भी कोई अच्‍छी जगह नहीं थी। इसके ल‍िए होटल अशोक बनवाया गया था। द‍िल्‍ली की पहचान में शुमार ये दोनों इमारतें महज एक साल में बनवाई गई थीं। इन्‍हें बनवाने के ल‍िए कई नई तकनीक का इस्‍तेमाल भारत में पहली बार हुआ था। कई कर्मचार‍ियों, इंजीन‍ियर्स आद‍ि को ट्रेन‍िंंग के ल‍िए इंग्‍लैंड व अन्‍य देशों में भेजा गया था।

1956 के बाद भी दिल्ली में कई बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजन हुए हैं। यहां 1982 के एशियन गेम्स से लेकर 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स तक हुए हैं। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण डिप्लोमेटिक और बिजनेस इवेंट भी हुए हैं। हर बार ऐसे आयोजनों की वजह से द‍िल्‍ली में विकास की नई बयार बही है।

ऐसे बना द‍िल्‍ली का पहला फाइव स्‍टार होटल

साल 1955 की बात है। पेरिस में यूनेस्को का 8वां सम्मेलन चल रहा था। भारत की तरफ से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पहुंचे थे। उन्होंने यूनेस्को के सदस्य देशों को सामने यह प्रस्ताव रखा कि अगले सम्मेलन की मेजबानी का मौका नई दिल्ली को मिले। नेहरू का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। हालांकि, जब प्रधानमंत्री नई दिल्ली लौटे तो उन्हें अधिकारियों ने बताया कि इतने बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय इवेंट आयोजित करने के लिए शहर में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है।

अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को बताया कि सबसे पहले हमें एक बड़ा होटल बनाना होगा ताकि भारी संख्या में आने वाले मेहमानों को ठहराया जा सके। साथ ही एक कॉन्फ्रेंस सेंटर की आवश्यकता है, जहां इवेंट का आयोजन हो। प्रधानमंत्री ने एक वर्ष के भीतर दोनों का निर्माण करने को कहा। इस तरह राजधानी में होटल अशोक की नींव पड़ी, जो द‍िल्‍ली का पहला पांच स‍ितारा होटल था।

जम्मू-कश्मीर के राजकुमार ने होटल के लिए दी जमीन

होटल अशोक को डिजाइन करने की जिम्मेदारी मुंबई के आर्किटेक्ट ईबी डॉक्टर के कंधों पर थी। निर्माण का काम CPWD को मिला था। जम्मू-कश्मीर के राजकुमार कर्ण सिंह ने होटल बनाने के लिए पहाड़ी की पच्चीस एकड़ जमीन सरकार को दान में दे दी। होटल निर्माण के शुरुआती कार्यों में जो धन खर्च हुए, उनका वहन भी तत्कालीन राजकुमारों ने ही किया था। होटल के 23 मूल शेयरधारकों में से 15 विभिन्न रियासतों के शासक थे। यह पहला मौका था, जब राजधानी की किसी इमारत के निर्माण में बड़े पैमाने पर क्रेन का इस्तेमाल किया गया। निर्माण के दौरान कई नई तकनीक का भी इस्‍तेमाल क‍िया गया। प्रधानमंत्री नेहरू ने सीपीडब्ल्यूडी के कई इंजीनियरों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजा था।

घोड़े पर सवार होकर निर्माण कार्य देखने आते थे नेहरू

पीएम नेहरू अक्सर निर्माण स्थलों का दौरा किया करते थे। यह किस्सा मशहूर है कि नेहरू घोड़े पर सवार होकर निर्माणाधीन अशोक होटल के निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। दरअसल, नेहरू नव स्वतंत्र भारत को विश्व मानचित्र पर चमकाने के उद्देश्य से यूनेस्को का सम्मेलन दिल्ली में कराना चाहते थे।

बता दें कि अशोक होटल सरकारी स्वामित्व वाला देश का पहला पांच सितारा होटल है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूनेस्को सम्मेलन से काफी पहले अशोक होटल एक विशाल कन्वेंशन हॉल, 550 गेस्ट रूम और दूर तक फैले गार्डन के साथ तैयार हो गया था।

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यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस मीटिंग में नेहरू (Photo Credit – unesdoc.unesco.org)

800 कामगारों ने 350 दिन में बनाया था विज्ञान भवन

यूनेस्‍को सम्‍मेलन-स्‍थल के रूप में विज्ञान भवन को CPWD के आर्किटेक्ट आरए गहलोत ने डिजाइन किया था। भवन का निर्माण कार्य सितंबर 1955 में शुरू हुआ था। एडवर्ड रोड (अब मौलाना आज़ाद रोड) पर विज्ञान भवन का निर्माण ठीक, उसी जगह पर हो रहा था जहां तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का बंगला था।

3.8 एकड़ में फैले भव्य तीन मंजिला कॉन्फ्रेंस सेंटर का निर्माण लगभग 800 कामगारों ने 350 दिनों में किया। इसे बनाने में लगभग 78 लाख रुपये की लागत आयी थी। प्लेनरी हॉल में 705 और बालकनी में 300 डेलीगेट्स के बैठने का इंतजाम किया गया था। सीटों पर फोन और स्पीकर लगे थे। मल्टी लिंग्वल इंटरप्रेटेशन सिस्टम की भी व्यवस्था थी, जिससे डेलीगेट्स बातचीत को अपनी भाषा में सुन सकें।

फिलिप्स ने साउंड सिस्टम और वोल्टास ने एयर कंडीशनिंग का काम संभाला था। कालीन आगरा, जयपुर और ग्वालियर से मंगाए गए थे। विज्ञान भवन के प्रवेश द्वार को बौद्ध वास्तुकलाओं से सुसज्जित किया गया था।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, यूनेस्को का 9वां सम्मेलन 5 नवंबर, 1956 को नई दिल्ली में नवनिर्मित विज्ञान भवन में शुरू हुआ और एक महीने तक बिना रुकावट चलता रहा।

तब यूनेस्‍को के 77 सदस्‍य थे। 200 से अधिक हाई प्रोफाइल मेहमान भारत आए थे। उन्‍हें होटल अशोक में ठहराया गया था। नेहरू चाहते थे कि विदेशी मेहमानों न्यूयॉर्क और लंदन के प्रतिष्ठित होटलों जैसी सुव‍िधा म‍िले। इसके ल‍िए उन्होंने होटल के कई सीनियर कर्मचारियों को ट्रेनिंग के लिए इंग्लैंड भी भेजा था।